तनवीर जाफ़री दुर्भाग्यवश, अलक़ाएदा, आईएसआईएस व तालिबान तथा इनसे जुड़े व इनका अनुसरण करने वाले अनेक हिंसक व आतंकी संगठन इसलाम के नाम का ही इस्तेमाल कर अक्सर कोई न कोई ऐसी दिल दहलाने वाली घटना अंजाम देते रहते हैं जिससे इसलाम बदनाम होता है। इन्हीं हिंसक वारदातों ने उन अनेकानेक पूर्वाग्रही ग़ैर मुसलिम […]
Read Moreमधुरेश कुमार बोलीविया में 18 अक्टूबर के राष्ट्रीय चुनावों में पूर्व राष्ट्रपति इवो मोरालेस की पार्टी मूवमेंट टुवर्ड्स सोशलिज्म (MAS) के उम्मीदवार लुइस आर्स की भारी जीत हुई है। इस जीत के साथ ही दक्षिण अमेरिकी देशों में वामपंथी ताकतों को बल मिलेगा और इक्वाडोर और चिली के आगामी चुनावों में भी इसके असर दिखेंगे। नयी MAS […]
Read Moreअव्यक्त आज से 110 साल पहले महात्मा गांधी ने राम को हर धर्म के भारतीय के लिए माननीय बताया था. इसके 37 साल बाद उन्होंने दशहरा को मनाने का सही तरीका भी बताया था रामजी की जीत मनाने के लिए ही दशहरा है. पीछे कहते हैं कि एकादशी है, उस दिन तो राम का भरत […]
Read Moreसंजय राय जांच भी आप करो, आरोप भी आप लगाओ और फ़ैसला भी आप ही सुनाओ! तो अदालतें किसलिए बनी हैं? यह कोई फ़िल्मी डायलॉग नहीं बल्कि बॉम्बे हाई कोर्ट की फटकार है, जो उसने सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में रिपब्लिक चैनल की रिपोर्टिंग के तरीके को लेकर सुनाई है। हाई कोर्ट ने […]
Read Moreहिंदी सिनेमा जिस ओम पुरी को याद करता है, वह अब भी सत्तर और अस्सी के दशकों में लरजती आंखों और खुरदरी आवाज़ वाला वह अभिनेता था जिसके बगैर कई फिल्में वह प्रामाणिकता हासिल न कर पातीं जो कर पाईं. यह कुछ उदास करने वाला अफ़साना है कि किस तरह समानांतर सिनेमा के सभी कलाकार […]
Read Moreअजय कुमार ग्लोबल हंगर इंडेक्स के अनुसार 2020 में दुनिया भर के 107 देशों में से भारत 27.2 स्कोर के साथ 94वें रैंक पर है। भारत से 21 पायदान ऊपर नेपाल है और 19 पायदान ऊपर बांग्लादेश है। इससे साफ है कि जिन 107 देशों का डेटा इस साल साझा किया गया है, उनमें से […]
Read Moreसत्यम श्रीवास्तव सिविल सोसायटी के भीतर ‘सिविल सोसायटी’ शब्द एक बार फिर से चर्चा में है। एक लोकतान्त्रिक देश जो नागरिकों का है, नागरिकों के द्वारा है और नागरिकों के लिए ही वजूद में है, वहां सिविल सोसायटी या नागरी समाज का भिन्न-भिन्न कारणों से चर्चा में आना इस बात का पुख्ता सबूत है कि […]
Read Moreरविकान्त डॉक्टर बी. आर आंबेडकर ने 14 अक्टूबर, 1956 को हिन्दू धर्म त्याग कर बौद्ध धर्म अपना लिया। 64 साल पहले हुई इस महत्वपूर्ण घटना की क्या वजह थी? डॉक्टर आंबेडकर ने बौद्ध धर्म की ही दीक्षा क्यों ली? ‘असमानता और उत्पीड़न के प्रतीक, अपने प्राचीन धर्म को त्यागकर आज मेरा पुनर्जन्म हुआ है। अवतरण […]
Read Moreएन.के. सिंह अगर शीर्ष पर बैठा अफसर या मुख्यमंत्री शिद्दत से चाह ले तो शेकडाउन सिस्टम को ख़त्म किया जा सकता है लेकिन जिन समाजों में पे-ऑफ़ सिस्टम का भ्रष्टाचार जड़ें जमा चुका है वहां से इसका हटना लगभग नामुमकिन होता है। अगर सुप्रीम कोर्ट के सीजेआई के बाद सबसे वरिष्ठ जज पर एक मुख्यमंत्री […]
Read Moreभारत में एमनेस्टी इंटरनेशनल ने अपना काम बंद कर दिया है। अपनी वेबसाइट पर इसकी औपचारिक घोषणा करते हुए उसने एक बयान में कहा है कि बीते 10 सितम्बर को उसे पता चला कि भारत सरकार ने एमनेस्टी इंडिया के सभी बैंक खाते फ्रीज़ कर दिए हैं। इसके कारण मजबूरी में संस्था को अपना काम […]
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