रविकान्त रामधारी सिंह दिनकर ने अपनी चर्चित किताब ‘संस्कृति के चार अध्याय’ में लिखा है कि, “इसलाम जब अपने निर्मल उत्कर्ष पर था, तब भी वह भारत में आ चुका था। किंतु, तब उसका आगमन मित्रता के नाते हुआ था। अरब, फ़लीस्तीन और मिस्र से भारत का प्राचीनतम व्यापारिक संबंध था। भारत और पश्चिम के […]
Read Moreप्रभात पटनायक केंद्र सरकार ने संसद में कहा है कि राष्ट्रीय सामाजिक सहायता योजना के अंतर्गत बुजुर्गों को दी जाने वाली मासिक पेंशन की राशि में कोई बढ़ोतरी नहीं होगी। इस समय इस योजना के अंतर्गत 60 से 79 साल तक उम्र वालों के लिए 200 रु महीना और 80 वर्ष और उससे अधिक आयु […]
Read Moreशीर्षक देखकर चौंकने की जरूरत नहीं है। दोनो की एक साथ याद यूं आई कि शिक्षक सरकार के सबसे बड़े पशुधन हैं। मराठी में बैल को पोल कहते हैं- हमारे यहां पोल आकर पोला हो गया। पोला है बैलों का त्यौहार। पोला के दिन बैलों को सजाते सँवारते हैं, उसकी पूजा करते हैं कि हे […]
Read Moreअनिल जैन नज़रिया: हर समाज, देश और युग में कोई न कोई महानायक हुआ है जिसने अन्याय और अत्याचार के तत्कालीन यथार्थ से जूझते हुए स्थापित व्यवस्था को चुनौती दी है और सामाजिक न्याय की स्थापना के प्रयास करते हुए न सिर्फ अपने समकालीन समाज को बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी गहरे तक प्रभावित किया […]
Read Moreभारत का बंटवारा 20 वीं सदी की सबसे बड़ी त्रासदियों में से एक था. बंटवारे के दौरान जितनी बड़ी संख्या में लोगों की जानें गईं और जिस बड़े पैमाने पर उन्हें अपने घर-गांव छोड़कर सैकड़ों मील दूर अनजान स्थानों पर जाना पड़ा, उस पैमाने की त्रासदी दुनिया में कम ही हुईं हैं. बंटवारे के घाव […]
Read Moreनागरिकता को लेकर भारत के आम लोगों के बीच चार मशहूर बुद्धिजीवियों ने भारत में नागरिकता का गठन करने वाले उन प्रमुख पहलुओं का गहराई से अध्ययन किया है, जो हाल ही में सत्ता पर काबिज सरकार के विवादास्पद फ़ैसलों के चलते जनसामान्य के बीच तीग्र बहस का विषय रहा है। नागरिकता को लेकर भारत […]
Read Moreअपने बारे में जानकारियों को लेकर इतना संकोच क्यों? और क्या हम यह भी नहीं कहते रहे हैं कि हमें पारदर्शी होना चाहिए? वही अच्छा है जो बाहर और भीतर एक हो? हम ऐसा कुछ करें ही क्यों जिसे लेकर पर्दादारी करनी पड़े? निजता को लेकर दार्शनिक और क़ानूनी बहस होती रही है। मुझे मेरे व्यक्तित्व […]
Read Moreएजाज़ अशरफ़ यह सिर्फ राहुल गांधी, ममता बनर्जी, प्रशांत किशोर या पत्रकारों को फोन के माध्यम से ट्रैक किए जाने का मसला नहीं है। बल्कि चिंता इस बात की है कि दुनिया भर में कोई भी स्पाइवेयर की जासूसी/निगरानी से सुरक्षित नहीं है।यह बात संभव है कि भारत में जनता उन लोगों के नामों के […]
Read Moreगत 5 जुलाई 2021 को भारतीय मानवाधिकार आंदोलन ने अपना एक प्रतिबद्ध, सिद्धांतवादी और अथक योद्धा खो दिया. फॉदर स्टेनीलॉस लोरडूस्वामी, जो स्टेन स्वामी के नाम से लोकप्रिय थे, ने मुंबई के होली स्पिरिट अस्पताल में अंतिम सांस ली. जिस समय वे अपनी मृत्युशैया पर थे उस समय उनकी जमानत की याचिका पर अदालत में […]
Read Moreअनिल जैन योगी सरकार ने अपने अभी तक के कार्यकाल में आम तौर पर अपना हर कदम ध्रुवीकरण को ध्यान में रख कर ही उठाया है। जनसंख्या नियंत्रण कानून के जरिए भी वह यही करने जा रही है। इस काम में ढिंढोरची मीडिया भी उसका मददगार बना हुआ है। उत्तर प्रदेश में पिछले साढ़े चार साल […]
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