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Month: September 2020

सुप्रीम कोर्ट का पतन संयोगवश नहीं, सोच समझ कर बनाई गई रणनीति का हिस्सा – जस्टिस ए. पी. शाह

जस्टिस अजीत प्रकाश शाह ने जस्टिस सुरेश शाह मेमोरियल लेक्चर देते हुए एक आलेख पढ़ा, ‘सुप्रीम कोर्ट का पतन, भूली हुई आज़ादी और घटे हुए अधिकार’। उसके मुख्य अंशों का अनुवाद पढ़ें– मुझे लगता है कि हमारे समय की सबसे ज़्यादा परेशान करने वाली घटना है-सुप्रीम कोर्ट का पतन। इसके एक पूर्व जज के नाते…

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मीर तक़ी मीर : शायरी का ख़ुदा जिसकी निगहबानी में उर्दू जवान हुई

अनुराग भारद्वाज अली सरदार जाफ़री ‘दीवाने मीर’ में लिखते हैं, ‘यद्यपि आज आम लोकप्रियता के विचार से ग़ालिब और इक़बाल, मीर से कहीं आगे हैं फिर भी ग़ालिब और इक़बाल की शायराना महानता को इनकार करने वाले मौजूद हैं. मगर मीर की उस्तादी से इनकार करने वाला कोई नहीं है. ‘रेख्ते के तुम्हीं उस्ताद नहीं…

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क्या बीजेपी की आईटी सेल अपना असर खोने लगी है?

अंजलि मिश्रा सोशल मीडिया पर हर तरह के जोड़-तोड़ के लिए मशहूर बीजेपी की आईटी सेल इस समय वहां पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ही बचाव नहीं कर पा रही है. नरेंद्र मोदी के वीडियोज पर एकतरफा प्रतिक्रियाओं की भरमार होना कोई नई बात नहीं है लेकिन इस बार इनका पलड़ा उनके पक्ष में न…

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आतंकवाद की रोकथाम के नाम पर बना ‘यूएपीए’ नागरिक अधिकारों को आतंकित करने वाला क़ानून है!

अजय कुमार नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो 2016 के आंकड़ों के मुताबिक यूएपीए से जुड़े तकरीबन 67 फ़ीसदी मामलों में आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया गया। यानी बहुत दिनों तक जेल की सलाखों के अंदर रखने के बाद उन्हें छोड़ दिया गया।  हमारे देश का संविधान कहता है कि राज्य नागरिकों की सुरक्षा के लिए काम…

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कहानीः कैदी – ओ. हेनरी

ओ हेनरी (11 सितंबर, 1862 – 5 जून, 1910 ) – पूरा नाम विलियम सिडनी पोर्टर , प्रसिद्ध अमेरिकन लेखक, लास्ट लीफ जैसी  प्रसिद्ध कहानी  के रचयिता ।उनकी रचनाओं और विचारधारा, दोनों में मनुष्य स्वभाव व मानवता की स्पष्ट झलक मिलती है ।ओ० हेनरी की कहानियां सन1900 के पश्चिमी दुनिया  की आस-पास की दुनिया खड़ी कर देती है।उनकी कई कहानियां कालजयी हैं ।…

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काशी मथुरा बाकी हैः मंदिर राजनीति की वापसी –राम पुनियानी

दिनदहाड़े बाबरी मस्जिद ध्वस्त किए जाते समय एक नारा बार-बार लगाया जा रहा था: “यह तो केवल झांकी है, काशी मथुरा बाकी है”. सर्वोच्च न्यायालय ने बाबरी मस्जिद की भूमि उन्हीं लोगों को सौंपते हुए, जिन्होंने उसे ध्वस्त किया था, यह कहा था कि वह एक गंभीर अपराध था. बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के बाद…

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कुंवर नारायण: अपनी अनुपस्थिति में अधिक उपस्थित रहेंगे

 रवींद्र त्रिपाठी  हिंदी के कुछ लेखकों की भारतीयता वैश्विकता विरोध में चली गई है. कुंवर नारायण के साथ ऐसा नहीं है. वे पूर्व-पश्चिम का कोई द्वंद्व न देखते हैं, न दिखाते हैं. उनके यहां ‘कोई दूसरा नहीं’ है.ये अलग से कहने की आवश्यकता नहीं कि कुंवर नारायण भारतीय औपनिषदिक परंपरा के कवि है. इस लिहाज से…

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70 साल की हो रहीं शबाना आज़मी की पहली फिल्म ‘अंकुर’ देखना कैसा अनुभव है

अंजलि मिश्रा करीब साढ़े चार दशक पहले रिलीज हुई श्याम बेनेगल की पहली हिंदी फिल्म ‘अंकुर’ के जरिए शबाना आज़मी ने बॉलीवुड में डेब्यू किया था अच्छा खासा बिजनेस करने के साथ-साथ दुनियाभर में सराही गई इस फिल्म का हिस्सा बनीं शबाना आज़मी ने अपनी पहली फिल्म से बता दिया था कि मास्टरपीस ऐसे बनती…

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सुशांत केसः शोक किसी को नहीं, हर कोई TRP बटोरने में – मनोज बाजपेयी

तमाम आशंकाओं, संभावनाओं और चर्चाओं के बीच सुशांत की मौत को अब 3 महीने से अधिक वक्‍त बीत गया है। ‘सोन चिड़िया’ में सुशांत के को-स्‍टार रहे मनोज बाजपेयी का कहना है कि वह सुशांत की मौत से दुखी हैं लेकिन उन्‍हें यह भी शक है कि शायद ही कोई उनके जाने के गम में…

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कृषि अध्यादेश 2020: सड़क पर क्यों उतर रहे हैं किसान?

हरजिंदर किसानों का कहना है कि मंडी समिति के जरिये संचालित अनाज मंडियां उनके लिए यह आश्वासन थीं कि उन्हें अपनी उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य मिल जाएगा। मंडियों की बाध्यता खत्म होने से अब यह आश्वासन भी खत्म हो जाएगा। किसानों के मुताबिक़, मंडियों के बाहर जो लोग उनसे उनकी उपज खरीदेंगे वे बाजार…

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