थाईलैंड के सबसे प्रतिष्ठित बौद्ध मंदिर की दीवारों पर रामायण के चित्रों की कहानी क्या है?

वाट फ्रा काएव या ‘हरित बुद्ध मंदिर’ थाईलैंड में बौद्ध धर्मावलंबियों का सबसे प्रतिष्ठित तीर्थ स्थान है. लेकिन परिसर को घेरने वाली बाहर की दीवार आस्था के साथ-साथ किसी भी भारतीय के लिए हैरानी का विषय बन सकती है. इस पूरी दीवार पर रामायण का चित्रांकन है.  मंदिर के चारों ओर बनी दीवार पर चित्रों के माध्यम से कही गई रामायण इस देश के सांस्कृतिक पुनर्गठन की कथा है थाई भाषा में रामाकीन का अर्थ है राम की गौरव गाथा.

वाट फ्रा काएव या ‘हरित बुद्ध मंदिर’ थाईलैंड में बौद्ध धर्मावलंबियों का सबसे प्रतिष्ठित तीर्थ स्थान है. राजधानी बैंकाक के केंद्र में बने इस मंदिर के पास ही शाही महल है. मंदिर के परिसर में सौ से ज्यादा इमारतें हैं. गौतम बुद्ध की हरे पत्थर से बनी मूर्ति के कारण ही यह मंदिर हरित बुद्ध मंदिर के नाम से पूरी दुनिया में लोकप्रिय है. थाईलैंडवासियों के लिए ये हरित बुद्ध उनके देश के रक्षक हैं.

इस मंदिर परिसर को तकरीबन दो किमी लंबी दीवार से घेरा गया है. हमारे समाज में ईश्वर अवतार के रूप में बुद्ध की प्रतिष्ठा है, हम में से कइयों के लिए यह मंदिर आस्था का विषय हो सकता है. लेकिन परिसर को घेरने वाली बाहर की दीवार आस्था के साथ-साथ किसी भी भारतीय के लिए हैरानी का विषय बन सकती है. इस पूरी दीवार पर रामायण का चित्रांकन है.

थाईलैंड बौद्ध बहुल देश है जहां राजा सहित तकरीबन पूरी आबादी रामाकीन (रामायण) के अठाहरवीं शताब्दी में अस्तित्व में आए संस्करण को राष्ट्रीय ग्रंथ की तरह मानती है  

यह चित्रांकन कला और रंगों की गुणवत्ता के लिहाज से बहुत ऊंचे दर्जे का है. इसके माध्यम से थाईलैंड में प्रचलित रामायण – रामाकीन के नायक फ्रा राम की कहानी दिखाई गई है. ये चित्र दीवार के कुल 178 हिस्सों (पैनलों) पर बने हैं और कुछ दशकों के अंतराल पर इनका ‘रेस्टोरेशन’ किया जाता रहता है. पिछली बार 2004 में ऐसा हुआ था.

थाई भाषा में रामाकीन का अर्थ है राम की गौरव गाथा. यह कहानी भी तकरीबन वाल्मीकि रामायण जैसी है, बस कुछ जगहों के विवरण और चरित्र थोड़े अलग हैं. भारत में रामायण एक धर्मग्रंथ है वहीं थाईलैंड के लिए यह उसकी संस्कृति का प्रतिनिधि महाग्रंथ है जिसकी कहानी उसी देश के किरदारों को आधार बनाकर बुनी गई है.

अब सवाल पैदा होता है कि हिंदुओं के इस धर्मग्रंथ को बौद्ध धार्मिक स्थल की दीवारों पर जगह क्यों दी गई है?

इस सवाल का जवाब भारतीय और दक्षिणपूर्व एशियायी देशों की संस्कृतियों के बीच मेल में खोजा जा सकता है. माना जाता है दक्षिण भारतीय व्यापारी आज से तकरीबन तेरह सौ साल पहले इन क्षेत्रों में पहुंचे थे. इनके साथ दक्षिण-पूर्व एशिया में रामायण भी पहुंची और हिंदू धर्म की कई परंपराएं भी. ये इलाके कुछ समय तक हिंदू राजाओं के अधीन भी रहे और इससे हिंदू धर्म की जड़ें यहां और गहरी हो गईं. लेकिन जब ये राजवंश खत्म हुए तो धीरे-धीरे हिंदू धर्म भी हाशिये पर चला गया.

इन क्षेत्रों की संस्कृति में हिंदू धर्म के घुले-मिले अंश आज भी देखे जा सकते हैं. कंबोडिया का ही उदाहरण लें तो ब्राह्मण यहां नए राजा के राज्याभिषेक की परंपरा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. 12 साल पहले जब यहां नए राजा को सिंहासन सौंपा गया था तो भारतीय मीडिया में इस बात की काफी चर्चा हुई थी.

थाईलैंड बौद्ध बहुल देश है जहां राजा सहित तकरीबन पूरी आबादी रामाकीन के अठाहरवीं शताब्दी में अस्तित्व में आए संस्करण को राष्ट्रीय ग्रंथ की तरह मानती है  

इंडोनेशिया दुनिया में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाला देश है लेकिन यहां छाया कठपुतली विधा में रामायण का मंचन काफी लोकप्रिय है. थाईलैंड बौद्ध बहुल देश है जहां राजा सहित तकरीबन पूरी आबादी रामाकीन के अठाहरवीं शताब्दी में अस्तित्व में आए संस्करण को राष्ट्रीय ग्रंथ की तरह मानती है.

थाईलैंड में एक समय रामायण के कई संस्करण प्रचलित थे लेकिन अब इनमें से गिने-चुने संस्करण ही बचे हैं. 18वीं शताब्दी के मध्य में सियाम (आज का थाईलैंड) के शहर अयुत्थया (अयोध्या का अपभ्रंश), जो तब देश की राजधानी था, को बर्मा की सेना ने तबाह कर दिया था. फिर बाद में जब चीनी सेना बर्मा में घुस आई तो उन्हें सियाम छोड़कर जाना पड़ा और यहां एक नए राजवंश व देश का उदय हुआ.

चक्री वंश के पहले राजा की उपाधि ही राम प्रथम थी. थाईलैंड में आज भी यही राजवंश है. जब बर्मी सेना यहां से चली गई तो देश में अपनी सांस्कृतिक जड़ों को खोजने की एक पूरी मुहिम चली और इसी दौरान रामायण को यहां दोबारा प्रतिष्ठा मिलनी शुरू हुई. रामायण का जो संस्करण आज यहां प्रचलित है वो राम प्रथम के संरक्षण में रामलीला के रूप में 1797 से 1807 के बीच विकसित हुआ था. राम प्रथम ने इसके कुछ अंशों को दोबारा लिखा भी है. इन्हीं वर्षों में थाईलैंड के इस सबसे प्रतिष्ठित बौद्ध मंदिर के चारों ओर बनी दीवार पर रामायण को चित्रित किया गया था.

सौज- सत्याग्रह ब्यूरोः लिंक नीचे दी गई है-

https://satyagrah.scroll.in/article/22037/ramayan-murals-thailand-buddhist-temple

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *