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मशहूर कोरियोग्राफर सरोज खान का निधन

बॉलीवुड की मशहूर कोरियोग्राफर ने शुक्रवार देर रात को बांद्रा स्थित गुरु नानक हॉस्पिटल में अंतिम सांस ली। मनोरंजन जगत के तमाम सेलेब्स सरोज खान को श्रद्धांजलि दे रहे हैं। बहुत कम लोग ही जानते हैं कि 22 नवंबर, 1948 को जन्मी सरोज खान का असली नाम निर्मला नागपाल है।

सरोज के पिता का नाम किशनचंद सद्धू सिंह और मां का नाम नोनी सद्धू सिंह है। विभाजन के बाद सरोज खान का परिवार पाकिस्तान से भारत आ गया। पैसों की तंगी के कारण सरोज ने बहुत कम उम्र में काम करना शुरू कर दिया था। उन्होंने महज 3 साल की उम्र में बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट फिल्मों में काम करना शुरू कर दिया था। उनकी पहली फिल्म नजराना थी, जिसमें उन्होंने श्यामा नाम की बच्ची का किरदार निभाया था।

सरोज खान ने 13 साल की उम्र में अपने पहले डांस 43 साल के मास्टर बी. सोहनलाल, जो कि पहले से शादीशुदा और चार बच्चों के पिता थे, से शादी की थी। सरोज ने बी. सोहनलाल से करने के लिए इस्लाम धर्म कबूल कर लिया था। एक इंटरव्यू में सरोज ने बताया था कि मैंने अपनी मर्जी से इस्लाम धर्म कबूल किया था। उस वक्त मुझसे कई लोगों ने पूछा कि मुझ पर कोई दबाव तो नहीं है लेकिन ऐसा नहीं था। मुझे इस्लाम धर्म से प्रेरणा मिलती है।

बॉलीवुड को ये फेमस गाने देकर सभी के दिलों में हमेशा बसी रहेंगी कोरियोग्राफर सरोज खान

50 के दशक में सरोज ने बतौर बैकग्राउंड डांसर काम करना शुरू कर दिया। उन्होंने कोरियोग्राफर बी.सोहनलाल के साथ ट्रेनिंग ली। 1974 में रिलीज हुई फिल्म गीता मेरा नाम से सरोज एक स्वतंत्र कोरियोग्राफर की तरह जुड़ीं। हालांकि, उनके काम को काफी समय बाद पहचान मिली। 

सरोज खान को मदर ऑफ डांस कहा जाता है। उन्होंने बॉलीवुड की हर बड़ी एक्ट्रेस को अपने डांस मूव्स पर नचवाया है। उन्होंने लगभग 2000 से ज्यादा गानों को कोरियोग्राफ किया है। उन्होंने सुपरडुपरहिट फिल्मों ‘मिस्टर इंडिया, चादनी, बेटा, तेजाब, नगीना, डर, बाजीगर, अंजाम, मोहरा, याराना, दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे, परदेश, देवदास, लगान, सोल्जर, ताल, फिजा, साथ‌िया, स्वदेश, कुछ ना कहो, वीर जारा, डॉन, फना, गुरु, नमस्ते लंदन, जव वी मेट, एजेंट विनोद, राउडी राठौड़, एबीसीडी, तनु वेड्स मनु रिटर्न्स, मणिकर्णिका’ तक के गानों को कोरियोग्राफ किया है।