अंजलि मिश्रा लोगों से बोलते, हंसते, चुटकुले सुनाते और चित्रा पर चुटकियां लेते जगजीत सिंह इस तरह अपनी गायकी में कई और रंग भर देते थे. यह उस ज़माने की बात है जब जगजीत सिंह बांके नौजवान हुआ करते थे और खूबसूरत चित्रा ने गायकी में उनका साथ देना शुरू ही किया था. 1980 के…
भारत में न्याय की चौखट पर वर्ग, जाति और धर्म के आधार पर लंबे समय से भेदभाव होता रहा है. लेकिन हमारे इन निम्न मानदंडों के लिहाज से भी आज का समय असाधारण है भारत में न्याय पाने से जुड़ा है. मेरा मानना है कि भारत में अगर कोई पुलिस, प्रशासन और अदालतों से निष्पक्ष…
अनिल जैन आज देश के हालात जेपी और लोहिया के समय से भी ज्यादा विकट और चुनौतीपूर्ण हैं लेकिन हमारे बीच न तो जेपी और लोहिया हैं और न ही उनके जैसा कोई प्रेरक व्यक्तित्व। हां, दोनों के नामलेवा या उनकी विरासत पर दावा करने वाले दर्जनभर राजनीतिक दल जरूर हैं, लेकिन उनमें से किसी एक…
आशुतोष सुशांत सिंह राजपूत और बाद में कंगना रनौत के मामले में मीडिया ने शिवसेना और उनकी सरकार को जमकर घेरा। ख़ासतौर पर रिपब्लिक टीवी के संपादक अर्णब गोस्वामी ने उद्धव ठाकरे को लेकर जिस भाषा का इस्तेमाल किया वो किसी भी नेता के लिए असहनीय हो सकता है। उसके बाद कंगना ने ठाकरे को…
पिछले दो दशकों को देखें तो यह पुरस्कार 21 वर्ष में 19 कथा-लेखकों और सिर्फ़ 2 (बॉब डिलन को जोड़ा जाए तो 3) कवियों के हिस्से में आया है और यह धारणा भी बन गयी थी कि दुनिया में अब उपन्यास का ही बोलबाला है और कविता कहीं हाशिये पर चली गयी है, इसलिए नोबेल…
कविता दुनिया के सर्वकालिक महान फिल्मकारों में शुमार गुरु दत्त को जिस जिद और बैचैनी ने बनाया उसने ही उनका सबसे ज्यादा नुकसान भी किया गुरुदत्त की जिंदगी पर जब भी बात की जाए, अकेले की जानी असंभव है. एक प्रेम त्रिकोण सा इसमें आना ही आना है. इस त्रिकोण के तीन सिरे गुरुदत्त, गीता…
इस वर्ष गांधी जयंती (2 अक्टूबर 2020) पर ट्विटर पर ‘नाथूराम गोडसे जिन्दाबाद’ के संदेशों का सैलाब सा आ गया और इसने इसी प्लेटफार्म पर गांधीजी को दी गई श्रद्धांजलियों को पीछे छोड़ दिया. इस वर्ष गोडसे पर एक लाख से ज्यादा ट्वीट किए गए जबकि पिछले वर्ष इनकी संख्या करीब बीस हजार थी. इस…
अमिताभ इस हालत के लिए मुख्य रूप से चैनलों के मालिकान और संपादकगण कसूरवार हैं। मालिकों का ज़्यादा फोकस हमेशा रेवेन्यू पर रहा, कंटेंट पर नहीं, वर्ना किसी भी कीमत पर टीआरपी हासिल करने का दबाव नहीं होता और समूचे इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का यह हाल नहीं होता। पत्रकारिता की साख और सम्मान को गिराने में…
उनलोगों के ये फर्क नहीं पड़ता कि आप बॉलीवुड एक्टर हैं या धनपति? उन्हें जातियों से मतलब है. अभिनेता ने कहा, “आज भी हम चाहें कि जो हमारे ममेरे रिश्तेदार हैं, उनकी शादी पैतृक रिश्तेदारों में कराऊं तो ये संभव नहीं है.” बॉलीवुड अभिनेता नवाज़ुद्दीन सिद्दीक़ी ने समाज में फैली जाति की जकड़बंदी को तोड़ने की…
सोनाली खत्री अपनी पत्नी के साथ मार-पीट करना हमारे देश में कोई नई बात नहीं है। अपनी पत्नी को मारना और घरेलू हिंसा कोहमारे देश के अधिकतर घरों में एक सामान्य बात समझी जाती है। पुरुषोत्तम शर्मा का यह मामला तो बस हमें यह याद दिला रहा है कि महिलाओं के ख़िलाफ़ घरेलू हिंसा हमारे घरों…
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