राज्यसभा के ताजा द्विवार्षिक चुनाव में जीते सदस्यों के शपथ ग्रहण के पश्चात राज्यसभा में भाजपा सांसदों की संख्या 85 हो गई है, और सत्तारूढ़ गठबंधन राजग के सांसदों की कुल संख्या 102 पहुंच गई है। अब राजग और बहुमत के बीच केवल 22 सीटों का अंतर रह गया है।245 सदस्य राज्यसभा में बहुमत का आंकड़ा 123 पर होता है। केन्द्र में सत्तारूढ़ राजग ने 100 का आंकड़ा पार कर बहुमत की तरफ कदम बढ़ा दिए हैं। राज्यसभा में नए सांसदों की शपथ के बाद उच्च सदन के समीकरण बदल गए हैं। कांग्रेस और कमजोर हुई है । उच्च सदन में कांग्रेस की ताकत भाजपा से आधी से भी कम रह गई है।
उच्च सदन में भाजपा सांसदों की की संख्या 85 हो गई है दूसरी तरफ कांग्रेस और कमजोर हुई है और उसके केवल 40 सांसद उच्च सदन में रह गए हैं। कांग्रेस के गठबंधन संप्रग की संख्या 65 है जबकि राजग के सांसदों की कुल संख्या 102 पहुंच गई है। इस तरह राजग और संप्रग के बीच भी अंतर बढ़ गया है।
गौरतलब है कि उच्च सदन में 1990 के बाद बीते तीन दशक से किसी दल के पास स्पष्ट बहुमत नहीं रहा है। इसके पहले कांग्रेस के पास राज्यसभा में बहुमत होता था। उस समय अधिकांश राज्यों में उसकी सरकारें होती थी, लेकिन 1990 के बाद स्थिति बदलती चली गई और आज कांग्रेस अपने न्यूनतम पर पहुंच गई है। दूसरी तरफ भाजपा ने लगातार बढ़त हासिल की है और वह पहली बार अपनी उच्चतम संख्या पर पहुंची है।
विदित हो कि उच्च सदन में बहुमत न होने से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार को कई बार दिक्कतों का सामना करना पड़ा है, ऐसे में दोनों गठबंधन से अलग दलों की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई। हालांकि 17वीं लोकसभा में कई नाजुक मौकों पर सत्तारूढ़ दल ने जोड़-तोड़ कर विपक्ष पर बढ़त हासिल की है। अब मगर कांग्रेस और संप्रग के कमजोर होने से राजग को उच्च सदन में बहुत ज्यादा दिक्कत नहीं आएंगी, क्योंकि कई गैर संप्रग दल सरकार के नजदीक हैं और मौके पर मौके उसका समर्थन भी करते रहते हैं। इनमें बीजू जनता दल (बीजेडी), ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) जैसे दल मोटे तौर पर कांग्रेस विरोधी है और इनका समर्थन भाजपा को मिलता है। इससे उसके पास बहुमत का पर्याप्त आंकड़ा हो जाता है।
एजेंसियां