नीरज को प्रेम और श्रृंगार का कवि माना जाता है लेकिन उनकी कविता में जीवन और उसकी नश्वरता की बहुत गहरी तलाश है. गोपालदास नीरज ने भरपूर जीवन जिया. उम्र के लिहाज से भी और कविता के लिहाज से भी. वे प्रेम के साथ दर्द को मिलाकर गाने वाले फ्ककड़ गीतकार थे. चार जनवरी 1925 […]
Read Moreबाजार का टाइम 2 घंटे कम कर दिया। अब रात 9 की बजाय शाम 7 बजे बन्द होंगे। अब रात के 2 घंटे बचाकर कोरोना के प्रभाव से क्या बचाव होगा ये तो वही बता पायेंगे जिन्होंने 7 बजे करवाया है । रोज़ नया प्रयोग ,नया फार्मूला । मगर हासिल आ रहा है शून्य। कौन […]
Read Moreकुँवर नारायण (19 सितम्बर 1927-15 नवम्बर 2017) नई कविता आन्दोलन के सशक्त हस्ताक्षर कुँवर नारायण अज्ञेय द्वारा संपादित तीसरा सप्तक (1959) के प्रमुख कवियों में रहे हैं। उन्हें साहित्य जगत के सर्वोच्च सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार सहित कई पुरुस्कारों से सम्मानित किया गया। उनकी अनेक कृतियाँ प्रकाशित व कई भाषाओं में अनुदित हैं । ( संपादक) […]
Read Moreप्रेमचंद की तरह भीष्म साहनी ने भी समाज को उसी बारीकी से देखा-समझा था लेकिन, यह प्रेमचंद से आगे का समाज था इसलिए उनकी लेखनी ने विरोधाभासों को ज्यादा पकड़ा आजकल महानगरों के कुछ ‘अतिकुलीन’ परिवारों में चलन शुरू हुआ है कि बच्चे अपने अभिभावकों को मम्मी-पापा कहने के बजाय उनका नाम लेते हैं. इस […]
Read More1 हम पहाड़ हैं हमारे अंदर से वे कंदराएं बोलती है जिन्हें प्रेम ने वहां सिरज रखा है उन फिसलनदार चट्टानों से आती है आवाजें जो घृणा से उपजी हैं किसी हावभाव से किसी गुमनाम भूआकृति का मिलता है आभास झलकने लगती हैं असंख्य दरारों से निकलकर इधर-उधर बहने वाली छोटी छोटी नदियां हमारे सारे […]
Read Moreआर॰ के॰ नारायण (10अक्टूबर 1906- 13म, 2001) – साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित आर के नारायण अंग्रेजी साहित्य के भारतीय लेखकों में महत्वपूर्ण नाम है। मुख्यतः उपन्यास तथा कहानी विधा में गंभीर यथार्थवाद के माध्यम से मानवीय मूल्यों को सरल व सहज तरीके से अभिव्यक्त किया है। मालगुड़ी डेज़ घारावाहिक और फिल्म ‘गाइड’ से उन्हें हिन्दी क्षेत्रों में काफी लोकप्रि.ता मिली । आज पढिए उनकी […]
Read Moreऑंखें कुछ अभ्यस्त हुईं तो सड़क के दोनों तरफ खड़े हुए पेड़ों, टीलों और उनके पीछे के पहाड़ों की आकृतियाँ दिखलाई देने लगीं। अलबत्ता, घने अंधेरे के कारण इन आकृतियों की तराश अब भी दिखलाई नहीं दे रही थी। हवा न चलने के कारण सब कुछ स्थिर था, जिसने सन्नाटे को और अधिक गहरा […]
Read Moreअनिल शुक्ल हंस संपादक संजय सहाय ने एक बयान देकर प्रेमचंद पर विवाद खड़ा कर दिया है। उन्होंने कहा है कि प्रेमचंद की 20-25 कहानियों को छोड़ बाक़ी सब ‘कूड़ा’ हैं। क्या संजय सहाय को यह नहीं पता है कि प्रेमचंद आधुनिक विश्व साहित्य के उँगलियों पर गिने जाने वाले उन कथाकारों में हैं जिनकी […]
Read Moreराजीव अब फिर से पीछे की खिड़की से उस काले सौंदर्य को उसी तरह निहारने में लग गया था । राजीव शहर के जिस इलाके में रहता है वह ने शहर में है। ने शहर के भी जिस हिस्से में उसका घर है वह घनी आबादी का हिस्सा है। […]
Read Moreचित्तौड़गढ़ । साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में कार्यरत संस्थान ’संभावना’ ने अपने संरक्षक और सुप्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी रामचन्द्र नन्दवाना के नाम पर दिए जाने वाले वार्षिक सम्मान के लिए प्रविष्टियां आमंत्रित की हैं। ।उल्लेखनीय है कि वियोगी हरि, ठक्कर बापा और माणिक्यलाल वर्मा के निकट सहयोगी रहे रामचन्द्र नन्दवाना का यह जन्म शताब्दी वर्ष […]
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