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Year: 2020

शहरयार : जिन्होंने फ़िल्मों में सफल होने के बावजूद फ़िल्मों के लिए नहीं लिखा

अनुराग भारद्वाज बीसवीं सदी में शायरी के दो ख़ास मुक़ाम आये. एक तरक्की पसंद और दूसरा जदीद. पहली तरह की शायरी वह थी जो सर्वहारा की जुबां है. दूसरी, वह जो इंसानी जड़ों को तलाशती है, आसमान से लेकर ज़मीन तक वे तमाम सवालात करती है जिन्होंने आम इंसान को परेशान कर रखा है. वह…

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बॉलीवुड में पैसे की किल्लत से जूझते के नए व संघर्षरत कलाकार

कोरोना के चलते मुंबई में फिल्मों की शूटिंग बंद है जिससे  लाइटमैन, कैमरा, मेकअप आर्टिस्ट जैसे तमाम डेली वेजर्स की मदद के लिए हाथ उठे. लेकिन उनका क्या जो नए नए यहां हीरो-हीरोइन बनने आए थे?ये कलाकार ना तो डेली वेजर्स में गिने जाते हैं और ना ही फिलहाल किसी यूनिट के सदस्य हैं. इसलिए…

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फिल्म बंद हुई तो बहुत रोया था सुशांत : शेखर कपूर

मशहूर निर्माता निर्देशक शेखर कपूर ने कहा कि सुशांत में एक अजीब सी रेस्टलेसनेस थी उसमें. वो मेरे साथ प्रोडक्शन डिजाइन की मीटिंग में होता था फिर वीएफएक्स की मीटिंग में होता था, वर्कशॉप में भी होता था. उसमें सीखने की जबरदस्त ललक थी और उसके अंदर चीजों को लेकर ऐसी उत्सुकता थी जो आपको बच्चों…

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कहानीः पार्टी के बाद – आनंद बहादुर

                        मैं बैठा हूँ। सामने वह बैठी है। दावत खत्म हो चुकी है और लोग जा चुके हैं। मगर लगता है हर व्यक्ति अपनी एक एक आहट और एक-एक परछाई छोड़ गया है। हम अकेले हैं मगर इन आकृतियों और आहटों से घिरे हुए हैं।                         मैं सोफे पर हूँ, वह सामने दीवान पर पैर…

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सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्याः कलाकार पर्दे की भूमिका का फलसफा जिंदगी में क्यों नहीं अपना पाता?

रवीन्द्र त्रिपाठी फ़िल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत ने आत्महत्या क्यों की? उनके प्रशंसकों से लेकर हर कोई इस सवाल का जवाब तलाश रहा है। सुशांत एक सफल अभिनेता थे और समाज में किसी तरह के अलगाव के भी शिकार नहीं थे। फिर आत्महत्या के पीछे क्या कारण रहे होंगे? 34 साल की उम्र में सुशांत…

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दिल्ली दंगों की चार्जशीट में हर्ष मंदर का नाम: क्या जनतांत्रिक संवेदना को मार दिया गया है?- अपूर्वानंद

दिल्ली दंगों की चार्जशीट में साज़िशकर्ता के रूप में हर्ष मंदर का नाम जोड़नाएक प्रयोग है, एक जाँच है कि क्या अभी भी इस देश में जनतांत्रिक संवदेनातंत्र ज़िंदा है या मार डाला गया? बता रहे हैं लेखक अपूर्वानंद।  ‘इस देश का भविष्य क्या होगा? आप सब नौजवान हैं। आप अपने बच्चों के लिए किस…

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नेहरू से मिलकर भारत के दीवाने हो गए थे चे ग्वेरा

चे ने अपनी रिपोर्ट में लिखा, “हमें नेहरू ने बेशकीमती मशविरे दिए और हमारे उद्देश्‍य की पूर्ति में बिना शर्त अपनी चिंता का प्रदर्शन भी किया. भारत यात्रा से हमें कई लाभदायक बातें सीखने को मिलीं. सबसे महत्‍वपूर्ण बात हमने यह जाना कि एक देश का आर्थिक विकास उसके तकनीकी विकास पर निर्भर करता है…

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कहानीः थोड़ा-सा प्रगतिशील- ममता कालिया

ममता कालिया सुपरिचित वरिष्ठ लेखिका हैं। वे साहित्य की सभी विदाओं- कहानी, नाटक, उपन्यास  कविता सहित पत्रकारिता में भी प्रमुख दकल रखती हैं । हिन्दी साहितय के परिदृश्य पर उनकी उल्लेखनीय उपस्थिति सातवें दशक से निरन्तर बनी हुई है। आज पढ़ें उनकी कहानी- थोड़ा-सा प्रगतिशील विनीत ने अपनी सहपाठी चेतना दीक्षित के साथ दोस्‍ती, मुहब्‍बत…

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The glue of diversity-Thomas L. Friedman

Minneapolis is a microcosm of the broad national struggle There are so many prisms through which to view the tectonic events taking place on America’s streets since the police killing of George Floyd in Minneapolis, but to my mind the most important is that our country is in the process of renegotiating its founding motto,…

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कोरोना संकटः दुनिया भर में 100 करोड़ हो सकते हैं गरीब, भारत पर सबसे ज्यादा असर

प्रिया श्रीवास्तव किंग जॉर्ज कॉलेज, लंदन और ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनीवर्सिटी के साथ मिलकर तैयार की गई इस रिपोर्ट के अनुसार मध्य आय वर्ग वाले विकासशील देशों में गरीबी ज्यादा बढ़ने की आशंका है। रिपोर्ट के अनुसार चूंकि भारत की आबादी बहुत ज्यादा है, और यहां गरीबों की तादाद को देखते हुए एक बड़ी संख्या इससे…

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