जावेद अनीस करीब 34 साल बाद देश को नयी शिक्षा नीति मिली है जो कि आगामी कम से कम दो दशकों तक शिक्षा के रोडमैप की तरह होगी. यह नीति इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसे देश की पहली पूर्ण बहुमत वाली हिन्दुत्ववादी सरकार द्वारा लाया गया है जिसने इसे बनाने में एक लंबा समय…
पलाश किशन भारत सरकार के सांख्यिकी मंत्रालय ने हाल ही में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की अप्रैल-जून 2020 की तिमाही के आंकड़े जारी किये हैं। इन आंकड़ों से पता चलता है कि जहां एक तरफ उत्पादन के अन्य क्षेत्र महामारी के चलते धराशायी हो गए वहीं कृषि व्यवस्था पर महामारी का आंशिक प्रभाव भी नहीं…
सुहैल ए शाह बीते दो सालों में कश्मीर घाटी दो लॉकडाउन और चार बड़ी ऐसी मौसमी गड़बड़ियां देख चुकी है जिन्होंने यहां के सेब उद्योग को बेहद गहरी परेशानी में डाल दिया है अगर कश्मीर घाटी के पिछले कुछ महीनों के मौसम का हाल एक लाइन में बताना हो तो शायद वह लाइन “मैदानों जैसी…
अनुराग भारद्वाज भूपेन हज़ारिका का साहित्यिक रूप भी उनके संगीत में खूबसूरती के साथ आया.किसी इंसान की दुनिया से रुख़सती का दर्द उसके चाहने वालों से ज़्यादा कोई महसूस नहीं कर सकता. भूपेन हज़ारिका को अग़र किसी ने सबसे ज़्यादा चाहा तो वे थीं फ़िल्म निर्देशक कल्पना लाज़मी. उन्होंने लिखा है, ‘वो मेरी जिंदगी का…
अनुराग अन्वेषी अवतार सिंह संधू ‘पाश’ अपने दौर में भी खतरनाक कवि थे, लेकिन आज की परिस्थितियों में उनकी कविताएं उन्हें और खतरनाक बनाती हैं सड़ांध मारती राजनीति के इस दौर में अवतार सिंह संधू ‘पाश’ की कविताएं दर्दनाशक मरहम की तरह काम करती हैं. उन्हें पढ़ते हुए एक सवाल मन में घुमड़ता है कि…
अव्यक्त लियो टॉल्सटॉय ने जब अध्यात्म की राह पकड़ी तो उन्होंने वेदांत, बुद्ध और लाओत्से की और देखना शुरू किया. ईसा मसीह के संदेशों का सही मर्म उन्होंने तभी समझा.महात्मा गांधी ने दक्षिण अफ्रीका में अपने आश्रम का नाम ‘टॉल्सटॉय फार्म’ ही रखा था. आध्यात्मिक स्तर पर दोनों महापुरुषों के जीवन में कई विचित्र समानताएं…
भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने लिंक्डइन पर लिखे एक लेख में कोरोना से तबाह अर्थव्यवस्था पर सरकार के रवैए की तीखी आलोचना की है। राजन ने कहा है कि सरकार को ‘आत्मसंतुष्ट होने के बजाय स्थितियों को देख कर भयभीत होना चाहिए, पर ऐसा लगता है कि सरकार स्थितियों का सामना…
एवगेनी मोरोजोव (जन्म 1984), बेलारूस में जन्मे अमेरिकी लेखक, क्या यह नाम परिचित दिखता है? शायद नहीं! यह विद्वान, जो टेक्नोलॉजी के राजनीतिक और सामाजिक प्रभावों का अध्ययन करते हैं वह उन शुरुआती साइबर सन्देहवादियों में शुमार किये जाते हैं, जिन्होंने तानाशाहियों को चुनौती देने की वेब की क्षमता पर पहले ही गंभीर सवाल खड़े…
चंदन शर्मा देश के न्यायिक इतिहास में दिलचस्पी रखने वाला शायद ही कोई हो जो केशवानंद भारती का नाम न जानता हो. 24 अप्रैल, 1973 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा ‘केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य’ के मामले में दिए गए एक ऐतिहासिक फैसले के चलते कोर्ट-कचहरी की दुनिया में वे लगभग अमर हो गए.केशवानंद भारती मामले…
प्रतिबद्ध व सत्यनिष्ठ विधिवेत्ता प्रशान्त भूषण ने हाल में न्यायपालिका को आईना दिखलाया. इसके समानांतर दो मामलों में न्यायपालिका ने आगे बढ़कर प्रजातांत्रिक मूल्यों की रक्षा करने की अपनी भूमिका और जिम्मेदारी का शानदार निर्वहन किया. इनमें से पहला मामला था अनेक अदालतों द्वारा तबलीगी जमात के सदस्यों को कोरोना फैलाने, कोरोना बम होने और…
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