आलेख

देश को पुलिस स्टेट में बदल रहा है सत्ता और पुलिस का गठजोड़

April 11, 2021

अनिल जैन आज से क़रीब छह दशक पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट के ही न्यायाधीश आनंद नारायण ने अपने एक फ़ैसले में लिखा था कि भारतीय पुलिस अपराधियों का एक संगठित गिरोह है। उत्तर प्रदेश में तमाम तरह के संगीन अपराधों में लगातार हो रही बढ़ोतरी के बावजूद सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अक्सर दावा करते […]

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माओवादियों में साहस है तो दिमाग़ों के युद्ध क्षेत्र में उतरें -अपूर्वानंद

April 5, 2021

धरना, जुलूस के ज़रिए आदिवासी उम्मीद कर सकते हैं कि शासन तक अपनी बात पहुँचा सकेंगे। लेकिन माओवादियों से ऐसी कोई आशा उन्हें नहीं है। वे वहाँ हुक्मउदूली की ग़लती नहीं कर सकते। माओवादियों का जनता से रिश्ता एक निरंकुश राज्य और जनता के रिश्ते जैसा है। फिर छत्तीसगढ़ से सीआरपीएफ़ के जवानों के मारे […]

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योगी जी, आपके राज में बलात्कारी नहीं, अभी भी महिलाएं ही डरी हुई हैं!

April 3, 2021

सरोजिनी बिष्ट उत्तर प्रदेश का ‘मिशन शक्ति’ हो या चार साल के कार्यकाल की किताब, महिला सुरक्षा को लेकर हक़ीक़त दावों से उलट ही है। केवल मार्च भर की ही बात करें तो अभी तक दर्जनों रेप, गैंगरेप की घटनाएं हमारे सामने आ चुकी हैं। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने 19 मार्च को अपने […]

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प्रताप भानु मेहता का इस्तीफा: अंतहीन समझौतों के लिए खुलता रास्ता!- अपूर्वानंद

March 31, 2021

श्रेष्ठता हमेशा ही जल्दबाज होती है और स्वतंत्रता की बलि दे सकती है। एक क्या बीसियों प्रताप को कुर्बान किया जा सकता है जिससे अशोका को श्रेष्ठता के लिए सुरक्षित किया जा सके। प्रश्न यह है कि यह श्रेष्ठता है ही क्या चीज़? क्या यह एक ब्रांड है?  अशोका यूनिवर्सिटी से प्रोफ़ेसर प्रताप भानु मेहता के […]

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ढाका में प्रधानमंत्री के सत्याग्रह के दावे से उठते सवाल! -प्रियदर्शन

March 28, 2021

बांग्लादेश के निर्माण के स्वर्ण जयंती समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह कह कर सबको हैरान कर दिया कि ढाका की मुक्ति के सत्याग्रह में उन्होंने हिस्सा लिया था और इसके लिए वह जेल भी गए थे। हालाँकि प्रधानमंत्री के इस दावे पर भारत में लगातार सवाल खड़े होने शुरू […]

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दिल्ली को लेकर केंद्र सरकार की साम्राज्यवादी लालसा -अपूर्वानंद

March 24, 2021

सत्ता में आने के बाद संघीय सहकार जैसे चतुर शब्दों का जाप करने के बाद सरकार ने एक के बाद एक ऐसे कदम उठाए हैं जिनसे संघीय भावना धीरे-धीरे क्षरित होती गई है। बीजेपी की “साम्राज्यवादी” और “विस्तारवादी” विचारधारा हर प्रदेश को अपने उपनिवेश में बदल देना चाहती है। दिल्ली को पूरी तरह अपने अँगूठे […]

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शहादत दिवस : कैसा था भगत सिंह के सपनों का भारत?

March 23, 2021

रविकान्त  ‘मुझे फाँसी हो जाने के बाद मेरे क्रांतिकारी विचारों की सुगंध हमारे इस मनोहर देश के वातावरण में व्याप्त हो जाएगी। वह नौजवानों को मदहोश करेगी और वे आज़ादी और क्रांति के लिए पागल हो उठेंगे। नौजवानों का यह पागलपन ही ब्रिटिश साम्राज्यवादियों को विनाश के कगार पर पहुँचा देगा। यह मेरा दृढ़ विश्वास […]

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अंतरराष्ट्रीय संस्थाएँ क्यों गिरा रही हैं भारत की रेटिंग?

March 16, 2021

अरविंद मोहन अनेक अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियों ने जब आर्थिक कामकाज और प्रदर्शन पर भारत की रेटिंग गिरानी शुरू की तो इस बार संसद में पेश आर्थिक सर्वेक्षण में बाजाप्ता इस बात की शिकायत की गई है कि हमारी आर्थिक स्थिति जैसी है वह बाहर की रेटिंग में क्यों प्रदर्शित नहीं होती। कई लोग मानते हैं […]

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हिंदू होने के लिए क्या अब नफ़रत और हिंसा ज़रूरी हो गई? – अपूर्वानंद

March 15, 2021

हिंदू धर्म का और भी सरलीकरण कर दिया गया है। उसके लिए मानसिक और आध्यात्मिक श्रम की आवश्यकता नहीं। मन में अन्य धर्मावलम्बियों के लिए द्वेष होना ही पर्याप्त है। विशेषकर मुसलमानों के लिए। फिर किसी मुसलमान को अकेले देखकर उसे पीट देना, उसकी फ़िल्म बनाना और उसे चारों ओर प्रसारित करना। जितने प्राणी उसे […]

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मैं श्वेत नहीं हूँ, और ज़ाहिर तौर पर मैं ‘अश्वेत’ भी नहीं हूँ

March 12, 2021

हीतेन कांति कलन हमारे पास तेज़ी से बहुलतावाद की तरफ़ आढ़ती संस्कृति के लिए उपयुक्त शब्दावली मौजूद है। तो हम लोगों पर वह लेबल क्यों लगाते हैं, जो वे हैं ही नहीं? मुझे आज भी सब कुछ स्पष्ट याद है – मैं परिवार के साथ देश की राजधानी से 4.5-5 घंटे दक्षिण में जा रहे […]

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