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Month: April 2020

मस्त कलंदर : लतिका जाधव की लघुकथा

इतवार चहलपहल भरा फिर भी सुस्त दिन। इसलिए मंजीत बहुत खुश हो जाता था। आज घर के पास कोई स्कूल वैन, बच्चों के मां-बाप का शोरगुल नही था। इसलिये कब सात बज गये, पता न चला। बडे आराम से चाय कि चुस्कियां लेता हुआ वह चहलकदमी कर रहा था। मां तकिया के सहारे लेटी थी।…

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पालघर लिंचिंग और सांप्रदायिक दुष्प्रचार -राम पुनियानी

पिछले कुछ सालों में भारत में लिंचिंग की घटनाओं में तेजी से वृद्धि हुई है. इनमें से अधिकांश घटनाएं गाय और बीफ से मुद्दों से जुडीं हुईं थीं और खून की प्यासी भीड़ के हाथों मारे जाने वालों में से अधिकांश दलित या मुसलमान थे. इंडियास्पेंड वेबसाइट ने सन 2014 से लेकर अब तक हुई…

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कोविड -19 के बाद की दुनिया पहले से बेहतर बनाएँ: एस. पी. शुक्ला

विगत 22 अप्रैल 2020 को इंकलाब के महानायक कॉमरेड लेनिन की डेढ़ सौवीं वर्षगांठ थी। इस मौके पर दिल्ली स्थित जोशी-अधिकारी इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल स्टडीज द्वारा एक वेबिनार का आयोजन किया गया। वेबिनार का संयोजन इंदौर से जया मेहता और विनीत तिवारी ने तथा दिल्ली से विनोद कोष्टी और मनीष श्रीवास्तव ने किया।  वेबिनार का विषय था…

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शासन पर अति-निर्भरता से ‘मुक्ति’ दिलाने का खेल – प्रभात पटनायक

राजस्थान की पिछली मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, गरीबों को सहायता देने से जुड़ी अनेक सरकारी योजनाओं को कतरने की तैयारियां कर रही थीं। उनका कहना था कि वह ऐसा इसलिए करना चाहती हैं ताकि, ”लोग शासन पर बहुत ज्यादा निर्भर न हो जाएं।” अगर वह पहले से जारी योजनाओं का पुनर्गठन ही कर रहीं होतीं या…

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Corona Virus, the economy and immunity- Cobad Ghandhy

In these days of technology, mass hysteria spreads like wildfire, throughout the world, particularly when it is promoted by the rulers and/or religion. Ganapati drinking milk was one example; the skylab falling was another. There were many more such phobia like even the Y2K crisis. In Jharkhand jail a tribal told me that even in…

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हे विदूषक तुम मेरे प्रियः चौथी कड़ी- लेखक कर्मी पद पर नियुक्ति- प्रभाकर चौबे

सुप्रसिद्ध साहित्यकार,प्रतिष्ठित व्यंग्यकार व संपादक रहे श्री प्रभाकर चौबे लगभग 6 दशकों तक अपनी लेखनी से लोकशिक्षण का कार्य करते रहे । उनके व्यंग्य लेखन का ,उनके व्यंग्य उपन्यास, उपन्यास, कविताओं एवं ससामयिक विषयों पर लिखे गए लेखों के संकलन बहुत कम ही प्रकाशित हो पाए । हमारी कोशिश जारी है कि हम उनके समग्र लेखन को प्रकाशित कर सकें…

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अमिताभ मिश्र की कविताएं

1- औरतें ही पानी ला रहीं हैं कतार की कतार उनके छोटे छोटे बच्चे भी साथ हैं मर्द कहां हैं! मर्द खेत में भी नहीं हैं जहां देखो औरतें खेत में खलिहान में मजूरी करती हुई औरतें सिर पर मटका लिए घड़ा लिए बाल्टी, डब्बा लिए कुओं पर, नदी पर, हैण्डपंपों पर, ट्यूबवेल पर  औरतें…

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कोरोना महामारी और हमारी पंचायतें-

By (- रिचर्ड महापात्रा-) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पंचायत के चुने हुए प्रतिनिधियों को पंचायती राज दिवस पर संबोधित किया। यह संबोधन सालाना संबोधन की तरह सामान्य नहीं है। मोदी उन्हें तब संबोधित कर रहे हैं जब भारत की स्थानीय सरकार कोविड-19 महामारी से लड़ाई के बीच में है, और यह महामारी विध्वंसक स्तर तक…

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पीलिया: सरकारी अस्पतालों की ओपीडी तत्काल शुरु करना चाहिए- जीवेश चौबे

            छत्तीसगढ़ में मुख्य मंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में सुनियोजित प्रबंधन के चलते कोरोना को  काफी हद तक नियंत्रम में रखने में कामयाबी हासिल हुई है । अब प्रदेश में गिनती के ही कोरोना पजिटिव रह गए हैं । पूरे देश में इसकी सराहना हो रही है । जहां एक ओर कोरोना पर नियंत्रण…

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किस्सागो के संस्मरण -पल्लव

वे बोले, ”ठीक है। केवल इस बात का ध्‍यान रखना कि जो कुछ भी लिखो, वह अधिकतर तुम्‍हारे अपने ही अनुभवों के आधार पर हो। व्यर्थ की कल्‍पना के चक्कर में कभी न पड़ना।”  (शरत के साथ बिताया कुछ समय – अमृतलाल नागर )  एक समय था जब अमृतलाल नागर को हिंदी कथा लेखन का आखिरी मुग़ल…

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