फ्रेडरिक एंगेल्स (जन्मतिथिः 28 नवम्बर, 1820) मज़दूर वर्ग और समस्त मानवता की मुक्ति की विचारधारा, वैज्ञानिक कम्युनिज़्म के सिद्धान्त को विकसित करने कार्ल मार्क्स के अनन्य सहयोगी और मित्र थे। आधुनिक सर्वहारा के महान शिक्षकों में कार्ल मार्क्स के बाद उनका ही नाम आता है। मार्क्स की मृत्यु के बाद एंगेल्स अंतिम साँस तक यूरोप […]
Read Moreदरगाहों पर जाकर केवल ऐसे सूफी संतों का सम्मान किया जाता है, उनकी पूजा नहीं की जाती है। मैं नास्तिक हूँ और किसी भी चीज़ की पूजा नहीं करता, लेकिन मैं अक्सर दरगाहों (जैसे अजमेर दरगाह, निज़ामुद्दीन चिश्ती दरगाह, आदि) में जाता हूँ उन सूफियों का सम्मान करने लिए जिन्होंने समाज में प्रेम, सहिष्णुता, भाईचारा […]
Read Moreमुकेश कुमार क़रीब एक दर्ज़न ऐसे मामले हैं जिन पर तुरंत सुनवाई होनी चाहिए थी, मगर उन्हें लगातार टाला जा रहा है। इनमें धारा 370 से लेकर, इलेक्टोरल बांड, आरटीआई, सीएए, यूएपीए जैसे बहुत ही संगीन मामले शामिल हैं। इनमें से कई मामलों की तो सुनवाई ही शुरू नहीं की गई है। ऐसे में […]
Read Moreदिल्ली कूच पर अपने-अपने घरों से निकले और दो दिन से गरमाये पंजाब-हरियाणा के किसानों ने आज दिल्ली पहुंचने के बाद अपनी रणनीति बदल दी। सरकार के दिए निरंकारी मैदान में बैठने से किसानों ने इनकार कर दिया है। अब वे दिल्ली को घेर कर बैठेंगे। सिंघु बॉर्डर पर करीब पांच लाख किसान इकट्ठा हैं। […]
Read Moreप्रभात पटनायक लॉकडाउन से पैदा हुई खाई से उबर रही GDP में सुधार के साथ फ़िलहाल बड़ी मात्रा में श्रम का विस्थापन और वेतन-भत्तों में कमी देखी जा रही है। जब हालात सामान्य होंगे, तो अर्थव्यवस्था कुछ हद तक लॉकडाउन की खाई से निकलकर बाहर आएगी ,लेकिन यह सरकार की बदौलत नहीं है। यहां तक […]
Read Moreअव्यक्त अपनी आत्मकथा, ‘दशद्वार से सोपान तक’ में एडेल्फी के अपने घर को याद करते हुए बच्चन लिखते हैं- ‘एडेल्फी, जहां रहते हुए हमने प्रथम स्वाधीनता दिवस मनाया था जहां विभाजन के फलस्वरूप तेजी के कितने ही संबंधियों ने पंजाब से भागकर शरण ली थी; जहां महात्मा गांधी की हत्या का हृदय-विदारक समाचार हमने सुना […]
Read Moreरविकान्त संविधान में धर्म व्यक्ति का निजी मामला है। लेकिन इस दौर में खुल्लम-खुल्ला धार्मिक राजनीति हो रही है। अब सांप्रदायिक होना शर्म नहीं, बल्कि गर्व की बात है। संविधान में प्रदत्त समता को समरसता में तब्दील किया जा रहा है। समरसता बुनियादी तौर पर भेदपरक फिकरा है। संविधान और लोकतंत्र पर सत्तापक्ष और हिंदुत्ववादी […]
Read Moreरमा शंकर सिंह भारत का संविधान समाज के सभी वर्गों के साझा बलिदानों और संघर्षों की दास्तान है। आज के दिन हमें उसका जश्न मनाना चाहिए। यदि आप भारत के संविधान सभा की बहसों को पढ़ें तो पाएंगे कि यह लगभग 4250 मुद्रित पृष्ठों में फैली हुई एक बातचीत है जहां आप भारत के नेताओं […]
Read Moreकृषि कानूनों के खिलाफ देश भर के किसानों का गुस्सा फूटा है, 26 से 28 नवंबर तक पंजाब-हरियाणा-राजस्थान के किसान ‘दिल्ली कूच’ पर निकले किसानों को रोकने के लिए प्रशासन हर सम्भव प्रयास करने में जुटा है। पंजाब और हरियाणा के किसान कृषि को लेकर मोदी सरकार की नीतियों के ख़िलाफ़ संघर्ष कर रहे हैं। सरकार […]
Read Moreप्रोफेसर यशपाल मानते थे कि प्रश्न करना मनुष्य होने का प्रमाण था इसलिए वे शिक्षकों से कहा करते थे कि बच्चों का पूछा कोई भी प्रश्न पाठ्यक्रम से बाहर नहीं है यशपाल कहा करते थे कि हमारा मकसद बच्चों में समझ का चस्का पैदा करने का होना चाहिए. एक बार उन्हें यह चस्का लग गया, […]
Read More