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Month: September 2020

इस्लामोफोबिया और साम्प्रदायिकता के वैश्विक प्रभाव – राम पुनियानी

पूरी दुनिया में इस्लामोफोबिया को हवा दे रही है अमेरिका की साम्राज्यवादी नीतियां. अमेरिका की नीतियों ने जिस तरह की राजनीति को गढ़ा उससे दुनिया के एक बड़े हिस्से की नियति तय हुई. पाकिस्तान में मदरसों के माध्यम से अल्कायदा को प्रशिक्षित किया गया. इसके साथ ही तेल उत्पादक क्षेत्र में हिंसा के बीज बोये…

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अगस्ता वैस्टलेंड घोटालाःसीबीआई ने सरकार से मांगी पूर्व सीएजी पर अभियोजन चलाने की अनुमति

सीबीआई, सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन , ने 3,727 करोड़ रुपए के अगस्ता वैस्टलेंड हेलीकॉप्टर घोटाले में पूर्व रक्षा सचिव और सीएजी शशि कांत शर्मा, पूर्वी एयर वाइस मार्शल जसबीर सिंह पानेसर और वायुसेना के तीन अन्य अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन चलाने के लिए केंद्र सरकार से अनुमति मांगी है। इस मामले से जुड़े लोगों ने…

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क्या कश्मीर समस्या का हल विनोबा भावे की उस पहल में छिपा है जिसकी तरफ हम देखना भी नहीं चाहते?

अव्यक्त भूदान आंदोलन के सिलसिले में कश्मीर के गांव-कस्बों की यात्रा कर चुके विनोबा का कहना था कि राजनीतिक और सांप्रदायिक तौर-तरीके इस सूबे की समस्या का हल नहीं दे सकते. शेख अब्दुल्ला जेल से रिहा होकर 3 मई, 1964 को विनोबा से मिले. दोनों के बीच खुलकर कश्मीर से जुड़े हर पहलू पर बातचीत…

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कहानीः कमजोर- अंतोन चेखव

अंतोन पावलेविच चेखव (1860-1904) –  रूसी कथाकार और नाटककार अंतोन पावलेविच चेखव  विश्व के सबसे महत्वपूर्ण लेखकों में से एक हैं।  चेखव के लेखन में अपने समय का जैसा गहन और मार्मिक वर्णन मिलता है।   चेखव की संवेदना में मानवीयता का तत्व इतना गहरा है कि वे बहुत त्रासद स्थितियों में भी सूरज की थोड़ी सी…

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इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायण ने कहा फेक न्यूज चलाने वालों ने माफी तक नहीं मांगी

बात 1994 की है, जब इसरो जासूसी केस शुरू हुआ था। जिस तरह से पूरे मामले पर क्षेत्रीय मीडिया कवरेज कर रहा था, ऐसा लग रहा था कि सब कुछ बिना सोचे-समझे लिखा जा रहा है। वे इस केस को लेकर एक उपन्यास की तरह रिपोर्टिंग कर रहे थे। जिस पागलपन तक वह सोच सकते…

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2020 में भी बोल रही हैं गौरी

गीता हरिहरन 2019 के लोकसभा चुनाव नतीजों ने हिंदू सर्वोच्चतावादियों को मनमर्ज़ी करने का दुस्साहस दिया है। 5 सितंबर, 2017 को गौरी लंकेश की बेंगलुरू स्थित उनके घर में हत्या कर दी गई थी। आखिर क्यों? इसका केवल एक ही जवाब नज़र आता है: उन्हें इसलिए मारा गया क्योंकि उन्होंने पत्रकार और एक सामाजिक कार्यकर्ता…

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भवानी दयाल संन्यासी : हिंदी का असाधारण सेवक जिसे दुनिया ने तो याद रखा पर भारत ने भुला दिया

निराला महात्मा गांधी के प्रिय रहे भवानी दयाल सन्यासी ने हिंदी का दायरा दुनिया में फैलाने में अहम योगदान दिया था सन्यासी दक्षिण अफ्रीकी देशों में रहनेवाले भारतीयों के सबसे विश्वसनीय और लोकप्रिय दूत थे. वे महात्मा गांधी के प्रिय लोगों में से एक भी रहे और इन सबसे बड़ी पहचान उनकी हिंदी के अनन्य…

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जो मुक्तिबोध में सिर्फ अंधेरा, भीषण या भयानक ही देखते हैं वे उन्हें जानते नहीं – अपूर्वानंद

मुक्तिबोध ने कहा था कि ज़िंदगी मुश्किल है लेकिन इतनी मीठी कि जी चाहता है, एक घूंट में पी जाएं. उनका यह वाक्य ही उन्हें समझने के लिए दिए का काम कर सकता है. मुक्तिबोध का ज़िक्र आते ही ‘अंधेरे में’ की याद आती है. इस वजह से अंधेरापन मुक्तिबोध को परिभाषित करने वाले प्रत्यय…

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कहानीः आईना – हारुकी मुराकामी

आज रात आप सब जो कहानियाँ सुना रहे हैं, उन्हें दो श्रेणियों में रखा जा सकता है। एक तो वे कहानियाँ हैं जिनमें एक ओर जीवित लोगों की दुनिया है, दूसरी ओर मृत्यु की दुनिया है, और कोई शक्ति है जो एक दुनिया से दूसरी दुनिया में आना-जाना संभव बना रही है। भूत-प्रेत आदि भी…

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कोरोना नहीं, अचानक किया गया लॉकडाउन गरीबों के लिए मृत्युदंड जैसा साबित हुआ: राहुल गांधी

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इकोनॉमी सीरीज का आखिरी वीडियो जारी किया है। राहुल गांधी ने वीडियो ट्वीट करते हुए आर्थिक हालात को लेकर सरकार पर निशाना साधते हुए हुए लिखा कि अचानक किया गया लॉकडाउन असंगठित वर्ग के लिए मृत्युदंड जैसा साबित हुआ। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लॉकडाउन योजना को बर्बाद करने वाली…

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