प्रिया श्रीवास्तव
किंग जॉर्ज कॉलेज, लंदन और ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनीवर्सिटी के साथ मिलकर तैयार की गई इस रिपोर्ट के अनुसार मध्य आय वर्ग वाले विकासशील देशों में गरीबी ज्यादा बढ़ने की आशंका है। रिपोर्ट के अनुसार चूंकि भारत की आबादी बहुत ज्यादा है, और यहां गरीबों की तादाद को देखते हुए एक बड़ी संख्या इससे प्रभावित होगी।
कोविड-19 महामारी के चलते दुनिया भर में गरीबों की संख्या 100 करोड़ से ज्यादा हो जाएंगी। इसमें 39.5 करोड़ अत्यंत गरीब होंगे। और इसकी सबसे ज्यादा मार भारत पर पड़ने वाली है। इस बात का खुलासा यूनाइटेड नेशंस यूनीवर्सिटी वर्ल्ड इंस्टीट्यूट फॉर डवलपमेंट इकोनोमिक्स की रिसर्च रिपोर्ट में हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार दक्षिण एशिया के विकासशील देश फिर से गरीबी का केंद्र बन सकते हैं। जहां पर 39.5 करोड़ अत्यंग गरीब लोगों में से आधे दक्षिण एशियाई देशों में होंगे। जिसका बड़ा केंद्र भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश होंगे।
भारत पर बड़ा असर
रिपोर्ट के अनुसार चूंकि भारत की आबादी बहुत ज्यादा है, और यहां गरीबों की तादाद को देखते हुए एक बड़ी संख्या इससे प्रभावित होगी। यही नहीं भारत ने जो पिछले दशकों में गरीबी मिटाने के जो सफल प्रयास किए हैं, उस पर भी महामारी की वजह से प्रतिकूल असर होने वाला है। लोगों की आय कम होने से भारत के विकास पर भी नकारात्मक असर होने की आशंका है। किंग जॉर्ज कॉलेज, लंदन और ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनीवर्सिटी के साथ मिलकर तैयार की गई इस रिपोर्ट के अनुसार मध्य आय वर्ग वाले विकासशील देशों में गरीबी ज्यादा बढ़ने की आशंका है। वैश्विक स्तर पर गरीबों के अनुपात में भी भारी बदलाव आने वाला है। ऐसे में दक्षिण एशिया और पूर्वी एशिया एक बार फिर से वैश्विक स्तर पर गरीबी के केंद्र बन सकते हैं।
गरीबों की आय में 50 करोड़ डॉलर का नुकसान
रिपोर्ट इस बात को भी चेताती है कि कोविड-19 महामारी की वजह से वैश्विक स्तर पर हर रोज गरीबों की कमाई में 50 करोड़ डॉलर का नुकसान होगा। अगर दैनिक न्यूनतम आय को 1.90 डॉलर का आधार माना जाय और उसमें से 20 फीसदी की गिरावट आए, तो दुनिया में 39.5 करोड़ बढ़ जाएंगे। इसमें से 30 फीसदी यानी 11.9 करोड़ गरीब अफ्रीका के उप सहारा देशों में होंगे।
तीन सूत्रीय कार्यक्रम की जरुरत
रिपोर्ट पर काम करने वाले अनुसंधानकर्ताओं का कहना है, गरीबी की भयावहता को देखते हुए जरूरी है कि तुरंत दुनिया के प्रमुख देश एक तीन सूत्रीय एजेंडा बनाए। इसके लिए जी-7 और जी-20 देशों को नेताओं को आगे आना होगा। जिससे कि कोविड-19 से बढ़ने वाली गरीबों की संख्या को कम किया जा सके। अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो ऐसे लोग भी गरीब हो जाएंगे जो कि गरीबी रेखा से थोड़े ही ऊपर अपना जीवन-बसर करते हैं।
रिपोर्ट पर यूनाइटेड नेशंस यूनिवर्सिटी वर्ल्ड इंस्टीट्यूट फॉर डवलपमेंट इकोनोमिक्स के डायरेक्टर कुनाल सेन का कहना है कोविड-19 महामारी से होने वाले वास्तविक असर का अनुमान हमें कुछ दिन बाद ही पता चलेगा। लेकिन 2030 से टिकाऊ विकास के लक्ष्यों को पाने के लिए हमें जरुर कदम उठाने होंगे। तभी इस संकट के असर को हम कम कर पाएंगे।
सौज- डॉउनटुअर्थ