1 – तालाबंदी एक सुबह दुनिया नियमबद्ध होकर घड़ी बनी घर पर रहें कोविड-19, दूरी बना कर रखें हाथ बार-बार धोएं ,मुंह ढककर खांसें अद्भुत है हमारी व्यवस्था एक तरफ मजबूर लोगों का हुजूम दूसरी तरफ बंद घरों के ड्रॉईंग रूम में बैठे लोग जो डर गए इनके पलायन से सरकार के वफ़ादार मिडिया पर शुरू हुआ है […]
Read Moreभारतीय मीडिया बालू के ढेर में खड़ा चमकता हुआ बुर्ज है. कोरोना की आंधी ने इसके नीचे की रेत को उड़ाकर इसे ज़मींदोज कर दिया है. यह रेत बनी थी विज्ञापनों से. मंदी (जो कि दरअसल महामंदी ही थी, मगर कोई बोल नहीं रहा था) और महामारी के दुर्योग ने विश्व की सबसे बड़ी मीडिया […]
Read Moreरोजा लक्जमबर्ग ने मार्क्स के अध्ययन और पूंजीवादी व्यवस्था या उत्पादन पद्धति के उनके विश्लेषण के परिणामों पर लिखते हुए यह टिप्पणी की थी कि पूंजीवाद अपने चरम विकास की स्थिति में दो ही दिशाओं में जा सकता है : समाजवाद या बर्बरतावाद। स्वयं मार्क्स ने कभी भी इतिहास और भविष्य को एक निश्चित अंतर्निहित […]
Read Moreआरएसएस के प्रचारक कई वर्षों से ऐसा दावा करते आए हैं कि आंबेडकर उनके संगठन के कार्यक्रम में शामिल हुए थे और उनका रुख इस संगठन के प्रति सकारात्मक था. लेकिन अपने दावे को साबित करने के लिए आरएसएस विचारकों ने कभी कोई भी तथ्य उपलब्ध नहीं कराए. क्या डॉ. भीमराव आंबेडकर ने आरएसएस या […]
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