हिंदू धर्म का और भी सरलीकरण कर दिया गया है। उसके लिए मानसिक और आध्यात्मिक श्रम की आवश्यकता नहीं। मन में अन्य धर्मावलम्बियों के लिए द्वेष होना ही पर्याप्त है। विशेषकर मुसलमानों के लिए। फिर किसी मुसलमान को अकेले देखकर उसे पीट देना, उसकी फ़िल्म बनाना और उसे चारों ओर प्रसारित करना। जितने प्राणी उसे […]
Read Moreहीतेन कांति कलन हमारे पास तेज़ी से बहुलतावाद की तरफ़ आढ़ती संस्कृति के लिए उपयुक्त शब्दावली मौजूद है। तो हम लोगों पर वह लेबल क्यों लगाते हैं, जो वे हैं ही नहीं? मुझे आज भी सब कुछ स्पष्ट याद है – मैं परिवार के साथ देश की राजधानी से 4.5-5 घंटे दक्षिण में जा रहे […]
Read Moreलाल बहादुर सिंह किसान आंदोलन इस देश की जनता की सबसे बड़ी उम्मीद है, महज महान प्रेरणा के रूप में ही नहीं, वरन नीतिगत बदलाव की दिशा और सम्भावना की दृष्टि से भी। विश्व इतिहास के गम्भीर अध्येता प्रो. लाल बहादुर वर्मा के शब्दों में यह आंदोलन विश्व-इतिहास की अनूठी घटना है और इससे उचित ही लोगों को […]
Read Moreगायत्री आर्य ऑफिस में क्रेच खोलिए, मांओं को छुट्टी देने में नाक-भौं न सिकोड़िए, महिलाओं पर अश्लील चुटकुले न बनाइए. कुछ भी ऐसा करिए और तब कहिए कि आप महिलाओं का सम्मान करते हो प्रसव का दर्द और मातृत्व का सुख तब भी था जब भाषाएं और सभ्यताएं भी विकसित नहीं हुई थीं. यानी मातृत्व […]
Read Moreसिद्धार्थ गांगुली इन नियमों में जो शब्दावली उपयोग की गई है, उसके चलते नए आईटी नियमों की देश में लागू 2 बेहद विवादित और दमनकारी क़ानूनों से तुलना स्वाभाविक हो गई है। ट्विटर और वॉट्सऐप के साथ जारी मौजूदा विवाद के बीच केंद्र ने आईटी एक्ट के तहत नए नियम निकाल दिए हैं। इन नियमों […]
Read More2002 की हिंसा ने गुजरात में विभाजन मुकम्मल कर दिया। इस हिंसा ने हम जैसे बहुत से ग़ैर गुजरातियों का परिचय गुजरात से करवाया। गुजरात में जो हो रहा था, वह हमारे राज्यों में नहीं हो सकता, इस खुशफहमी में भी हम काफ़ी वक़्त तक रहे। लेकिन वहाँ जो मुसलमानों के साथ किया गया वह […]
Read Moreभारत के वर्तमान सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता भले ही हमारे धर्मनिरपेक्ष-बहुवादी और संघात्मक संविधान के नाम पर शपथ लेते हों परन्तु सच यह है कि यह पार्टी देश को आरएसएस के एजेंडे में निर्धारित दिशा में ले जा रही है. हमारे धर्मनिरपेक्ष-बहुवादी संविधान और आरएसएस के हिन्दू राष्ट्रवाद के बीच जो […]
Read Moreउर्मिलेश आमतौर पर दलीय-राजनीतिज्ञ इस तरह से सच नहीं बोला करते! लेकिन भाजपा वाले उनके सच बोलने से भी नाराज़ हैं। …लेकिन इतना ही नहीं अपने कहे का जवाब तलाशने के लिए राहुल गांधी को अपने उत्तर-भारतीय समाज और स्वयं अपने दलीय राजनीतिक इतिहास में झांकने की ज़रूरत है। वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश का आलेख केरल […]
Read Moreविभूति नारायण राय 1962 की शर्मनाक हार का देश के मनोबल पर क्या असर पड़ा, हमें कभी भूलना नहीं चाहिये। बजाय इतिहास को दोहराते हुए सरकार को युद्ध के लिए कूद पड़ने को मजबूर करने के हमें उसे याद दिलाते रहना होगा कि उसके लिये जितना ज़रूरी सीमाओं की हिफ़ाज़त करना है उससे कम ज़रूरी […]
Read Moreजैसे पोलियो निवारण के बारे में कहा जाता है कि कोई अगर एक भी टीका लेने से रह गया तो वह चक्र अधूरा रह जाता है, उसी प्रकार मूर्खता के सर्वव्यापीकरण में कोई छिद्र न रह जाए, इसका पूरा जतन किया जाता है। मूर्खता स्वैच्छिक होती है। आगे बढ़कर उसका वरण करना होता है। मूर्खता […]
Read More