मोहम्मद ताहिर शब्बीर
सुदर्शन टीवी के धार्मिक घृणा से भरे कार्यक्रम पर दिल्ली हाईकोर्ट की रोक, कई तबकों में गुस्सा और विरोध. दिल्ली की जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के शिक्षक संगठन जामिया टीचर्स एसोसिएशन (जेटीए) ने सुदर्शन न्यूज़ के प्रधान संपादक सुरेश चव्हाणके के तथाकथित ‘नौकरशाही में मुसलमानों की घुसपैठ के षड्यंत्र का खुलासा’ कार्यक्रम का टीजर जारी करने और जामिया से पढ़कर पास हुए यूपीएससी छात्रों को “जामिया के जिहादी” कहने को लेकर कड़ा एतराज जताया है. संगठन ने इसे यूनिवर्सिटी के साथ-साथ देश के संविधान का भी अपमान बताया है और सुरेश चव्हाणके के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के साथ ही चैनल को बंद कराने और इसके ट्रस्टी की गिरफ्तारी की मांग की है.
इस बाबत जामिया टीचर्स एसोसिएशन ने एमएचआरडी, यूजीसी, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, दिल्ली पुलिस कमिश्नर, यूनिवर्सिटी वाइस चांसलर नजमा अख्तर सहित अन्य लोगों को एक पत्र लिखा है. जेटीए ने इस संबंध में एक प्रेस रिलीज भी जारी की है.
जामिया टीचर्स एसोसिएशन के ज्वॉइंट सेक्रेटरी डॉ. एम इरफान कुरैशी ने हमें बताया, “इस मसले पर हमने एक प्रेस रिलीज जारी की है. इसके अलावा हमने एमएचआरडी, यूजीसी, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, दिल्ली पुलिस कमिश्नर, यूनिवर्सिटी वाइस चांसलर नजमा अख्तर को शिकायत की है और जामिया नगर थाने में एफआईआर दर्ज कराई है. इसके अलावा हम दो केस और फाइल कर रहे हैं.”
इरफान आगे बताते हैं, “उनके इस कार्यक्रम में कई आपत्तियां हैं लेकिन इसमें सबसे बड़ी आपत्ति यह है कि ये सीधे-सीधे भारतीय संविधान पर हमला है. यूपीएससी देश की एक पारदर्शी संस्था है जिसे देश के बड़े प्रशासनिक अधिकारी चलाते हैं, मंत्रालय चलाता है. दूसरा, जामिया में भी जो एकेडमी (रेजीडेंशियल कोचिंग अकादमी, आरसीए) हमारे यहां चल रही है, इसे भी जामिया नहीं बल्कि सरकार ही चलाती है, यूजीसी से फंडिड है, तो ये सीधा भारत सरकार पर ही हमला है.”
“दूसरा यह यूपीएससी के पारदर्शी मॉडल पर हमला है. फिर मुसलमानों को खुलेआम जिहादी बोलना, और साथ ही उसमें दिलेरी के साथ मोदीजी और आरएसएस को टैग करना भी इशारा करता है. ये इसलिए है कि इन्हें डर नहीं है कि कौन पूछेगा, कौन जवाब मांगेगा. लेकिन हम इससे जवाब मांगेंगे, ऐसे नहीं छोड़ेंगे,” इरफान ने कहा.
सुदर्शन के इस कार्यक्रम के पीछे की मानसिकता के बारे में इरफान कहते हैं, “साफ है, जामिया एकेडमी की सक्सेस से ये लोग बौखला गए हैं. दूसरे ये मुसलमान को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करना चाहते, जबकि मुसलमान हमेशा जीता-मरता अपने देश के लिए है और इस एकेडमी में सिर्फ मुस्लिम ही कोचिंग नहीं लेते. बल्कि हर वर्ग के अल्पसंख्यक और लड़कियां यहां कोचिंग लेती हैं. और इस बार जो 30 बच्चों का आरसीए से सेलेक्शन हुआ है उनमें 14 हिंदू हैं और 16 मुस्लिम. सुरेश चव्हाणके आरोप लगा रहा है कि अरबी, उर्दू के जरिए सिर्फ मुस्लिम पास होते हैं तो इसकी सच्चाई यह है कि इस बार 30 में से सिर्फ एक छात्र उर्दू वाला है.”
अंत में इरफान कहते हैं, “हम इस चैनल के संस्थापक और ट्रस्टियों की गिरफ्तारी चाहते हैं. दूसरे सुदर्शन टीवी को परमानेंट बंद किया जाए, जिसके लिए हमने ब्रॉडकास्ट मिनिस्ट्री को भी लिखा है. 2 केस चैनल बंद करने के लिए फाइल कर दिए हैं और एक मानहानि का मुकदमा भी कराया है. इस बार हम इस केस को अंजाम तक लेकर जाएंगे, इतनी आसानी से नहीं छोड़ेंगे. इन्हें देश के संविधान की कुछ तो मर्यादा रखनी चाहिए.”
हालांकि शुक्रवार शाम जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के छात्रों की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश नवीन चावला ने इस कार्यक्रम के प्रसारण के खिलाफ स्टे ऑर्डर जारी कर दिया. और इस कार्यक्रम के प्रसारण पर रोक लगा दी. इस कार्यक्रम का प्रसारण शुक्रवार 28 अगस्त को ही होने वाला था. शनिवार को हाईकोर्ट ने फिर से स्टे आर्डर को आगे बढ़ा दिया.
जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी का बयान भी इस पर आ गया है.
