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Month: February 2021

नेता ने ऐंकर को पत्रकारिता का पाठ पढ़ाया, क्या मालिक को कुछ समझ में भी आया?

नवीन कुमार कोलकाता के एक पांच सितारा होटल में 11 फरवरी की शाम राहुल कंवल पश्चिम बंगाल की मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी का इंटरव्यू करने बैठे थे। उस इंटरव्यू का इंतजार सबसे ज्यादा बीजेपी को था, लेकिन जब इंटरव्यू खत्म हुआ तो आजतक इंडिया टुडे ग्रुप के मालिक अरुण पुरी का चेहरा उतरा हुआ था। राहुल…

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क्यों आर्थिक सर्वे की यह बात नहीं पचती कि आर्थिक असमानता पर नहीं केवल आर्थिक विकास पर ध्यान देने की ज़रूरत है?

अजय कुमार साल 2020-21 के आर्थिक सर्वे के एक अध्याय में यह राय रखी गई है कि आर्थिक विकास से भले ही आर्थिक असमानता बढ़ेगी, लेकिन ग़रीबी भी कम होगी। तो आइए जानते हैं कि क्यों यह राय दुरुस्त नहीं है।  साल 2020 -21 के आर्थिक सर्वे में आर्थिक असमानता और आर्थिक विकास पर आधारित…

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इस आपदा में हमारे लिए छह मोर्चों पर सुधरने का अवसर छिपा है- रामचंद्र गुहा

कॉरपोरेट के प्रति मैत्री भाव रखने वाले लोग यह तर्क देंगे कि पर्यावरण संरक्षण अमीर देशों का शगल है लेकिन इस मामले में हमें उनसे ज्यादा सचेत रहने की जरूरत है बीते रविवार को चमोली में आई आपदा की खबर मिलने के कुछ घंटे बाद मैंने एक ऐसे शख्स को फोन किया जिसका नाम हम…

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संयुक्त किसान मोर्चाः इस महीने होने वाली किसान महापंचायतों की लिस्ट जारी

संयुक्त किसान मोर्चा ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर प्रधानमंत्री के किसान विरोधी बयानों की निंदा की है। प्रधानमंत्री ने यह कहते हुए कि बिना मांग के इस देश में बहुत कानून बनाये गए हैं, साबित कर दिया है कि ये कानून किसानों की मांग नहीं रही है। किसानों की मांग कर्जा मुक्ति – पूरा…

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ग्यारह साल बाद शाहिद आज़मी की याद – सुभाष गाताडे

ऐसा वक्त आता है जब खामोशी गद्दारी बन जाती है… इतिहास इस बात को दर्ज करेगा कि सामाजिक संक्रमण के इस दौर में सबसे बड़ी त्रासदी यह नहीं थी कि बुरे लोगों की आवाज़ बुलन्द थी बल्कि यह कि अच्छे लोग पूरी तौर पर मौन थे। वक्त की यह मांग है कि हम कमजोरों, बेजुबानों…

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गांधी के ‘गुरुदेव’ और टैगोर के ‘महात्मा’

प्रदीप सिंह बंगाल में चुनावी जंग जीतने के लिए आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है। और इस अखाड़े में स्वतंत्रता सेनानी और बंगाल में जन्में महापुरुषों को भी उतार दिया गया है। और उनके नाम और मान-अपमान को लेकर खींचतान तेज़ है। बंगाल विधानसभा चुनाव होने में अभी समय है। लेकिन केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी…

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2014 के बाद से लोकतंत्र के सूचकांक पर लुढ़कता भारत

हरजिंदर 2014 वह साल था जब इकाॅनमिस्ट ने यह मान लिया था कि भारत पूर्ण लोकतंत्र होने के काफ़ी क़रीब पहुँच गया है। यही वह साल था जब भारत में बड़ा सत्ता परिवर्तन हुआ और नरेंद्र मोदी की सरकार बनी। 2014 के बाद से भारत के अंक गिरने शुरू हो गए। 2019 में वे सात…

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You don’t Know Anything About That Other ‘Religion’, Mr Minister!

Sri Ram Pandeya A union minister tweeted the following a few days back: “Playing 109 balls to score 7! That is atrocious, to say the least. Hanuma Bihari has not only killed any Chance for India to achieve a historic win but has also murdered Cricket.. not keeping win an option, even if remotely, is…

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किसान पंचायतों के जरिये कांग्रेस में जान फूंकने जुटीं प्रियंका

उत्तर प्रदेश का सियासी माहौल इन दिनों बेहद गर्म है।  प्रियंका आज सहारनपुर के अलावा आगे भी  पश्चिमी उत्तर प्रदेश में होने वाली कांग्रेस की इन किसान महापंचायतों में शामिल हो सकती हैं। निश्चित रूप से कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ जिस तरह का माहौल पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बन रहा है, उससे इस इलाक़े में…

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धूमिल की यह कविता अभी ठीक से पढ़ी जानी बाकी है – प्रियदर्शन

आधी सदी पहले सुदामा पांडेय यानी धूमिल ने ‘पटकथा’ नाम की वह कविता लिखी थी जिसने तार-तार होते हिंदुस्तान को इस तरह देखा जैसे पहले किसी ने नहीं देखा था इन दिनों अराजकता, लोकतंत्र, उम्मीद और क्रांति जैसे ढेर सारे शब्द सुनने को मिलते रहते हैं. राजनीति की इस नई हलचल के बीच हिंदी के…

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