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Month: October 2020

कश्मीर के विशेष दर्जे की बहाली के लिए ‘पीपल्स अलायंस फ़ॉर गुप्कर डेक्लेरेशन’ का गठन

नैशनल कॉन्फ्रेंस प्रमुख फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने इस गठबंधन का एलान करते हुए कहा कि 5 अगस्त, 2019 के पहले भारत में जम्मू-कश्मीर की जो स्थिति थी, उसे फिर से बहाल करने के लिए संघर्ष किया जाएगा।इन 6 दलों ने ‘पीपल्स अलायंस फ़ॉर गुप्कर डेक्लेरेशन’ का गठन इसी मक़सद से किया है।  जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे…

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‘कोई हमदम न रहा, कोई सहारा न रहा’ जैसे कालजयी गीत के पहले गायक किशोर नहीं, अशोक कुमार थे!

कहा जाता है कि इस गीत के अस्तित्व में आने के वक्त किशोर कुमार सिर्फ पांच वर्ष के थे लेकिन यह गाना उनके जेहन में ऐसा बसा कि जब उन्होंने फिल्मों में अभिनय करना और गीत गाना शुरू किया तो यह गाना अशोक कुमार से जबरदस्ती मांग लिया. यह कहकर कि मैं तुमसे तो इसे…

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अकबर के नाम के साथ ‘महान’ लगाना चाहिए या नहीं?

अनुराग भारद्वाज  दीन-ए-इलाही के ज़रिये अकबर हिंदुस्तान की अवाम को हर धर्म को साथ लेकर चलने वाले मजहब में पिरोना चाहता था. इसे हमारा पहला यूनिफॉर्म सिविल कोड भी कह सकते हैं जो बात अकबर को बाकी मुसलमान सुल्तानों से अलग करती है वह है उसका इस्लाम और बाक़ी धर्मों के प्रति नज़रिया.  कुछ…

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राष्ट्रीय महिला किसान दिवस : महिलाओं के पास क्यों नहीं है ज़मीन का मालिकाना हक़?

गायत्री यादव महिला किसान जिस ज़मीन में हल जोतकर अनाज पैदा कर रही है, खून- पसीना बहा रही है, उसपर उसका अधिकार होगा या नहीं इसका फैसला भी पुरुषों के हाथों में होता है। इंडियन ह्यूमन डेवलपमेंट सर्वे के अनुसार भारत विश्व के उन 15 देशों के से एक है, जहां परंपरागत नियम महिलाओं को…

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कहानीः पोस्टमैन – शैलेश मटियानी

हिन्दी के मूर्धन्य कथाकार-उपन्यासकार शैलेश मटियानी(14 अक्टूबर 1931 – 24 अप्रैल 2001 )-  अल्मोड़ा जिले के बाड़ेछीना में को जन्मे थे. शैलेश मटियानी का रचनाकर्म बहुत बड़ा है. उन्होंने तीस से अधिक उपन्यास लिखे और लगभग दो दर्ज़न कहानी संग्रह प्रकशित किये. आंचलिक रंगों में पगी विषयवस्तु की विविधता उनकी रचनाओं में अटी पड़ी है. …

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भारत रत्न कांग्रेस के धर्मनिरपेक्ष ब्राह्मणों के लिए हुआ करता था, अब ये भाजपा के हिंदुत्व ब्राह्मणों के लिए है

कांचा इलैया शेफर्ड आज भारत में जातीय चेतना एक अलग स्तर पर पहुंच चुकी है. हर बात पर नज़र रखी जा रही है. न सिर्फ भारत में बल्कि विश्व स्तर पर भी जाति की नई व्याख्याएं प्रस्तुत की जा रही हैं. क्या भविष्य में स्थितियां बदलेंगी? पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव और संगीतकार-गायक एसपी बालासुब्रमण्यम को भारत का सर्वोच्च…

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आपको किस बात से दिक्कत है, विज्ञापन से या उसके प्रेम के संदेश से!

अजय कुमार अपर क्लास एलीट कल्चर से सजे धजे तनिष्क एड के प्रेम संदेश पर ट्विटर ने नहीं बल्कि भारत के कड़वी हक़ीक़त ने हमला बोला है! टाटा ग्रुप ने वही किया जो नहीं करना चाहिए था। असल सवाल यही है कि अगर करोड़ों और अरबों की संपत्ति से जुड़े टाटा ग्रुप के लोग ऐसे…

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महबूबा मुफ़्ती एक साल बाद की गईं रिहा

सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर महीने के आख़िर में सुनवाई के दौरान जम्मू कश्मीर प्रशासन से कहा था कि पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को हमेशा के लिए हिरासत में नहीं रखा जा सकता है। महबूबा की बेटी इल्तिजा मुफ्ती की ताज़ा याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा था। कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन से अपने रुख की जानकारी देने के लिए…

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शैलेश मटियानी की विलक्षण प्रतिभा भी उन पर चस्पा ‘बूचड़ की औलाद’ का लेबल नहीं हटा सकी

कविता छोटी सी उम्र में ही बूचड़खाने में काम कर चुके शैलेश मटियानी के लिए संघर्ष जीवन में कभी कम नहीं हुए लेकिन इनके साथ ही उनकी विलक्षण लेखकीय यात्रा चलती रही. राजेंद्र यादव अक्सर कहते थे, ‘मटियानी हमारे बीच वह अकेला लेखक है जिसके पास दस से भी अधिक नायाब और बेहतरीन ही नहीं,…

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कहानीः ठेस – फणीश्वरनाथ रेणु

फणीश्वर नाथ ‘रेणु’ (4 मार्च 1921 – 11 अप्रैल 1977) – बिहार के अररिया जिले में फॉरबिसगंज के पास औराही हिंगना गाँव में जन्मे रेणु इन्टरमीडिएट के बाद स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े। बाद में 1950 में उन्होने नेपाली क्रांतिकारी आन्दोलन में भी हिस्सा लिया । वे जे पी आंदोलन में भी शामिल रहे। उन्हें…

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