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Year: 2020

हाथरस घटना : जाति की जंग और सत्ता का घिनौना चरित्र| नारीवादी चश्मा

स्वाति सिंह सवाल है कि आख़िर क्यों न पीड़िता की जाति और उसके वर्ग का उल्लेख हो। हमें नहीं भूलना चाहिए कि बलात्कार के पीछे विचार ही अपने विशेषाधिकार की सत्ता का क्रूर प्रदर्शन करना है, वो विशेषाधिकार जो उन्हें अपनी विशेष जाति, धर्म या वर्ग से मिला है। ऐसे में महिला की जाति और उसका वर्ग…

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आरएसएस का हिंदू राष्ट्रवाद यानी सवर्णों का विद्रोह – ज्याँ द्रेज़

भारत में ‘हिंदू राष्ट्रवाद’ लोकतंत्र की समतावादी माँगों के ख़िलाफ़ उच्च जातियों के विद्रोह के रूप में देखा जा सकता है। हिंदुत्व परियोजना उच्च जातियों के लिए एक जीवनदान है जिसमें अब तक ब्राह्मणवादी सामाजिक व्यवस्था को स्थापित करने का वादा किया गया है। भारत में ‘हिंदू राष्ट्रवाद’ की हालिया उठापटक, जाति को ख़त्म करने…

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हाथरस मामले में अब जो हो रहा है वह भी किसी दुष्कर्म से कम नहीं है

प्रदीपिका सारस्वत ऐसे मामलों में न्याय हो पाना वैसे भी मुश्किल होता है, ऊपर से अगर ये राजनीति और मीडिया की दुधारू भी बन जाएं तब चीज़ें और भी उलझ जाती हैं बलात्कार जैसी घटना पर पुलिस और प्रशासन की प्रतिक्रिया उस समाज से अलग नहीं होती जिसे वह प्रशासित करता है. और ऐसे मामलों…

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लोकप्रिय आध्यात्मिकता की आड़ में पूंजी, सियासत और जाति-अपराधों के विमर्श का ‘आश्रम’

जैनबहादुर फिल्मों के माध्यम से समाज में प्रचलित कई प्रकार के सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, राजनीतिक मुद्दों और विमर्शों को भी दिखाया जाता है, भले ही वे आधे-अधूरे, सत्य-असत्य, उचित-अनुचित के घालमेल से लबरेज़ हों। आजकल वेब सिरीज़ के माध्यम से राष्ट्रीय स्तर से लेकर स्थानीय राजनीति, सामाजिक मुद्दों और विमर्शों पर फ़िल्म बनायी जा रही…

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कहानीः कुल कलंक- इतालो काल्विनो

इतालो काल्विनो (1923-1985) – क्यूबा में जन्मे इतालो काल्विनो प्रसिद्ध इतालवी पत्रकार और कथाकार थे जिन्हे विश्वयुद्ध के बाद के सर्वश्रेष्ठ कहानीकारों में शामिल किया जाता है। उन्हें उनकी अद्भूत किस्सागोई के लिए जाना जाता है. आज पढें उनकी  चर्चित कहानी ‘दि ब्लैक शीप’ जिसका हिंदी अनुवाद (कुल कलंक) युवा कथाकार चंदन पांडेय ने किया है.–…

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ब्राह्मणवादी पितृसत्ता और जातिवाद है दलित महिलाओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा की वजह

गायत्री यादव दलित महिलाओं के बलात्कार और शारीरिक शोषण के मूल में समाज में निहित ब्राह्मणवादी पितृसत्ता और अपनी जाति के सर्वोच्च होने का अहंकार है। यौन हिंसा दलित-आदिवासी औरतों के ख़िलाफ़ शोषण और दमन के एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। बीते 14 सितंबर को उत्तर प्रदेश के हाथरस ज़िले में…

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हाथरस रेप मामले में पीड़िता को दलित लड़की कहकर पुकारना क्यों ज़रूरी है?

अजय कुमार हाथरस वाले मामले में दोहरा संयोग या ‘प्रयोग’ ये हुआ है कि एक तो वह स्त्री थी और दूसरी बात वह दलित थी। इसलिए क्रूरता ही नहीं हुई बल्कि भयानक क्रूरता हुई। इसे ऐसे समझा जाए कि लिंग के आधार पर तो मर्दों ने उस पर अपना हक माना ही साथ में जाति के आधार…

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राम माधव को पद से हटने के बाद हिटलर और स्टालिन की याद क्यों आयी? – आशुतोष

राम माधव किसी दल, सरकार और नेता का ज़िक्र नहीं करते। लेकिन आसानी से समझा जा सकता है कि वो कहाँ पर निशाना लगा रहे हैं। कौन सी पार्टी सरकार के सामने पूरी तरह से बिछ गयी है। और वो कौन सा नेता है जिसके सत्ता में आगमन के बाद और पहले भी प्रतिद्वंद्वियों को…

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बलात्कारियों को बचाती है हमारी क़ानून व्यवस्था!

शैलेश उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनने के बाद दलितों के साथ अत्याचार और बलात्कार की घटनाएँ और बढ़ी हैं। हाथरस के बाद बलरामपुर से इसी तरह की घटना की ख़बर आयी। उसके पहले आज़मगढ़ और बुलंद शहर में बलात्कार की घटनाएँ हुईं। उत्तर प्रदेश सरकार इन घटनाओं को रोकने में असफल है। उसका…

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श्रद्धा और घृणा की धुंध हटाए बिना गांधी को जानना कठिन है- अपूर्वानंद

गांधी अपने ही देश में अफवाह बन गए हैं. उन्हें जानने की शुरुआत उस तरीके से की जा सकती है जो नेहरू ने ‘गांधी’ बनाने की सोच रहे रिचर्ड अटेनबरो को सुझाया था यह किंचित सुखद आश्चर्य की बात है कि गांधी में अभी भी नौजवानों की दिलचस्पी बनी हुई है. कुछ समय पहले महू…

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