आज रात आप सब जो कहानियाँ सुना रहे हैं, उन्हें दो श्रेणियों में रखा जा सकता है। एक तो वे कहानियाँ हैं जिनमें एक ओर जीवित लोगों की दुनिया है, दूसरी ओर मृत्यु की दुनिया है, और कोई शक्ति है जो एक दुनिया से दूसरी दुनिया में आना-जाना संभव बना रही है। भूत-प्रेत आदि भी […]
Read Moreरूस के एक सम्पन्न परिवार में जन्मे लियो टॉल्सटॉय विश्व के सर्वाधिक सम्मानित लेखकों में से एक हैं । उन्होंने रूसी सेना में भर्ती होकर क्रीमियाई युद्ध में भाग लिया, लेकिन अगले ही वर्ष सेना छोड़ दी । युद्ध और शांति तथा अन्नाकेरेनिन्ना जैसी विश्व प्रसिद्ध किताबों के रचयिता टॉल्सयॉय ने अनेक यादगार कहीनियां लिखीं […]
Read Moreकविता रामवृक्ष बेनीपुरी, प्रेमचंद की श्रेणी के ही लेखक थे जिनकी रचनाओं में हमारे देश की आत्मा यानी गांवों का इतनी बहुलता से और इतना जीवंत वर्णन मिलता है.यह काफी अफसोस की बात है कि रामवृक्ष बेनीपुरी के जीते-जी और उनके बाद भी इन कहानियों का उस तरह मूल्यांकन नहीं हुआ. समकालीनों द्वारा उनके ऊपर […]
Read Moreअनुराग भारद्वाज ‘मुसाफ़िर’ में सलिल चौधरी ने दिलीप कुमार से एक गाना गवाया था जिसके लिए दिलीप साहब ने तीन ग्लास ब्रांडी पी थी.सलिल चौधरी के कई परिचय हो सकते हैं. महान संगीतकार, लेखक, गीतकार और फ़िल्म समीक्षक. एक परिचय और है जिसकी परछाई में उनके ये सारे हुनर पले. वह है – साम्यवादी सलिल […]
Read Moreकविता यह उनकी संपादकीय कुशलता का नतीजा था कि ‘धर्मयुग’ हमेशा के लिए एक किंवदंती बन गई. हालांकि इसी दौर में बतौर साहित्यकार धर्मवीर भारती कहीं पीछे छूटते गए. धर्मयुग के इन दिनों में सबसे बड़ा नुकसान रचनाकार भारती का ही हुआ. उनके द्वारा कहानियां कविताएं और उपन्यास लिखने का क्रम अब कम से कम […]
Read Moreचित्तौड़गढ़। सुप्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी रामचन्द्र नन्दवाना के जन्म शताब्दी वर्ष में साहित्य संस्कृति के संस्थान संभावना द्वारा ‘स्वतन्त्रता सेनानी रामचन्द्र नन्दवाना स्मृति सम्मान’ की घोषणा कर दी गई है। वर्ष 2020 के लिए ‘स्वतन्त्रता सेनानी रामचन्द्र नन्दवाना स्मृति सम्मान’ बरेली (उत्तर प्रदेश) निवासी सुधीर विद्यार्थी को उनकी चर्चित कृति ‘क्रांतिकारी आन्दोलन : एक पुनर्पाठ’ पर […]
Read Moreकविता जैसा अमृता प्रीतम ने अपने लिए चुना, वैसा ही प्यार और आजादी के मेल से बना चटख रंग वे हर स्त्री के जीवन में चाहती थीं अपनी आत्मकथा ‘रसीदी टिकट’ की भूमिका में अमृता प्रीतम लिखती हैं – ‘मेरी सारी रचनाएं, क्या कविता, क्या कहानी, क्या उपन्यास, सब एक नाजायज बच्चे की तरह हैं. […]
Read Moreये वही बिब्बी थी, फैजाबाद में जिसका घर दुश्मनों ने जलाकर राख कर डाला था और वह अपनी झिलमिल आंखों से सबकुछ को राख में बदलते हुए देखती रह गई थी। मां मुश्तरी बाई जिसे लेकर गया बिहार चली गई थीं और जो कई उस्तादों से संगीत की तालीम हासिल करने के बाद अख्तरी […]
Read Moreअनुराग भारद्वाज भारत में पली-बढ़ीं इकबाल बानो ने जिया-उल-हक के फरमान के खिलाफ साड़ी पहनकर फैज़ की नज़्म ‘हम देखेंगे’ गाई और इस तरह खुद के साथ-साथ इस नज्म को भी अमर कर दिया. किस्सा यूं है कि 1985 में पाकिस्तान के फौजी आमिर (डिक्टेटर) ज़िया-उल-हक़ ने मुल्क में कुछ पाबंदियां लगा दी थीं. इनमें […]
Read Moreकविता इस्मत चुगतई ने बाकायदा अपनी आत्मकथा लिखी है – ‘कागजी है पैरहन’ पर बावजूद इसके ‘टेढ़ी लकीर’ को हमेशा उनकी आत्मकथा की तरह पढ़ा जाता रहा. कारण यह कि इसकी नायिका शम्मन की जिंदगी और उसकी शख्सियत इस्मत चुगतई के जीवन और स्वभाव से बहुत ज्यादा करीब दिखती है. इतनी कि लोगबाग शम्मन में […]
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