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Year: 2020

राजनीतिक लोकतंत्र की बजाए, सामाजिक लोकतंत्र की दिशा में भी काम करना होगा- बाबा साहेब आंबेडकर

डॉ.भीमराव आंबेडकर ( 14 अप्रैल 1891- 6 दिसंबर 1956) । बाबा साहेब आंबेडकर एक विश्वस्तर के संविधानवेत्ता , कानूनविद,राजनीतिज्ञ,अर्थशास्त्री और समाज पुनरुत्थानवादी होने के साथ-साथ, भारतीय संविधान के मुख्य शिल्पकार भी थे। अपनी सारी जिंदगी भारतीय समाज में जाति व्यवस्था के खिलाफ संघर्ष में बिताने वाले डॉ. आंबेडकर को भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ‘भारत…

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लॉकडाउन : न महुआ और न बांस की टोकरी बेच पा रहे हैं कमार जनजाति के लोग

हमारे समाज का एक ऐसा वर्ग है जो पहले से हाशिये पर है उनके आजीविका पर लॉकडाउन का असर दिखाई देने लगा है ।  “तीन हफ्ते पहले हमारे यहाँ कोचिया आया था, और अब नहीं आ रहा है जिस से हमारे सुपा, टोकरी, टुकना कुछ भी बिक नहीं रहा है. हम तो अभी बनाना छोड़…

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जनस्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा को उच्च प्राथमिकता देनी होगी: ज्यां द्रेज

केंद्र का पैकेज जीडीपी का 0.5 प्रतिशत है। पिछले साल आर्थिक मंदी की आहट पर केंद्र द्वारा दी गई कॉरपोरेट टैक्स छूट से भी यह कम है ।कोरोनावायरस संकट के मद्देनजर केंद्र सरकार ने अंतरिम उपायों के अंतर्गत 21 दिन के राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन और इसके साथ कुछ अन्य उपायों की घोषणा की है। इन उपायों…

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जातिप्रथा और धर्म-परिवर्तन – डॉ. भीमराव आंबेडकर

भारतीय संविधान के जन्मदाता डॉ.भीमराव आंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को महू (मध्य प्रदेश) में हुआ था। वे  बाबा साहेब के नाम से लोकप्रिय हैं। वह एक विश्वस्तर के संविधानवेत्ता , कानूनविद,राजनीतिज्ञ,अर्थशास्त्री और एक समाज पुनरुत्थानवादी होने के साथ-साथ, भारतीय संविधान के मुख्य शिल्पकार भी थे। अपनी सारी जिंदगी भारतीय समाज में जाति व्यवस्था…

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एक आदिम रात्रि की महक — फणीश्वरनाथ ‘रेणु’

यह वर्ष  फणीश्वरनाथ रेणु की जन्मशताब्दी वर्ष है। हमारी कोशिश होगी कि हम लगातार उनकी रचनाओं को आपके लिए लेकर आएं। आज पढिए कहानी – एक आदिम रात्रि की महक -(संपादक) .न …करमा को नींद नहीं आएगी। नए पक्के मकान में उसे कभी नींद नहीं आती। चूना और वार्निश की गंध के मारे उसकी कनपटी…

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मुख्य मंत्री को हर जमात के साथ दृढ़तापूर्वक खड़े होना ही चाहिए – जीवेश चौबे

हर राज्य प्रमुख यानि मुख्य मंत्री को हर समुदाय , जमात और जमातियों  के साथ मजबूती से खड़े होना ही चाहिए, हां ये ज़रूर है कि वो किसी भी समुदाय या जमात के उत्पातियों  के साथ नहीं हो सकता। और ये तो सच है ही कि हर समुदाय और जमात में उत्पाती होते ही हैं।…

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कोरोना कहर : तब्लीगी जमात के सर ठीकरा फोड़ने की कवायद – राम पुनियानी

इस समय भारत पूरी तरह से बंद है. सरकार, जनता और सामाजिक व अन्य संगठन, कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए भरसक प्रयास कर रहे हैं.  देश में अब तक लगभग 7,500 लोग इस जानलेवा बीमारी से ग्रस्त हो चुके हैं और 250 के करीब अपनी जान गंवा चुके हैं. पिछले एक पखवाड़े…

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1930 की महामंदी के बाद सबसे बुरा दौरः170 देशों में आय घटेगी-आईएमएफ

वर्ष 2020 विश्व अर्थव्यवस्था के लिए 1930 के दशक की महामंदी के बाद सबसे बुरा हो सकता है। कोविड-19 महामारी के चलते करीब 170 देशों की प्रति व्यक्ति आय घट सकती है। आईएमएफ की मैनेजिंग डायरेक्टर क्रिस्टलीना जॉर्जगीवा ने गुरुवार को ये बात कही। वह आईएमएफ और वर्ल्ड बैंक की सालाना बैठक से पहले विश्व अर्थव्यवस्था की प्राथमिकताओं…

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हिंदुस्तानियों की एकता मज़हबों के मेल पर नहीं, मज़हबों की चिता पर होगी: राहुल सांकृत्यायन

वोल्गा से गंगा’, भागो नहीं, दुनिया को बदलो , जैसी कई महत्वपूर्ण कृतियां रचने वाले पद्म विभूषण से सम्मानित महा पंडित राहुल सांकृत्यायन की आज जन्मतिथि है.  यात्रा साहित्य के जनक ‘महापंडित’ के उपाधि  से मशहूर राहुल सांकृत्यायन सच्चे अर्थों में जनता के लेखक कहे जाते हैं जो हमेशा जनता के संघर्षों में शामिल रहे. वे कई…

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कोरोनावायरस :लॉकडाउन के कारण रोज़गार गंवाने के आंकड़े भयावह-योगेन्द्र यादव

कोविड-19 का चढ़ता हुआ ग्राफ किस ऊंचाई पर पहुंचकर दम तोड़ेगा, ये साफ होने में तो अभी थोड़ा वक्त लगेगा लेकिन राष्ट्रव्यापी तालाबंदी ने नौकरियों का कितना नुकसान किया है इसे लेकर पहला आकलन आने के साथ तस्वीर बहुत कुछ साफ हो चली है. नौकरियों के नुकसान के आंकड़े बड़े भयावह हैं. शायद, दुनिया में…

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