साथी सरोज छंद की स्मृति में – गोपाल नायडू

दुनिया, गज़ब के सांस्कृतिक आक्रमण और आतंक से जूझ रही है और संकट अत्याधिक सघन होते जा रहा है क्योंकि संस्कृति के सवाल पर मौन, निस्तब्धता और बिखराव का आलम है। हर रोज जिस दुनिया को लोकतांत्रिक और प्रगतिशीलता की ओर अगला कदम उठाना था, वह ठिठकी हुई सी खड़ी है।  लगातार बढ़ते इस दमन के दौर में दलित, आदिवासी और अल्प-संख्यक समुदायों के शोषण के खिलाफ लड़ रहे जनपक्षधर लोगों की कमी महसूस हो रही है। इसी बीच हमने हमारे जुझारू साथी सरोज छंद को भी अल्पायु में खो दिया है।

विगत कुछ सालों से वे स्वास्थ संबंधी परेशानियों से जूझ रहे थे। निरंतर चिकित्सकीय परामर्श के बाद जानकारी हुई कि वे ब्लड  कैंसर से पीड़ित है। बावजूद इसके वे अपने कर्म से जुड़े रहे। किसी को भी इसकी जानकारी नहीं दी। हालात और खराब हुई तो इलाज के लिए दिल्ली के कुछ साथियों के पास भेजा गया। लेकिन दिल्ली पहुँचकर  उन्होने दिल्ली के साथियों से संपर्क नहीं किया। दो दिन बाद भी सरोज का कुछ अत्ता-पत्ता नहीं मिलने पर दिल्ली के साथियों ने पुलिस में एफ॰आय॰आर॰ दर्ज कराई। तलाशी में दिल्ली के एम्स हॉस्पिटल के सी॰सी॰टी॰वी॰ फूटेज में सरोज की  तस्वीर उमटी। लेकिन इस दौरान वे वापस लौट चुके थे। सरोज रायपुर रेल्वे स्टेशन पर उतरे और वहीं एक बेंच पर सो गए। उनकी तबीयत और खराब होने लगी।। तभी रेल्वे पुलिस ने संदिग्ध हालात में उठाकर सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया, जहां उनकी मृत्यु हो गई। जांच के बाद पुलिस ने इसकी सूचना परिवार वालों को दी। परिवार ओडिशा  के बरगढ़ जिल्हा से लगभग 30 कि॰मी॰ की  दूरी पर बुगबुगा गाँव में है। यह दिन था 2 नवम्बर 2019 का था। वे गरीब परिवार में 9.7.1980 में जन्मे थे। परिवार में भाई-बहिन और माता-पिता हैं।

      साथी सरोज की अंतिम यात्रा और शोक सभा 2 नवम्बर 2019 को उनके गाँव बुगबुगा में सम्पन्न हुई। इसमें पूरे ओडिशा  और देश के अन्य हिस्सों से कार्यकर्ता और सांस्कृतिक कर्मी शामिल हुए। यह वह दिन था जब  देश के सांस्कृति-कर्मियों  की  आवाज से पूरा बुगबुगा गाँव गूंज उठा था।  इस अवसर पर जन सभा हुई।  विगत दो  दशक से तमाम शोषित-पीड़ित के मुक्ति के लिए चल रहे जनआंदोलन के साथ-साथ सांस्कृतिक आंदोलन में एक सशक्त स्वर के रूप में मुखर होकर उभरे साथी सरोज की स्मृतियाँ एक-एककर खुलकर सामने लगी।

      साथी सरोज 2000 में समाजवादी चिंतक किसन पटनायक के नेतृत्व में बरगढ़ जिल्हा में चल रहे किसान आंदोलन में शरीक हुए थे। उनकी सक्रियता लगातार जारी रही। ओडिशा के तमाम आंदोलन में उनकी अहम भूमिका थी। चाहे फिर कासीपुर आंदोलन हो, नियमगिरी हो या पास्को  आंदोलन, आदि। शिक्षा  के  निजीकरण के खिलाफ चल रहे संघर्ष में गाँव के लोगों को शामिल करने में बढ़-चढ़ कर काम किया। ओडिशा लोकगीत के धुनों में गीतों की रचना की।  उन्होने सबसे पहले ‘गाँव की नीति’ सांस्कृतिक संगठन से शुरुआत की।

      साथी सरोज एक उम्दा रंगकर्मी भी थे। उन्होने ओडिशा  नाटक  ‘भागधारा’ और ‘हाथीचल’ में प्रमुख भूमिका अदा की थी। ये दोनों नाटक पूरेओडिशा  प्रांत में चर्चित हुए थे। समय के साथ उन्होने महसूस किया कि देश के स्तर पर सांकृतिक कर्मियों का एक मंच होना  चाहिए ताकि जबर्दस्त आंदोलन की गूंज पूरे देश के स्तर पर बड़ी हलचल पैदा कर सके। इसीलिए वे उनके सांस्कृतिक साथियों के साथ 2015 में  ‘अखिल भारतीय रेला मंच’ में  शामिल हो गए। 2016 में दिल्ली  में निकाले गए ‘अधेरे में दिल्ली’ कार्यक्रम में उन्होने महत्वपूर्ण  भूमिका निभाई। और देखते ही देखते लगातार सत्ता और आर॰एस॰एस॰ के द्वारा हो रहे सांस्कृतिक हमले के खिलाफ जारी  लड़ाई में ओडिशा  का नेतृत्व करते रहे।

      इस कार्यक्रम का अंत उनके द्वारा किए चर्चित नाटक ‘बागधारा’ से सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर ओडिशा  के जाने माने कवि और पद्मभूषण से सम्मानित सी॰ हलधर ने कहा,‘सरोज की स्मृति में एक कैंसर अस्पताल बरगढ़  में बनाने कि मांग सरकार के सामने रखेंगे। उनपर एक वृत चित्र भी दिखाई गई। वहाँ की  ग्राम पंचयत ने उनकी स्मृति में सांस्कृतिक भवन के लिए जगह दी और भवन के निर्माण के लिए धन राशि भी देने का संकल्प लिया।

      यह उसी मुर्दा शांति का वक्त है। हर प्रगतिशील समाज कि तरह साथी सरोज का भी सपना है कि हम बेहतर दुनिया बनाएँ, जिसमें वृद्धों, महिलाओं, बच्चों के लिए समान जगह हो, जाति-वर्ग, धर्म का भेदभाव न हो, अभिव्यक्ति की आज़ादी हो, आनंद-दायक कला हो, संगीत और नाट्य सृजन हो, जनभिव्यक्ति के साथ चलता सृजनकर्म हो, परस्पर सहभागिता के आधार परस्पर  भाषाओं का विकास हो, लोक कलाएं-गीत-नृत्य, कथाएँ, शैलियाँ (आदिम से परिष्कृत तक) खुलकर प्रदर्शित की जा सकें। सभा में यही स्वर था कि यह सांस्कृतिक चेतना की अलख जगाएँ रखे और साथ चलें। साथी सरोज के सपने को आगे ले जाएँ।      

फिलहाल साथी लाल सलाम।

गोपाल नायडू सुपरिचित लेखक, सामाजिक कार्यकर्ता हैं । संपर्क  –  9-बी, कौशलाया अपार्टमेंट, चुना भट्टी,अजनी रोड, प्रशांत नगर, नागपुर – 440 015,  मो : 9422762421   e.mail – gopal naidu.art@gmail. 

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