पुलकित भारद्वाज ढोला-मारू की प्रेम कहानी से जुड़ा यह लोकगीत सदियों से राजस्थान की मिट्टी में बसा है, लेकिन इसे सम्मान के सर्वोच्च शिखर तक पहुंचाया अल्लाह जिलाई बाई ने । सुनिए नग्मा- आसमान तक ऊंचे रेत के धोरे और रेत की ही सुनहरी चादर में लिपटी जमीन. दूर-दूर तक दिखता रेत का अनंत सैलाब…
डॉ. ए.के. अरुण लोकसभा में पेश बजट 2021-22 कोरोना काल का बजट है इसलिए इसमें स्वास्थ्य के मद में कुछ ज्यादा धन दिखाई दे रहा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट भाषण में ‘‘स्वास्थ्य संकट’’ का स्पष्ट उल्लेख यह दर्शाने के लिए काफी है कि आने वाले समय में स्वास्थ्य की चुनौतियां ज्यादा गंभीर…
कविता बनारस ज्ञान, भोग और भक्ति का संगम है तो यहां जन्मे जयशंकर प्रसाद ज्ञान, अध्यात्म और देशभक्ति का संगम थे कुछ एक शहरों के लिए कहा जा सकता है कि वे एक जगह थमे हैं तो उतने प्रवाहमान भी हैं. बनारस इन्हीं में से एक है. अपनी सांस्कृतिक पहचान, जिसमें उसका भदेसपन शामिल है,…
पिछली बार मुसलमानों के ख़िलाफ़ घृणा का प्रचार किया गया और फिर उनपर भीड़ की हिंसा को स्वतःस्फूर्त क्षोभ की अभिव्यक्ति कहा गया। इस बार सिखों के ख़िलाफ़ घृणा का प्रचार किया जा रहा है। भारत गृह युद्ध की तरफ ढकेला जा रहा है। यह शासकों की तरफ से किया जा रहा है। या शायद…
नई दिल्ली/उदयपुर। कला और साहित्य दो भिन्न क्षेत्र नहीं हैं, बल्कि एक – दूसरे से गहरे स्तर तक जुड़े हुए हैं। ऐसी कोई भी महीन या बारीक रेखा नहीं है,जो इन्हें अलगाती हो। कला और साहित्य की अंतःसूत्रता को समझने के लिए, दोनों का सूक्ष्म निरीक्षण बेहद जरूरी है। गहरी अंतर्दृष्टि के संभव होने पर…
इंदौर, 31 जनवरी 2021. गत वर्ष दिसम्बर के महीने में इंदौर, उज्जैन, मंदसौर और अलीराजपुर जिलों में हुई साम्प्रदायिक हिंसा की घटनाओं के कारणों की जाँच करने के लिए एक नौ सदस्यीय स्वतंत्र तथ्यान्वेषी दल ने इन इलाकों का दौरा किया। हालाँकि हिंसा की घटनाएँ ज्यादा फैली नहीं लेकिन दल के सदस्यों ने ये महसूस…
नेताजी सुभाषचंद्र बोस की 125वीं जयंती (23 जनवरी) के अवसर पर देश भर में अनेक आयोजन हुए. राष्ट्रपति भवन में उनके तैल चित्र का अनावरण किया गया. केंद्र सरकार ने घोषणा की कि नेताजी का जन्मदिन हर वर्ष ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाया जायेगा. रेलमंत्री ने कहा कि हावड़ा-कालका मेल को अब नेताजी एक्सप्रेस…
फरीद खान हर दिल अजीज रंगकर्मी सफदर हाशमी के जिक्र से कई सियासी सूत्र खुलते हैं” जब लोकतांत्रिक अधिकारों पर कई तरह के पहरे मढ़े जा रहे हों तो हर दिल अजीज रंगकर्मी सफदर हाशमी के जिक्र से कई सियासी सूत्र खुलते हैं। रंगकर्मी, सफदर के अभिन्न मित्र और उनकी हत्या के चश्मदीद गवाह सुधन्वा…
अरुण कुमार त्रिपाठी किसानों के धरना स्थल पर गांधी की चाक्षुष उपस्थिति न के बराबर है या बहुत कम है। क्योंकि उन्हें ज़रूरत नहीं गांधी के नाम पर दिखावा करने की। फिर भी शांतिपूर्वक धरने पर बैठे किसानों ने 30 जनवरी यानी महात्मा गांधी के शहादत दिवस पर एक दिन का उपवास रखा।किसानों ने गांधी…
अव्यक्त 31 जनवरी, 1948 को दिए इस वक्तव्य में विनोबा भावे बताते हैं कि क्यों जब गांधीजी जैसा पुरुष देह छोड़कर जाता है तो वह रोने का प्रसंग नहीं होता अभी इस समय दिल्ली में जमुना नदी के किनारे पर एक महान पुरुष की देह अग्नि में जल रही है. हम यहां जिस तरह प्रार्थना…
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