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Year: 2020

RSS के मुखपत्र ने क्यों लिखा था- संविधान में कुछ भी भारतीय नहीं!

रविकान्त संविधान में धर्म व्यक्ति का निजी मामला है। लेकिन इस दौर में खुल्लम-खुल्ला धार्मिक राजनीति हो रही है। अब सांप्रदायिक होना शर्म नहीं, बल्कि गर्व की बात है। संविधान में प्रदत्त समता को समरसता में तब्दील किया जा रहा है। समरसता बुनियादी तौर पर भेदपरक फिकरा है। संविधान और लोकतंत्र पर सत्तापक्ष और हिंदुत्ववादी…

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किसानों के मुद्दे पर संविधान सभा की चुप्पी का नतीजा है कि आज दिल्ली के रास्ते इनके लिए बंद हैं!

रमा शंकर सिंह भारत का संविधान समाज के सभी वर्गों के साझा बलिदानों और संघर्षों की दास्तान है। आज के दिन हमें उसका जश्न मनाना चाहिए। यदि आप भारत के संविधान सभा की बहसों को पढ़ें तो पाएंगे कि यह लगभग 4250 मुद्रित पृष्ठों में फैली हुई एक बातचीत है जहां आप भारत के नेताओं…

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किसानों का दिल्ली कूच: कई किसान नेताओं को पुलिस ने लिया हिरासत में

कृषि कानूनों के खिलाफ देश भर के किसानों का गुस्सा फूटा  है, 26 से 28 नवंबर तक पंजाब-हरियाणा-राजस्थान के किसान ‘दिल्ली कूच’ पर निकले किसानों को रोकने के लिए प्रशासन हर सम्भव प्रयास करने में जुटा है। पंजाब और हरियाणा के किसान कृषि को लेकर मोदी सरकार की नीतियों के ख़िलाफ़ संघर्ष कर रहे हैं। सरकार…

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प्रोफ़ेसर यशपाल हर बच्चे को समझ का चस्का लगा देना चाहते थे – अपूर्वानंद

प्रोफेसर यशपाल मानते थे कि प्रश्न करना मनुष्य होने का प्रमाण था इसलिए वे शिक्षकों से कहा करते थे कि बच्चों का पूछा कोई भी प्रश्न पाठ्यक्रम से बाहर नहीं है यशपाल कहा करते थे कि हमारा मकसद बच्चों में समझ का चस्का पैदा करने का होना चाहिए. एक बार उन्हें यह चस्का लग गया,…

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महान फुटबॉल खिलाड़ी डिएगो माराडोना का निधन

फुटबॉल के महान खिलाड़ी डिएगो माराडोना का निधन हो गया। वह 60 साल के थे। उन्हें दिल का दौरा पड़ा था। माराडोना को सर्वकालिक महान फुटबॉलर कहा जाता है। आठ दिन पहले उन्हें इमर्जेंसी ब्रेन सर्जरी के लिए भर्ती करवाया गया था  और कल दिल का दौरा पड़ने से निधन की ख़बर आई। इस महान…

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परवीन शाकिर ने अपने अंदर की लड़की को मरने नहीं दिया

अब्दुल्लाह ज़कारिया नदीम ऐसा नहीं कि परवीन ने सिर्फ़ इश्क़ और रूमान को ही अपनी नज़्मों का मौज़ू’ बनाया है, अपनी ज़मीन और उससे जुड़े हुए मसाइल को भी क़लम-बंद किया है। सिंध की बेटी का सवाल ‘‘फ़र्ज़ंद-ए-ज़मीन’’ ‘‘शहज़ादी का अलमिया’’ और ‘‘बहार अभी बहार पर है’’ जैसी नज़्में भी लिखी हैं जो सियासी और…

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हमारा गणतंत्र और संविधान दिवस की चुनौतियां

लाल बहादुर सिंह 26 नवम्बर, हमारा संविधान दिवस है। विडम्बना देखिए देश के सारे किसान व मजदूर संगठन इसी संविधान दिवस के दिन जिंदा रहने और अपनी आवाज़ उठा पाने के न्यूनतम संवैधानिक अधिकार की रक्षा के लिए सड़क पर आ रहे हैं। किसान दिल्ली कूच कर रहे हैं तो मज़दूर आम हड़ताल। 26 नवम्बर, हमारा संविधान दिवस है।…

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कॉरपोरेट को बैंक खोलने देना अशर्फियां लुटाकर कोयले पर मुहर लगवाने जैसा मूर्खतापूर्ण कदम है – रघुराम राजन

भारतीय रिज़र्व बैंक ने हाल ही में बैंक स्‍वामित्‍व पर दिशानिर्देशों से सम्‍बंधित अपने एक आंतरिक कार्य समूह (आइडब्‍लूजी) की रिपोर्ट जारी की है जिसमें बैंकिंग क्षेत्र में भारतीय कॉरपोरेट प्रतिष्‍ठानों के प्रवेश का प्रस्‍ताव रखा है। रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन और विरल आचार्य ने एक संयुक्‍त पर्चा लिखकर इस प्रस्‍ताव के…

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राधेश्याम कथावाचक : जिन्होंने रामलीला को नया आधार ग्रंथ दिया

प्रभात पारसी थिएटर में हिंदी परंपरा की नींव रखने वाले इस दिग्गज की राधेश्याम रामायण हिंदी पट्टी के एक बड़े इलाके में कई दशकों से लोकप्रिय रही है बक़ौल मधुरेश, एक नाटककार के तौर पर राधेश्याम कथावाचक एक ओर उर्दू के गढ़ में हिंदी की सेंध लगा रहे थे, वहीं वे हिन्दू आदर्शों के संपोषण…

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कहानीः ‘लव जिहाद’ लाइव – कैलाश बनवासी

कैलाश बनवासी की कहानियां आम आदमी और दैनिन्दिन घटनाओं के ईर्दगिर्द बुनी होती हैं और बहुत सहजता से वे अपनी बात पाठकों तक पहुंचाते हैं । ‘लक्ष्य तथा अन्य कहानियाँ ‘ ‘बाजार में रामधन’, ‘पीले कागज की उजली इबारत ‘ कहानी संग्रह एवं ‘लौटना नहीं है ‘उपन्यास  प्रकाशित हो चुके हैं । वे श्याम व्यास पुरस्कार,…

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