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Year: 2021

बंगाल में लेफ्ट-कांग्रेस गठबंधन ममता या बीजेपी की जड़ काटेगा!

प्रभाकर मणि तिवारी पश्चिम बंगाल के चुनावों में क्या गुल खिलाएगा लेफ्ट, कांग्रेस और बाक़ी दलों का गठबंधन? क्या यह लड़ाई को तिकोना बनाने में कामयाब होगा? वर्ष 2011 के बाद लेफ्ट और कांग्रेस की राजनीतिक ज़मीन लगातार खिसकती रही है। लेकिन अबकी यह गठबंधन टीएमसी और बीजेपी का विकल्प बनने का दावा कर रहा है। वैसे, इससे पहले…

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रामकृष्ण परमहंस : जिनके भोले प्रयोगवाद में वेदांत, इस्लाम और ईसाइयत सब एकरूप हो गए थे

अव्यक्त निरक्षर और पागल तक कहे जाने वाले रामकृष्ण परमहंस ने अपने जीवन से दिखाया था कि धर्म किसी मंदिर, गिरजा, विचारधारा, ग्रंथ या पंथ का बंधक नहीं है भारत और दुनियाभर में आध्यात्मिक परंपरा की एक खासियत रही है कि गुरुओं की महानता को दुनिया के सामने लाने का कार्य उनके शिष्यों और बाद…

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‘सामने ईसा मसीह का जीवन चरित्र चल रहा था तो मेरे मन के चक्षु भगवान राम के चित्र देख रहे थे’- दादा साहब फालके

दादा साहब फालके का लिखा यह आलेख 1913 में तब की मशहूर पत्रिका नवयुग में छपा था. इसमें उन्होंने अपने संघर्षों की कहानी कही है 1910 में बंबई के अमरीका-इंडिया पिक्चर पैलेस में मैंने ‘द लाइफ ऑफ़ क्राइस्ट’ फिल्म देखी. इससे पहले, कई बार अपने परिवार या मित्रों के साथ फिल्में देखी होंगी, लेकिन क्रिसमस…

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कृषि क़ानून कारपोरेट के फायदे के लिये या कोई और योजना है?

रविकान्त अटल-आडवाणी की बीजेपी पर लगे गांधीवादी समाजवाद के मुखौटे को नरेंद्र मोदी ने उतार फेंका। हिंदुत्व मोदी-शाह की बीजेपी का खुला एजेंडा बना। खुलेआम सांप्रदायिक राजनीति के दम पर एक कट्टर हिंदुत्व की छवि के रूप में नरेंद्र मोदी का उभार हुआ। गुजरात का मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने पूँजीपतियों के साथ व्यक्तिगत दोस्ती की।…

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यदि राजा रवि वर्मा न होते तो हम शायद किसी और रूप-रंग की सरस्वती की पूजा कर रहे होते!

चंदन शर्मा मशहूर पेंटिंग ‘देवी सरस्वती’ को 1896 में अद्भुत प्रतिभा के धनी राजा रवि वर्मा ने बनाया था आज बसंत पंचमी है. हर साल विक्रमी संवत के माघ महीने की शुक्ल पंचमी को देश में बड़े धूमधाम से विद्या की देवी मानी जाने वाली सरस्वती की आराधना की जाती है. हिंदू धर्म में इनका…

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‘टूलकिट’ क्या है ? जिसके नाम पर लोग देशद्रोही ठहराये जा रहे हैं!

पंकज चतुर्वेदी आजकल टूलकिट बहुत चर्चा में है। टूलकिट को आम लोक रिंच और प्लास वगैरह का बक्सा समझते थे जो दोपहिया या चारपहिया जैसी चीजों को ठीक करने के लिए साथ रखा जाता था। लेकिन अब पता चला है कि टूलकिट जैसी चीज़ देशद्रोही हो सकती ही। यूएपीए लग सकता है। दिल्ली पुलिस ग्रेटा…

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सिंघु की सीख : नफ़रत नहीं दोस्ती की दरकार

नाज़मा ख़ान जिस वक़्त देश के माहौल में प्यार करना सबसे मुश्किल बात हो गई हो वैसे में इन दोनों की दोस्ती किसी ‘क्रांति’ से कम नहीं लग रही थी। ये वो ‘बग़ावत’ कर रहे थे जिससे नफ़रत फैलाने वालों के मुंह पर तमाचा लग रहा था! इनके इस ‘गुनाह’ को मैं ‘रिपोर्ट’ करना चाहती…

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ग़ालिब अगर शायर न होते तो उनके ख़त ही उन्हें अपने दौर का सबसे ज़हीन इंसान बना देते

अनुराग भारद्वाज अपनी मौत से एक दिन पहले ग़ालिब ने नवाब लोहारू के खत का जवाब कुछ यूं लिखवाया- मुझसे क्या पूछते हो कि कैसा हूं? एक या दो दिन ठहरो फिर पड़ोसी से पूछ लेना सौं उससे पेश-ए-आब-ए से बेदरी है (मैं झूठ बोलूं तो प्यासा मर जाऊं), शायरी को मैंने नहीं इख़्तियाया (अपनाया)….

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बंगाल : मुसलिम वोटों की मारामारी, पार्टी की तैयारी में फुरफुरा शरीफ़ के पीरज़ादा

प्रमोद मल्लिक पश्चिम बंगाल की राजनीति कुछ साल पहले तक धर्मगुरुओं से संचालित नहीं होती थी। यहां के मुसलमान किसी इमाम के कहने पर वोट नहीं देते थे। दिल्ली की जामा मसजिद के शाही इमाम अब्दुल्ला बुखारी का जब 1980 के दशक में देश के मुसलमानों पर दबदबा था या ऐसा वे दावा करते थे,…

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प्रोफेसर डी. एन. झाः तथ्यात्मक इतिहास लेखन से साम्प्रदायिक राष्ट्रवाद की चुनौती का मुकाबला – राम पुनियानी

दिल्ली विश्वविद्यालय में इतिहास के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डी. एन. झा ऐसे ही एक इतिहासविद् थे. उन्हें कई बार जान से मारने की धमकियां दी गईं. गत 4 फरवरी को प्रोफेसर झा की मृत्यु न केवल हमारे देश और दुनिया के इतिहासविदों के लिए एक बहुत बड़ी क्षति है वरन् उस आंदोलन के लिए भी…

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