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Year: 2020

तेजस्वी चुनाव आयोग पर हमलावर, बोले- बदलाव का मिला जनादेश

तेजस्वी यादव चुनाव नतीजों के बाद गुरूवार को पहली बार सामने आए। उन्होंने कहा कि जनता का फ़ैसला महागठबंधन के पक्ष में है जबकि चुनाव आयोग का नतीजा एनडीए के पक्ष में है। इससे पहले आरजेडी विधायक दल की बैठक हुई, जिसमें तेजस्वी यादव को विधायक दल का नेता चुना गया। बिहार के चुनावी घमासान में…

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दिवाली में वेब सीरीज़ आश्रम-2 और नई फ़िल्में करेंगी मनोरंजन, जानें- कहां क्या देख सकते हैं

इस दिवाली को ख़ास बनाने के लिए ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर कई फ़िल्में और वेब सीरीज़ आ रही हैं। 12 नवम्बर को धन तेरस के मौके़ पर नेटफ्लिक्स पर डार्क कॉमेडी लूडो, 13 नवम्बर को राजकुमार राव और नुरसत भरूचा की फ़िल्म छलांग हो रही है रिलीज।सिनेमाघर खुलने के बाद पहली फिल्म मनोज बाजपेयी, दिलजीत दोसांझ…

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क्यों बिहार चुनाव में लेफ़्ट को मिली बडी कामयाबी ?

प्रमोद मल्लिक ऐसे समय जब पूरी दुनिया में वामपंथ का मर्सिया पढ़ दिया गया है, भारत में दक्षिणपंथी और विभाजनकारी ताक़तें हावी हैं और बीजेपी व नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता बढ़ती ही जा रही है, इसके उलट वामपंथी दलों ने बिहार में ज़बरदस्त चुनावी नतीजे लाकर सबको हैरत में डाल दिया है।बिहार विधानसभा के 1965…

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सितारा देवी : भारत की मशहूर कथक क़्वीन

एश्वर्या राज मशहूर नृत्यांगना सितारा देवी का यह जन्म शताब्दी वर्ष है ।सितारा देवी के पिता संस्कृत और नाट्यशास्त्र के विद्वान सुखदेव महाराज थे और उनकी मां मत्स्या कुमार का नाता नेपाल के राजघराने से था। उनकी पैदाइश कलकत्ता की है। उनका असली नाम धनलक्ष्मी था। सुखदेव महाराज ने उनकी प्रतिभा के अनुसार एक नया…

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कहानी : एक औरत- राजेन्द्र सिंह बेदी

 तरक्की पसंद उर्दू कथाकारों में राजिंदर सिंह बेदी का नाम अत्यंत आदर के साथ लिया जाता है. कहानियों के साथ ही फिल्मों से भी उनका काफी गहरा संबंध रहा। उनकी कहानिया जमीन से जुड़ी होती हैं। उनकी कहानियों से गुजरते हुए हमारी अपनी संजीदगी बेदी की संजीदगी से एकमेक हो उठती है. उनकी शैली तथा…

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क्या ज़ोर्ज ओर्वेल की ओशीनिया ही हमारी नयी दुनिया है?

 भद्रसेन ‘नाइनटीन एट्टी-फोर’ के बाद राजनीति दर्शन के क्षेत्र में लोगों के जीवन पर सर्वत्र निगाह रखने वाले राज्य को ‘ओर्वेलियन’ नाम से जाना जाने लगा. आज जब हुक़ूमतें ‘सर्विलांस’ के बिना चल ही नहीं सकतीं, ‘ओर्वेलियन’ शब्द में अंतर्निहित अर्थ को समझना सबसे अधिक अनिवार्य हो गया है. अपनी मृत्यु से ठीक एक साल…

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बाइडन की जीत, क्या अमेरिका ने खुद को बचा लिया? – अपूर्वानंद

अमेरिका के प्रतिष्ठित टेलीविज़न चैनलों पर हमने श्वेत और अश्वेत पत्रकारों और विश्लेषकों को निःसंकोच रोते हुए देखा। उन्होंने निष्पक्षता का ढोंग  नहीं रचा जो हमारे पत्रकार और बौद्धिक पालते हैं और खुद को “अंपायर” समझकर दोनों पक्षों के बीच संतुलन बनाए रखने की कवायद करते हैं। अमेरिकियों ने साफ कहा कि पक्ष तो एक…

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क्या कश्मीरी पंडित इस बात से खुश हैं कि अब जम्मू-कश्मीर में कोई भी व्यक्ति ज़मीन खरीद सकता है?

सुहैल ए शाह  ‘कश्मीर फॉर कश्मीरीज़’ का नारा सबसे पहले कश्मीरी पंडितों ने ही लगाया था. लेकिन राज्य के नये भूमि कानून के बाद अब स्थिति बिलकुल बदल गई है जम्मू-कश्मीर में ज्यादातर लोग इस फैसले से खुश नहीं दिख रहे हैं, फिर चाहे वे कश्मीर के लोग हों या जम्मू के, अलगाववादी हों या…

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पटकथा : धूमिल की यह कविता अभी ठीक से पढ़ी जानी बाकी है – प्रियदर्शन

आधी सदी पहले सुदामा पांडेय यानी धूमिल ने ‘पटकथा’ नाम की वह कविता लिखी थी जिसने तार-तार होते हिंदुस्तान को इस तरह देखा जैसे पहले किसी ने नहीं देखा था मुक्तिबोध की अंतर्घनीभूत पीड़ा से बिल्कुल अलग धूमिल का बेहद मुखर आक्रोश कुछ इस तरह फूटता और हमसे टकराता है कि हम अपने भीतर एक…

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बाइडन-हैरिस के आने से मजबूत होंगे भारत-अमेरिका के संबंध?

शिवकांत अमेरिका के सबसे बड़े राज्य कैलिफ़ोर्निया की सेनेटर बनने से पहले कमला हैरिस उस राज्य की महाधिवक्ता रही हैं और मानवाधिकारों के लिए लड़ना और खुल कर बोलना उनके स्वभाव में रहा है। इसलिए उन्होंने भारत के नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ हुए प्रदर्शनों के दौरान भी मोदी सरकार की मानवाधिकार और अल्पसंख्यक विरोधी…

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