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Year: 2020

पितृसत्तात्मकता और धार्मिक राष्ट्रवाद –राम पुनियानी

गोवा के लॉ स्कूल में सहायक प्राध्यापक शिल्पा सिंह, दरअसल, उन पितृसत्तात्मक प्रतीकों का विरोध कर रहीं हैं जो हमारी सांस्कृतिक और धार्मिक परम्पराओं का भाग बन गईं हैं और जिन्हें विभिन्न धार्मिक समुदायों द्वारा अपनी महिलाओं पर थोपा जाता है. ये काम शिल्पा तब कर रहीं हैं जब हमारे देश ही नहीं बल्कि पूरी…

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शानदार अदाकारा शौकत कैफी

अदाकारा शौकत कैफी की पुण्यतिथि पर —जाहिद खान कैफी आजमी ने जब ‘उमराव जान’ फिल्म देखी, तो उन्होंने कॉस्ट्यूम डिजाइनर सुभाषिणी अली को अपना रद्दे अमल देते हुए कहा,‘‘शौकत ने खानम के रोल में जिस तरह हकीकत का रंग भरा है,अगर शादी से पहले मैंने इनकी अदाकारी का यह अंदाज देखा होता,तो इनका शजरा(वंशावली) मंगवाकर देखता…

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शेख़ इब्राहिम ‘ज़ौक़’: बहादुर शाह ज़फर का वो उस्ताद जिसके चलते कई लोग उन्हें शायर ही नहीं मानते

अनुराग भारद्वाज ज़ौक, बहादुर शाह ज़फर के उस्ताद, न तो शायरी में किसी से कम थे और न मुफ़लिसी में. पर उन्होंने न तो कभी ग़ालिब की तरह अपनी ग़ुर्बत का ढोल पीटा और न वजीफ़े के लिए हाथ-पैर मारे बादशाह को किसी राह चलते कोई जुमला पसंद आ गया तो उसे पूरा करने की…

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कोविड 19 दूसरी लहर: राज्यों में प्रतिबंध शुरू

दिवाली के बाद देश में कोरोना वायरस का संकट एक बार फिर तेजी से बढ़ रहा है। कोविड19 के बढ़ते हुए मामलों को देख कुछ राज्यों ने प्रतिबंध लगाने शुरू कर दिए हैं। गुजरात के अहमदाबाद और मध्य प्रदेश के 5 शहरों में रात्रिकालीन कर्फ्यू लगाने का ऐलान किया गया है और कुछ राज्यों में…

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न्यायिक बर्बरता की ओर बढ़ रहा है सुप्रीम कोर्ट!

प्रताप भानु मेहता राजनीति शास्त्र की भाषा में एक बात कही जाती है- लोकतांत्रिक बर्बरता। लोकतांत्रिक बर्बरता अमूमन न्यायिक बर्बरता से पलती है। ‘बर्बरता’ शब्द के कई अवयव हैं। पहला है न्यायपालिका से जुड़े निर्णयों में मनमानी का बहुत अधिक देखा जाना। क़ानून के इस्तेमाल में जजों की निजी इच्छा या सनक इतनी हावी हो…

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शांति के लिए कोरिया का प्रतिष्ठित साहित्यिक पुरस्कार LLPP इस साल अरुंधति रॉय को

दक्षिण कोरिया का प्रतिष्ठित ली हो छ पुरस्‍कार इस साल भारत की लेखिका अरुंधति रॉय को दिया जाएगा। यह शांति के लिए दिया जाने वाला साहित्यिक पुरस्‍कार है जिसकी स्‍थापना 2017 में की गयी थी। युनपिंयोंग जू डिट्रिक्‍ट ऑफिस, स्‍योल द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि बीते 10 नवंबर को कोरिया…

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फ़ैज़ अहमद फ़ैज़, जिन्हें लिखने के लिए जेल में डाला गया

रमाशंकर सिंह जो इश्क़ करते हैं, बेड़ियों को तोड़ना चाहते हैं, दुनिया को बदलना चाहते हैं, उन्हें आज भी फ़ैज़ की ज़रूरत है. गुलों में रंग भरे बाद-ए-नौबहार चलेचले भी आओ कि गुलशन का कारोबार चले क़फ़स उदास है, यारो सबा से कुछ तो कहोकहीं तो बहर-ए-ख़ुदा आज ज़िक्र-ए-यार चले कभी तो सुब्ह तेरे कुंज-ए-लब…

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बिहार चुनाव पर मनोज वाजपेयी की डायरी, एक अभिनेता का वोट- मनोज वाजपेयी

बड़ी उम्मीद बिहार के हर नागरिक को चुनाव के बाद सत्ता में आने वाली हर सरकार से सिर्फ एक ही उम्मीद होती है कि वह अपनी तमाम ऊर्जा के साथ राज्य के हित में अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन पर ध्यान दे। बिहार की धरती के लोगों को शासन चलाने वाले अपने लोगों से बहुत समर्पण की…

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा राज्य की मर्जी के बिना सीबीआई का अधिकार क्षेत्र नहीं बढ़ा सकती केंद्र सरकार

सुप्रीम कोर्ट ने यूपी से जुड़े एक भ्रष्टाचार के मामले की सुनवाई करते हुए अहम बात कही है कि राज्य सरकार की इजाजत के बिना सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (सीबीआई)  किसी मामले की जांच नहीं कर सकती। साथ ही केंद्र सरकार राज्य की अनुमति के बिना सीबीआई का अधिकार क्षेत्र नहीं बढ़ा सकता है। गौरतलब…

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बिहार में ‘साइलेंट’ और स्त्री वोटरों के मतदान का राज़ – अभय कुमार दुबे

स्त्रियों के कुल वोटों का अंदाज़ा लगाया जाए तो यह स्पष्ट हो जाता है कि कुल 38 फीसदी महिला वोटरों ने एनडीए के चुनाव चिह्नों के बटन दबाए, जबकि महागठबंधन के चुनाव चिह्नों के बटन दबाने वाली स्त्रियों का प्रतिशत 37 फीसदी रहा। केवल एक फीसदी का अंतर कहीं से यह साबित नहीं करता कि…

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