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Year: 2020

बोधघाट:यह विकास का नहीं विनाश का कारपोरेट मॉडल है, पहले आदिवासी स्वशासन की स्थापना हो

छत्तीसगढ़ किसान सभा ने बोधघाट परियोजना पर कहा है कि सिंचाई के नाम पर विनाश मंजूर नहीं है। उसकी जगह वैकल्पिक विकेंद्रीकृत लघु सिंचाई योजनाओं पर काम होना चाहिए। यदि सरकार वास्तव में आदिवासी हितों के प्रति चिंतित है, तो ईमानदारी से उसे पहले संविधान से सृजित आदिवासी अधिकारों की स्थापना करने की पहल करनी…

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लद्दाख विवादः शब्दों के चयन और ऐलानों में सावधानी बरतें , मनमोहन सिंह की मोदी को नसीहत

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने  कहा है कि आज हम इतिहास के एक नाजुक मोड़ पर खड़े हैं। हमारी सरकार के निर्णय व सरकार द्वारा उठाए गए कदम तय करेंगे कि भविष्य की पीढ़ियां हमारा आंकलन कैसे करें। जो देश का नेतृत्व कर रहे हैं, उनके कंधों पर कर्तव्य का गहन दायित्व है। हमारे…

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वह झूठा तो है लेकिन मेरा अपना झूठा है — अपूर्वानंद

राजनीति में झूठ बोलने से क्या जनता को कोई दिक़्क़त नहीं है? अमेरिका में तो मीडिया ने ट्रम्प के झूठ की लंबी फेहरिस्त तक छापी है। इस पर शोध हुए हैं कि उनके लगातार झूठ बोलने और ग़लत तथ्यों की जानकारी देने की ख़बरें छपने के बावजूद जनता और झूठ क्यों माँगती है।  अंग्रेज़ी पढ़ा लिखा हत्यारा…

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संसद की बहसों की गंभीरता से लिया गया होता तो चीन को लेकर गफलत न होती

प्रीति सिंह सांसदों ने सीमा पर चीन की घुसपैठ और उसकी नीयत को लेकर बार-बार सवाल उठाए हैं. मुश्किल ये है कि संसद में हुई बहसों को गंभीरता से लेने का चलन खत्म हो चुका है. ये लापरवाही सिर्फ सरकार की ही नहीं मीडिया की भी है, क्योंकि ऐसी बहस और सवाल कभी उभरकर सामने…

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राजनीति का समाजशास्त्रीय अध्ययन—प्रभाकर चौबे

प्रभाकर चौबे—( 1 अक्टूबर 1935- 21 जून 2018) : आज सुप्रसिद्ध वरिष्ठ साहित्यकार व संपादक रहे प्रभाकर चौबे की दूसरी बरसी है……वे अंतिम समय तक लगातार बौद्धिक रूप से सजग व सक्रिय रहे । मृत्यु के ठीक 3 दिन पूर्व 18 जून 2018 को उनका अंतिम नियमित आलेख प्रकाशित हुआ था। यह आलेख आज भी…

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धार्मिक स्वतंत्रता : कहां खड़ा है भारत – राम पुनियानी

भारत अनेक धर्मों वाला बहुवादी देश है. हिन्दू धर्म के मानने वालों का यहाँ बहुमत है परन्तु इस्लाम और ईसाई धर्म में आस्था रखने वालों की संख्या भी कम नहीं है. हमारे स्वाधीनता संग्राम के नेता सभी धर्मों को बराबरी का दर्जा देते थे परन्तु सांप्रदायिक ताकतें, ईसाईयत और इस्लाम को विदेशी मानती थीं. पिछले कुछ…

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हे विदूषक तुम मेरे प्रियः प्रभाकर चौबे 12 वीं कड़ी – विदूषक की पदोन्नति हुई

सुप्रसिद्ध साहित्यकार,प्रतिष्ठित व्यंग्यकार व संपादक रहे श्री प्रभाकर चौबे लगभग 6 दशकों तक अपनी लेखनी से लोकशिक्षण का कार्य करते रहे । उनके व्यंग्य लेखन का ,उनके व्यंग्य उपन्यास, उपन्यास, कविताओं एवं ससामयिक विषयों पर लिखे गए लेखों के संकलन बहुत कम ही प्रकाशित हो पाए । हमारी कोशिश जारी है कि हम उनके समग्र लेखन को प्रकाशित कर सकें…

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सर्वदलीय बैठक: सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री से पूछे तीखे सवाल

प्रधानमंत्री द्वारा आहूत सर्वदलीय बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि “वास्तव में, इतना समय गुजर जाने के बाद भी इस संकट के अनेक महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में हमें अंधेरे में रखा गया है। उन्होंने कहा कि ‘हम सरकार से यह स्पष्ट आश्वासन चाहेंगे कि पूरे सीमा क्षेत्र में पहले की यथास्थिति हर…

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शहर की अर्थव्यवस्था का काम होगा तमाम? – ऑनिंद्यो चक्रवर्ती

मोदी सरकार की नीतियों के कारण क्या होगा गाँव और शहर की अर्थव्यवस्था का हाल। इस वीडियो में बता कहे हैं वरिष्ठ पत्रकार ऑनिंद्यो चक्रवर्ती – नीचे दी गई लिंकपर जाकर सुन सकते हैं – https://www.youtube.com/watch?v=OZrVoMKmSDA&feature=youtu.be (सौज न्यूज़क्लिक)

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हमारी सहिष्णु संस्कृति : बरास्ते ‘अखोनी’ –उषा वैरागकर आठले

नेटफ्लिक्स पर ‘अखोनी’ फिल्म देखी। उत्तर-पूर्व के जो लोग देश की राजधानी में आकर बसे हैं, उनके साथ काफी भेदभावपूर्ण व्यवहार किया जाता है। संविधान में वर्णित नागरिकों के मूल अधिकार उनके जैसे और लोगों की पहुँच से दूर हैं। दिखने, बोलने, चलने में अलग दिखने वाले लोग किसतरह अन्य लोगों के मज़ाक या नफरत…

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