यूनिवर्सिटी के पीआरओ अहमद अजीम ने हमें बताया, “हमने न्यूज चैनल और इसके प्रधान संपादक सुरेश चव्हाणके के खिलाफ यूनिवर्सिटी की छवि को धूमिल करने के लिए कार्रवाई करने की मांग करते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को एक पत्र लिखा है. जिसमें लिखा है कि चैनल ने न सिर्फ जामिया और एक समुदाय की छवि धूमिल करने की कोशिश की है, बल्कि यूपीएससी की प्रतिष्ठा भी ख़राब करने का प्रयास किया है.”
इस पूरे विवाद की शुरुआत अक्सर विवादों में रहने सुदर्शन न्यूज़ के प्रधान संपादक और तथाकथित राष्ट्रवादी सुरेश चव्हाणके द्वारा 25 अगस्त को अपने ट्विटर हैंडल से एक कार्यक्रम का प्रोमो जारी करने के बाद हुई. इसमें उन्होंने नौकरशाही में मुसलमानों की घुसपैठ के षडयंत्र का बड़ा खुलासा’ करने का दावा किया था. इस शो के प्रोमो में प्रशासनिक सेवाओं और नौकरशाही में मुस्लिमों की बढ़ती संख्या को लेकर सवाल खड़ा किया गया, जिसे उन्होंने “जामिया जिहाद” और “यूपीएससी जिहाद” का नाम दिया.
हैरानी की बात यह थी की इस ट्वीट में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आरएसएस को भी टैग किया था. मानो वे नरेंद्र मोदी के “सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास” के नारे को आईना दिखा रहे हों.
कार्यक्रम का टीजर आने के बाद देश भर में इसकी कड़ी आलोचना हुई. जामिया यूनिवर्सिटी के अलावा कई नौकरशाहों और उनके संगठनों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, कई बड़े पत्रकारों और बुद्धिजीवियों ने इसपर कड़ी आपत्ति जताते हुए इसके ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग की.
आईपीएस एसोसिएशन भी विरोध में
आईपीएस एसोसिएशन से लेकर देश के अन्य आईएएस अफसर और आईपीएस अफसरों ने इसे शर्मनाक बतया. लोगों ने ट्विटर से भी अपील की कि वो एक खास समुदाय को टारगेट करने वाले और नफरत फैलाने वाले इस प्रोमो वीडियो को जल्द से जल्द हटाए.
भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) एसोसिएशन ने इसकी निंदा करते हुए इसे सांप्रदायिक एवं गैर जिम्मेदाराना बताया है.
संगठन ने अपने ट्वीटर हैंडल पर लिखा, “सुदर्शन टीवी पर एक न्यूज़ स्टोरी को प्रमोट किया जा रहा है, जिसमें सिविल सर्विस के उम्मीदवारों को धर्म के आधार पर निशाना बनाया गया है. हम इस ‘कम्युनल और गैर-जिम्मेदाराना पत्रकारिता’ की निंदा करते हैं.”
मुम्बई के बांद्रा से कांग्रेस विधायक जीशान सिद्दीकी ने चव्हाणके के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के साथ ही मुम्बई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह से मिलकर चव्हाणके की तुरंत गिरफ्तारी की माग की.
आईपीएस अधिकारी निहारिका भट्ट ने इसे ‘घृणा फैलाने वाली कोशिश’ करार दिया और कहा कि धर्म के आधार पर अधिकारियों की साख पर सवाल उठाना न केवल हास्यपूर्ण है बल्कि इसे सख्त कानूनी प्रावधानों से भी निपटा जाना चाहिए. हम सभी भारतीय पहले हैं.
स्वतंत्र थिंक-टैंक, इंडियन पुलिस फाउंडेशन ने भी इस वीडियो की निंदा की और कहा कि वह इसे रीट्वीट नहीं करेंगे क्योंकि यह ‘विषैला’ और ‘खतरनाक कट्टरता’ है.
इसके अलावा फाउंडेशन ने न्यूज ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी (एनबीएसए), यूपी पुलिस और संबंधित सरकारी अधिकारियों से भी सख्त कार्रवाई करने का आग्रह किया है. आईपीएस आर के विज ने अपने ट्वीट में कहा- “घिनौना. निंदनीय. इसे निश्चित ही रोका जाना चाहिए.” वहीं मशहूर आरटीआई कार्यकर्ता साकेत गोखले ने चव्हाणके के खिलाफ पुलिस शिकायत दर्ज करने के लिए लोगों से आग्रह का एक अभियान शुरू किया. राजनीतिक विश्लेषक तहसीन पूनावाला ने दिल्ली पुलिस और नेशनल ब्रॉडकास्टिंग एसोशिएसन के अध्यक्ष रजत शर्मा के पास शिकायत दर्ज कर इस पर कार्रवाई की मांग की है. पूनावाला ने अपना शिकायत पत्र ट्वीट भीकिया है.
हालांकि चव्हाणके के लिए विवादों का यह कोई पहला मामला नहीं है. वे अक्सर ट्विटर पर मुसलमानों के खिलाफ फेक न्यूज़ के जरिए जहर उगलते रहते हैं. गौरतलब है कि भारत में विभिन्न सिविल सेवाओं की परीक्षाओं की जिम्मेदारी संघ लोक सेवा आयोग “यूपीएससी” की है, जो राष्ट्रीय स्तर पर एक लंबी प्रक्रिया के तहत इन्हें आयोजित करवाता है. यह संस्था अपनी पारदर्शिता और प्रतिष्ठा के लिए देश ही नहीं दुनिया भर में विख्यात है. जिस पर चव्हाणके का सवाल उठाना उनके दिवालियापन से ज्यादा कुछ नहीं.
सौज- न्यूजलांड्री