अमिताभ वेब सीरीज ‘पाताल लोक’ में इंस्पेक्टर हाथीराम चौधरी और उनके जूनियर इमरान अंसारी ने शानदार अभिनय किया है। ‘पाताल लोक’ में हम अल्पसंख्यकों के मसले पर समाज की सोच की परतें भी उघड़ती देखते हैं कि कैसे एक व्यक्ति पर टिप्पणी करते हुए पूरे समुदाय को निशाना बनाया जाता है। इसमें मुसलमानों पर हमले […]
Read Moreसफ़ूरा, मीरान के बाद “पिंजरा तोड़” की सदस्यों देवांगना, नताशा को भी दिल्ली में हुई हिंसा की साज़िश में संलिप्तता के आरोप में गिरफ़्तार किया गया है। गिरफ़्तारी उन लोगों की हो रही है जो दिल्ली में अलग-अलग जगहों पर सीएए, एनआरसी और एनपीआर के ख़िलाफ़ हुए विरोध-प्रदर्शनों में किसी न किसी रूप में शामिल […]
Read Moreतनवीर जाफ़री वैसे तो नेताओं के पर्यायवाची के रूप में रहबर, रहनुमा, मार्गदर्शक, नेतृत्व प्रदान करने वाला आदि बड़े ही सुन्दर-सुन्दर शब्द इस्तेमाल किये जाते हैं। परन्तु यह भी शाश्वत सत्य है कि आज दुनिया में हो रही प्रायः हर उथल-पुथल के लिए यही नेता व रहबर ज़िम्मेदार हैं। इतिहास इस बात का भी हमेशा […]
Read Moreआशुतोष यह मैं मानता हूँ कि लॉकडाउन कोरोना का समाधान नहीं है लेकिन लॉकडाउन लगाकर जो तैयारी इस बीच करनी चाहिये थी वह नहीं की गयी। हम पश्चिम के देशों से तुलना नहीं कर रहे हैं, पर भारत जैसे 135 करोड़ के देश में डेढ़ महीने से अधिक का वक़्त लग जाए प्रतिदिन एक लाख […]
Read Moreशम्शुल इस्लाम सारे विश्व को कुनबा मानने वाले हमारे देश के कर्णधार इन मज़दूरों को जिन में से बहुत बड़ी तादाद दलितों, पिछड़ी जातियों और अल्पसंखयकों की है ”प्रवासी” कहकर सिर्फ इन का अपमान ही नहीं कर रहे हैं बल्कि अपनी नस्लवादी सोच को ही ज़ाहिर कर रहे हैं। यह अजीब बात है की जब […]
Read MoreBy- हृदयेश जोशी मनरेगा को नाकामियों का स्मारक बताने वाले अचानक से मनरेगा में अपने मुक्ति का मार्ग क्यों खोजने लगे हैं? बात मनरेगा के बहाने सामाजिक सुरक्षा की, आखिर क्यों पूरी दुनिया में धुर पूंजीवाद की वकालत करने वाले शासक भी संकट के समय साम्यवादी हो जाते हैं. 20 लाख करोड़ के विशेष पैकेज […]
Read MoreBy-Azim Premji Sixteen young men were mowed down by a train. The details are still being investigated. But we do know the basic truth. Like millions of others who lost their livelihood, they were starving. So, they decided to walk a few hundred kilometres to their homes and slept on the tracks assuming no trains […]
Read MoreBy- सत्यम श्रीवास्तव देश का संविधान क्या अपने नागरिकों की इस दुर्दशा पर आपसे आँखें मूँद लेने की उम्मीद करता है या देश का संविधान अपने नागरिकों के गरिमामय जीवन की रक्षा के लिए प्रतिबद्धता को बार बार स्थापित किए जाने के लिए आपके न्यायालय का रास्ता नागरिकों को दिखाता है? माननीय सर्वोच्च न्यायालय से […]
Read Moreरेल मंत्री चुन कर उन राज्यों पर आक्रमण करें जहाँ उनके दल की सरकार नहीं है, वह भी इस विपदा की घड़ी में, इससे ज़ाहिर होता है कि भारतीयता जैसी कोई उदात्त भावना नहीं जो राजनीति से ऊपर उठाने की ताक़त रखती हो। “चारों दिशाओं से चारों दिशाओं में उजड़े घर छोड़कर दूसरे उजाड़ों में […]
Read Moreमुकेश कुमार सिंह – दरअसल, प्रधानमंत्री जानते थे कि देश की माली हालत ऐसी नहीं है कि वो दिल खोलकर मदद बाँट सकें। लिहाज़ा, उन्होंने ‘भाषणं किम् दरिद्रतां’ यानी ‘भाषण देने में भी कंजूरी क्यों करें’ वाली रणनीति बनायी। इसीलिए राहत का ऐलान हुआ 2 लाख करोड़ रुपयेका, लेकिन भाषणबाज़ी हुई 21 लाख करोड़ रुपये […]
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