आलेख

हिंदू होने के लिए क्या अब नफ़रत और हिंसा ज़रूरी हो गई? – अपूर्वानंद

March 15, 2021

हिंदू धर्म का और भी सरलीकरण कर दिया गया है। उसके लिए मानसिक और आध्यात्मिक श्रम की आवश्यकता नहीं। मन में अन्य धर्मावलम्बियों के लिए द्वेष होना ही पर्याप्त है। विशेषकर मुसलमानों के लिए। फिर किसी मुसलमान को अकेले देखकर उसे पीट देना, उसकी फ़िल्म बनाना और उसे चारों ओर प्रसारित करना। जितने प्राणी उसे […]

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मैं श्वेत नहीं हूँ, और ज़ाहिर तौर पर मैं ‘अश्वेत’ भी नहीं हूँ

March 12, 2021

हीतेन कांति कलन हमारे पास तेज़ी से बहुलतावाद की तरफ़ आढ़ती संस्कृति के लिए उपयुक्त शब्दावली मौजूद है। तो हम लोगों पर वह लेबल क्यों लगाते हैं, जो वे हैं ही नहीं? मुझे आज भी सब कुछ स्पष्ट याद है – मैं परिवार के साथ देश की राजधानी से 4.5-5 घंटे दक्षिण में जा रहे […]

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किसान-आंदोलन इस देश की जनता की सबसे बड़ी उम्मीद है

March 10, 2021

लाल बहादुर सिंह किसान आंदोलन इस देश की जनता की सबसे बड़ी उम्मीद है, महज महान प्रेरणा के रूप में ही नहीं, वरन नीतिगत बदलाव की  दिशा और सम्भावना की दृष्टि से भी। विश्व इतिहास के गम्भीर अध्येता प्रो. लाल बहादुर वर्मा के शब्दों में यह आंदोलन विश्व-इतिहास की अनूठी घटना है और इससे उचित ही लोगों को […]

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हमें खाली-पीली ‘हैप्पी विमंस डे’ या महिला दिवस की बधाई सुनना अच्छा नहीं लगता

March 8, 2021

गायत्री आर्य ऑफिस में क्रेच खोलिए, मांओं को छुट्टी देने में नाक-भौं न सिकोड़िए, महिलाओं पर अश्लील चुटकुले न बनाइए. कुछ भी ऐसा करिए और तब कहिए कि आप महिलाओं का सम्मान करते हो प्रसव का दर्द और मातृत्व का सुख तब भी था जब भाषाएं और सभ्यताएं भी विकसित नहीं हुई थीं. यानी मातृत्व […]

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क्या राजद्रोह और यूएपीए के बाद नए आईटी नियम असहमति को कुचलने के लिए केंद्र का नया हथियार हैं?

March 2, 2021

सिद्धार्थ गांगुली इन नियमों में जो शब्दावली उपयोग की गई है, उसके चलते नए आईटी नियमों की देश में लागू 2 बेहद विवादित और दमनकारी क़ानूनों से तुलना स्वाभाविक हो गई है। ट्विटर और वॉट्सऐप के साथ जारी मौजूदा विवाद के बीच केंद्र ने आईटी एक्ट के तहत नए नियम निकाल दिए हैं। इन नियमों […]

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इंसानियत के पानी की ज़रूरत अब गुजरात के बाहर भी! – अपूर्वानंद

March 1, 2021

2002 की हिंसा ने गुजरात में विभाजन मुकम्मल कर दिया। इस हिंसा ने हम जैसे बहुत से ग़ैर गुजरातियों का परिचय गुजरात से करवाया। गुजरात में जो हो रहा था, वह हमारे राज्यों में नहीं हो सकता, इस खुशफहमी में भी हम काफ़ी वक़्त तक रहे। लेकिन वहाँ जो मुसलमानों के साथ किया गया वह […]

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गोलवलकर और हमारा सत्ताधारी दल – राम पुनियानी

February 27, 2021

भारत के वर्तमान सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता भले ही हमारे धर्मनिरपेक्ष-बहुवादी और संघात्मक संविधान के नाम पर शपथ लेते हों परन्तु सच यह है कि यह पार्टी देश को आरएसएस के एजेंडे में निर्धारित दिशा में ले जा रही है. हमारे धर्मनिरपेक्ष-बहुवादी संविधान और आरएसएस के हिन्दू राष्ट्रवाद के बीच जो […]

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अपने ही इतिहास से शापित एक असहाय राजनीतिज्ञ का सच बोलना

February 25, 2021

उर्मिलेश आमतौर पर दलीय-राजनीतिज्ञ इस तरह से सच नहीं बोला करते! लेकिन भाजपा वाले उनके सच बोलने से भी नाराज़ हैं। …लेकिन इतना ही नहीं अपने कहे का जवाब तलाशने के लिए राहुल गांधी को अपने उत्तर-भारतीय समाज और स्वयं अपने दलीय राजनीतिक इतिहास में झांकने की ज़रूरत है। वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश का आलेख केरल […]

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सीमा विवाद सुलझाने हैं तो अंधराष्ट्रवाद की भूलभुलैया से निकलें

February 24, 2021

विभूति नारायण राय 1962 की शर्मनाक हार का देश के मनोबल पर क्या असर पड़ा, हमें कभी भूलना नहीं चाहिये। बजाय इतिहास को दोहराते हुए सरकार को युद्ध के लिए कूद पड़ने को मजबूर करने के हमें उसे याद दिलाते रहना होगा कि उसके लिये जितना ज़रूरी सीमाओं की हिफ़ाज़त करना है उससे कम ज़रूरी […]

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मूर्खता की राष्ट्रीय परीक्षा आयोजित की जा रही है! – अपूर्वानंद

February 22, 2021

जैसे पोलियो निवारण के बारे में कहा जाता है कि कोई अगर एक भी टीका लेने से रह गया तो वह चक्र अधूरा रह जाता है, उसी प्रकार मूर्खता के सर्वव्यापीकरण में कोई छिद्र न रह जाए, इसका पूरा जतन किया जाता है। मूर्खता स्वैच्छिक होती है। आगे बढ़कर उसका वरण करना होता है। मूर्खता […]

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