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Month: August 2020

प्रेमचंद 140 : क्या क्रांतिकारी हिंसा जीवन के प्रति प्रेम को जन्म देती है?- अपूर्वानंद

भारत में मुक्ति या क्रांति के नाम पर हिंसा की वैधता को लेकर तीखी बहस रही है। हिंसक क्रांति या विद्रोह का विचार घातक रूप से आकर्षक बना हुआ है। भारत में एक हीन भावना अंग्रेज़ों से मिली आज़ादी को लेकर भी है। उसे अहिंसक मानते ही वह किंचित् हीन हो उठती है। इसी कारण…

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हागिया सोफिया का संग्रहालय से मस्जिद बनना: बदल रहा है समय- राम पुनियानी

कुछ दशक पहले तक साम्राज्यवादी ताकतें ‘मुक्त दुनिया बनाम एकाधिकारवादी शासन व्यवस्था (समाजवाद)’ की बात करतीं थीं. 9/11 के बाद से ‘इस्लामिक आतंकवाद’ उनके निशाने पर है. इस समय पूरी दुनिया में अलग-अलग किस्म के कट्टरपंथियों का बोलबाला है. वे प्रजातंत्र और मानव अधिकारों को कमज़ोर कर रहे हैं. पिछले तीन दशकों में वैश्विक राजनैतिक…

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बाल गंगाधर तिलक की महानता के दीवाने क्यों नहीं थे डॉ. आंबेडकर

डॉ मुख्तयार सिंह बाल गंगाधर तिलक (23 जुलाई 1856 – 1 अगस्त 1920 ) को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान कांग्रेस के गरम दल का प्रमुख नेता माना जाता है . उनको लोकमान्य की उपाधि से नवाजा गया था. स्वराज और स्वाधीनता में अंतर होने के बावजूद, उनका नारा – ‘स्वराज हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है’…

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