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Year: 2021

“हिना” फिल्म पर इप्टा की परिचर्चाः सरहदें बाँटती हैं तो इंसानियत जोड़ती है : अब्बास

“हिना” फिल्म इंसानियत को बयां करती दो दिलों की प्रेम कहानी है. इसमें प्रेम, इंसानियत के मूल्यों के साथ जी रहे आमलोगों की जिंदगी में मचने वाली खलबली है जो सियासत ने सरहद की लकीरें खींच कर उठाई है. ख़्वाजा अहमद अब्बास की जिंदगी का भी ये सवाल था कि चाँद को चन्द्रमा कहने से…

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मज़दूरों, किसानों, खेत मज़दूरों ने ऐतिहासिक अभियान का किया आगाज़

सुबोध वर्मा जनता के प्रमुख मुद्दों पर सरकार के लचर रवैये के ख़िलाफ़ मेहनतकश लोगों ने ‘भारत बचाओ’ आंदोलन की शुरूआत कर दी है। सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन (सीटू), अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) और अखिल भारतीय खेत-मज़दूर यूनियन (एआईएडब्ल्यूयू) हैं। इन संगठनों ने देश के कामकाजी लोगों के विशाल बहुमत का प्रतिनिधित्व करते हुए,…

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अब्बास का रचनाकर्म – 3ः “हिना” फिल्म पर विमर्श 27 जुलाई को रात 8 बजे

भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) की केंद्रीय इकाई द्वारा ख़्वाजा अहमद अब्बास के रचनाकर्म पर केंद्रित कार्यक्रमों की तीसरी कड़ी में “हिना” फिल्म के ज़रिये अब्बास साहब की चिंताओं और उनके सरोकारों पर एक ज़ूम मीटिंग आयोजित की गयी जिसका फेसबुक पर इसका प्रीमियर 27 जुलाई 2021 की रात 8 बजे से 9.30 बजे तक…

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क्यूबा को अस्थिर करने के ताज़ा साम्राज्यवादी प्रयास

अरविंद पोरवाल 26 जुलाई, 2021 को अपनी महान क्रांति की 68वीं वर्षगांठ मना रहा क्यूबा 1959 के बाद से अपने सबसे कठिन दौर से गुजर रहा है। गत  11 जुलाई को बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी क्यूबा की सड़कों पर उतर आए जो मुख्य रूप से भोजन, बिजली और दवाओं की कमी तथा महामारी के कारण…

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क्या ऐसी तकनीक होनी चाहिए जो राज्य के लिए निजता का अतिक्रमण करे? – अपूर्वानंद

अपने बारे में जानकारियों को लेकर इतना संकोच क्यों? और क्या हम यह भी नहीं कहते रहे हैं कि हमें पारदर्शी होना चाहिए? वही अच्छा है जो बाहर और भीतर एक हो? हम ऐसा कुछ करें ही क्यों जिसे लेकर पर्दादारी करनी पड़े? निजता को लेकर दार्शनिक और क़ानूनी बहस होती रही है। मुझे मेरे व्यक्तित्व…

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व्यंग्यः तरह तरह के गुरु – प्रभाकर चौबे

चेला के साथ चांटी लगे रहते हैं, इसलिए कहा जाता है – गुरु के चेला चांटी बहुत हैं। चेला का मतलब तो समझ मे आया। चांटी का क्या अर्थ। खींच-कींचकर अर्थ निकाला छत्तीसगढ़ी मे चींटी के चांटी कहते हैं। तो चेला का मतलब प्रमुख चेला और उसके साथ-साथ जो छोटे-छोटे लोग आएं, वे चांटी, इसका…

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पेगाससगेट : हम सभी फ़िलीस्तीनियों की तरह स्वतंत्र इच्छा से वंचित हो सकते हैं

एजाज़ अशरफ़ यह सिर्फ राहुल गांधी, ममता बनर्जी, प्रशांत किशोर या पत्रकारों को फोन के माध्यम से ट्रैक किए जाने का मसला नहीं है। बल्कि चिंता इस बात की है कि दुनिया भर में कोई भी स्पाइवेयर की जासूसी/निगरानी से सुरक्षित नहीं है।यह बात संभव है कि भारत में जनता उन लोगों के नामों के…

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संसद के पास किसानों ने लगाई अपनी किसान संसदः पास किए कई प्रस्ताव

संसद भवन के निकट ऐतिहासिक किसान संसद के मानसून सत्र की जोर-शोर से शुरुआत – किसान-विरोधी एपीएमसी बाइपास अधिनियम के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत और अनुशासित बहस हुई। दिल्ली पुलिस द्वारा मीडिया को किसान संसद की कार्यवाही से दूर रखने की कोशिश को एसकेएम ने शर्मनाक प्रयास कहा और उसकी की निंदा की .केंद्र के…

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नए ज़माने के संत स्टेन स्वामी – राम पुनियानी

गत  5 जुलाई 2021 को भारतीय मानवाधिकार आंदोलन ने अपना एक प्रतिबद्ध, सिद्धांतवादी और अथक योद्धा खो दिया. फॉदर स्टेनीलॉस लोरडूस्वामी, जो स्टेन स्वामी के नाम से लोकप्रिय थे, ने मुंबई के होली स्पिरिट अस्पताल में अंतिम सांस ली. जिस समय वे अपनी मृत्युशैया पर थे उस समय उनकी जमानत की याचिका पर अदालत में…

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नवउदारवाद और धुर-दक्षिणपंथ की अजीबोगरीब सांठ-गांठ – प्रभात पटनायक

पहले वाले दौर के फासीवादी आंदोलनों ने अपनी शुरूआत बड़ी पूंजी के खिलाफ आंदोलनों के रूप में की थी। लेकिन अब के नव-फासीवादी तथा धुर-दक्षिणपंथी आंदोलन शोषणकारी व्यवस्था के खिलाफ–जो जनता को बेरोजगार बनाए रखती है-जायज गुस्से को भुनाने का कोई प्रयास करती नहीं दिखाई देती हैं।   पिछले कुछ अर्से में दुनिया भर में धुर-दक्षिणपंथी,…

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