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Year: 2020

वर्तमान किसान आंदोलन: एक नयी राजनीति की अंगड़ाई

सुधीर कुमार सुथार किसान आंदोलन का योगदान इससे तय नहीं होगा की उन्होंने क्या हासिल किया, अपितु उन्होंने लोकतंत्र में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए जो बहादुरी दिखाई उससे होगा। पिछले कुछ समय से किसान आंदोलन लगातार इस बात के लिए प्रयासरत हैं कि वे केवल खेती से सम्बंधित मुद्दों और जुड़े लोगों को…

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महाराष्ट्र: कोरोना की सबसे बुरी मार झेलने वाले राज्य में अब ख़ून की कमी!

शिरीष खरे स्वास्थ्य के जानकारों द्वारा कोरोना की दूसरी लहर को लेकर जब आशंका जताई जा रही है तो राज्य में ख़ून की कमी के कारण एक नया संकट खड़ा होता दिख रहा है।राजधानी मुंबई से लेकर दूरदराज में मराठवाड़ा, पश्चिमी महाराष्ट्र, कोंकण, उत्तर महाराष्ट्र, विदर्भ और खानदेश के ग्रामीण भागों तक ख़ून का टोटा…

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मोदी सरकार की कार्रवाई, किसानों पर एफआईआर

कृषि कानूनों के विरोध में सिंघु बॉर्डर पर धरने पर बैठे किसानों के खिलाफ पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है। किसानों पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन ना करने और महामारी एक्ट और अन्य धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। खबरों के मुताबिक, किसानों के खिलाफ एफआईआर अलीपुर थाने में दर्ज की गई है। विदित…

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अन्तर्राष्ट्रीयतावाद की आवश्यकता

अनीश अंकुर ऐतिहासिक थर्ड कम्युनिस्ट इंटरनेशनल की दूसरी कांग्रेस (1920) के शताब्दी वर्ष के अवसर पर विशेष । 1920 में हुए कम्युनिस्ट इंटरनेशनल की दूसरी कांग्रेस ने पहली के मुकाबले एक बड़ी छलांग लगाई थी। मार्च 1919 में सम्पन्न पहली कांग्रेस में सिर्फ 51 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। बोल्शेविकों को छोड दें तो बाहरी मुल्कों…

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किसान आंदोलनः 5 बड़े चेहरे जो सरकार के सामने डटकर खड़े हैं

किसान आंदोलन के बीच कुछ किसान नेता सरकार के सामने अपनी मांगों को पूरी हिम्मत और जज्बे के साथ रखते नजर आए जिन्होंने सरकार के सामने बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है. दरअसल, धरना और प्रदर्शन में हजारों की भीड़ होती है लेकिन कुछ चेहरे होते हैं जो बागडोर संभालते हैं या कहें सबको एक…

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भविष्यवादी दृष्टि के कथाकार थे स्वयं प्रकाश – प्रो नवलकिशोरः संभावना संस्थान, चित्तौड़गढ़ द्वारा वेबिनार आयोजित

चित्तौड़गढ़।  ‘स्वयं प्रकाश की आस्था अंध आस्था नहीं है अपितु उनकी आस्था भविष्यवादी दृष्टि से निर्मित हुई है जो पाठकों को कभी निराश नहीं होने देती।’ उक्त विचार सुप्रसिद्ध आलोचक एवं उदयपुर विश्वविद्यालय के पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो नवलकिशोर ने संभावना संस्थान द्वारा आयोजित वेबिनार ‘यादों में स्वयं प्रकाश’ में व्यक्त किए। हिंदी के प्रसिद्ध…

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स्मृति शेष: वह हारनेवाले कवि नहीं थे- विष्णु नागर

मंगलेश डबराल को याद करते हुए वरिष्ठ कवि-लेखक विष्णु नागर लिखते हैं- वह हमारे समय के सबसे चर्चित और सबसे सक्रिय कवियों-लेखकों में थे। उनकी निगाहें साहित्य ही नहीं, हमारे समय के राजनीतिक विद्रूप पर भी लगातार रहती थी। वह इस समय जितने बेचैन, व्यथित और बदलने की इच्छा से भरे हुए थे,ऐसे हिंदी कवि…

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मंगलेश डबराल: राजनीतिक चेतना और मानवीय आभा से दीप्त कवि का जाना- प्रियदर्शन

हिंदी के प्रख्यात कवि मंगलेश डबराल का निधन हो गया। वह 72 साल के थे। कुछ हफ़्ते पहले कोरोना पॉजिटिव होने के पश्चात से उनकी तबीयत लगातार ख़राब होती गई । मंगलेश  डबराल को 2000 में उनकी कविता संग्रह ‘हम जो देखते हैं’ के लिए साहित्य अकादमी सम्मान से नवाजा गया था। वह दुनिया भर में हिंदी…

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कहानीः सीमा के पार का आदमी – रघुवीर सहाय

रघुवीर सहाय (9 दिसम्बर 1929 – 30 दिसम्बर 1990)- हिन्दी के प्रतिष्ठित साहित्यकार व पत्रकार । साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित। उनके साहित्य में पत्रकारिता का और उनकी पत्रकारिता पर साहित्य का गहरा असर रहा है। उनकी रचनाएं आज़ादी के बाद विशेष रूप से सन् ’60 के बाद के भारत की तस्वीर को समग्रता में पेश करती हैं। उनकी…

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अमिताभ कांत जी, आपको ऐसा लगता है कि भारत में ज़्यादा लोकतंत्र बचा है?

पवन उप्रेती भारत की आम जनता के लिए नीतियां बनाने वाले आयोग यानी नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत के एक बयान को लेकर देश में बवाल मचा हुआ है। अमिताभ कांत ने कहा है कि भारत में बहुत ज़्यादा लोकतंत्र है और ऐसे में कठोर सुधारों को लागू कर पाना बेहद मुश्किल है। उन्होंने…

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