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Month: October 2020

ब्राह्मणसत्ता और पुरुषसत्ता की दोहरी मार झेलती है दलित स्त्री

अरुण कुमार त्रिपाठी दलित स्त्रियों का आत्मसंघर्ष बहुत गहरा है। वह निरंतर दो स्तरों पर चलता है। राजस्थान की भंवरी बाई और बसमतिया, पश्चिम बंगाल की चुन्नी कोटाल और आज हाथरस की युवती, न जाने कितने उदाहरण इस तरह के हैं जो शोषण के दोहरे शिकंजे का प्रमाण देते हैं। हाथरस में दलित लड़की के…

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हाथरस पीड़िता को न्याय दिलाने का नैरेटिव आरोपियों को ‘इंसाफ़’ में किसने बदला?

अनिल शुक्ल / मीडिया ने गाँव के लोगों से ‘ध्वनि मत’ कराना शुरू कर दिया। हर संवाददाता अपने-अपने लाइव टेलीकास्ट पर है। सबकी अपनी-अपनी ‘ध्वनि मत सभाएँ’ सजी हैं। ‘जो आरोपियों को सजा दिए जाने के पक्ष में हैं, वे गर्दन झुका लें! गिनी-चुनी गर्दनें दिखीं। झटके से सब की सब झुक गईं। ‘जो आरोपियों…

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सिर्फ प्रेमचंद की पत्नी ही नहीं, एक लेखिका थी शिवरानी देवी

ईशा लंबे समय तक लोग यह समझते थे कि यह लघुकथाएं प्रेमचंद ने ही किसी महिला के नाम से लिखी हैं। यह धारणा इतनी आम हो गई थी कि प्रेमचंद को खुद आगे आकर कहना पड़ा कि यह कृतियां वाकई उनकी पत्नी शिवरानी देवी की हैं। यह लघुकथाएं ‘कौमुदी’ नाम के संकलन के रूप में…

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अदालत का फैसला अगर ‘न्याय’ से चूक जाए, तो आदमी क्या करे? कहां जाए?

नित्यानंद गायेन किसी भी लोकतंत्र में अदालतें शोषित और पीड़ितों के लिए न्याय की अंतिम उम्मीद होती हैं। जब वही अदालतें दमनकारी सत्ता की भाषा में जनविरोधी फैसलें सुनाने लगें या किसी पीड़ित की अपील को सुनने से मना कर दें और जज किसी मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लें, तो उस…

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ये नेता आख़िर महिलाओं को समझते क्या हैं!

सोनिया यादव हाथरस मामले में आए दिन बीजेपी मंत्री और नेता अपनी बेतुकी बातों से महिलाओं की अस्मिता को ठेस पहुंचा रहे हैं। हालांकि ये कोई पहली बार नहीं है लेकिन इन बयानों पर बीजेपी महिला नेताओं की चुप्पी गंभीर सवालों के घेरे में है।  उत्तर प्रदेश में एक के बाद एक दुष्कर्म और हत्या…

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हाथरस: एक वेबसाइट बनने के ढाई घंटे में शव जलाने को मजबूर हो गयी योगी सरकार!

प्रेम कुमार  हाथरस केस में जिस ‘जस्टिस फ़ॉर हाथरस विक्टिम.कॉर्र्ड.को’ के ज़रिए ‘दंगा फैलाने की साज़िश का पर्दाफाश’ हुआ वह 30 सितंबर को बनी थी। अगर वह ज़ीरो आवर में बनी हुई मान ली जाए, तब भी उसके बनने के ढाई घंटे बाद ही पीड़िता का हाथरस में अंतिम संस्कार कर दिया गया। महज ढाई घंटे…

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बेगम अख़्तर : जिन्होंने ग़ज़ल को कोठे से निकालकर आम लोगों तक पहुंचाया

अनुराग भारद्वाज मल्लिका-ए-ग़ज़ल बेगम अख्तर की आवाज़ का जादू ऐसा चला कि रिकॉर्ड्स कम पड़ गए और म्यूज़िक कंपनी को विदेश से नया प्लांट ही मंगवाना पड़ा ग़ालिब, मोमिन, फैज़ अहमद फैज़, कैफ़ी आज़मी, शकील बदायूंनी जैसे कमाल के शायरों के कलामों को उनकी आवाज़ ने नए मुक़ाम दिलवाए. लखनऊ घरानों की शान कही जाने…

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हमारे सैनिक बॉर्डर पर सर्दी में खड़े हैं और पीएम 8,000 करोड़ का प्लेन खरीद रहे हैं: राहुल गांधी

पटियाला में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आड़े हाथों लेते हुए कहा,  पीएम ने कुछ दिन पहले 8,000 करोड़ के दो हवाई जहाज खरीदे, अपने चढ़ने के लिए। उधर चीन घुस आया है, हमारे सैनिक बॉर्डर पर खड़े हैं, सर्दी में खड़े…

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एक सभ्य समाज की पहचान जस्टिस – मार्कंडेय काटजू

मैंने आदेश दिया कि क्योंकि यह सार्वजनिक सड़क थी, निजी नहीं, इसलिए संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत मुसलमानों को अंतिम संस्कार का जुलूस निकालने का अधिकार है, और अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी उस अधिकार में हस्तक्षेप न करे। सभ्य समाज की एक पहचान यह है कि उसमें अल्पसंख्यक गौरव और…

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कहानीः स्वार्थी राक्षस – ऑस्कर वाइल्ड

ऑस्कर वाइल्ड (15 अक्टूबर 1854-30 नवम्बर 1900-पेरिस) – अद्भुत कल्पनाशीलता और प्रखर विचारों के धनी ऑस्कर वाइल्ड ने कई उल्लेखनीय  कविता, कहानी,उपन्यास और नाटक लिखे। अँग्रेजी साहित्य में उनका नाम प्राथमिकता से लिया जाता है। विश्व की कई भाषाओं में उनकी कृतियाँ अनुवादित हो चुकी हैं। ‘द बैलेड ऑफ रीडिंग गोल’ और ‘डी प्रोफनडिस’, ‘द…

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