पिछले दो माह से लॉक डाउन , कर्फ्यू, ताली थाली घंटे की नौटंकी के बाद अब कह रहे हैं कोरॉना के साथ ही जीना सीखें। करोड़ों कामगारों को सड़क पे मरने छोड़कर अब हाथ खड़े कर रहे हैं। इतनी बेशर्मी और क्रूरता सिर्फ एक सेडिस्ट ही कर सकता है।क्या कामगार इस देश के नागरिक नहीं…
यह तथ्य बहुत कम याद दिलाया जाता है कि न सिर्फ़ जवाहरलाल बल्कि उनके पिता मोतीलाल का भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद और उनके संगठन से अत्यंत स्नेह का रिश्ता था। अलावा इसके कि इन दोनों ने क्रांतिकारियों को लगातार आर्थिक मदद दी, राजनीतिक रूप से भी उन्होंने ख़ुद को इनसे पूरी तरह नहीं अलग किया। …
सोनाली कोल्हटकर अमेरिकन एंटरप्राइज इंस्टीट्यूट (AEI) के माइकल स्ट्रेन ने हाल ही में न्यूयॉर्क टाइम्स में एक ऑप-एड (किसी समाचार पत्र में संपादकीय पृष्ठ के उल्टे पृष्ठ पर टिप्पणी, फ़ीचर लेख आदि) लिखा है, जिसमें बताया गया है कि ” अमेरिकी ख़्वाब ज़िंदा है और ठीक-ठाक हाल में है” और उनकी राय में इस देश…
बशारत शमीम (अनुवाद महेश कुमार) यह लेख उग्रवाद के शुरूआती दिनों में कश्मीर की आबादी की कई दुविधाओं को जानने की कोशिश करता है। जैसा कि रोज़ाना कश्मीर में तीव्र होती दैनिक मुठभेड़ों की वजह से नागरिकों की मृत्यु, संपत्ति का विनाश और अत्यधिक सैन्य घेराबंदी जारी है, वहीं मिर्जा वहीद का उपन्यास, द कोलोबोरेटर,…
कोरोना जैसी वैश्विक आपदा और देशव्यापी लॉकडाउन की स्थिति में राष्ट्रीय सरकार का गठन किया जाना चाहिए, और इसके पक्ष में कुछ बेहद ठोस तर्क हैं. सरकार बनाने के लिए वर्तमान में बहुमत का क्या मतलब है. पहला कि सत्ताधारी दल को कभी भी कुल आबादी का बहुमत नहीं होता है. चुनाव में कुल मतदान…
बहुत ही जल्दी हर किसी को इस पैकेज की हक़ीक़त समझ में आती गयी कि इस पैकेज में जो कुछ पैसे दिख रहे थे, वह सही मायने में अल्पावधि में अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करने के लिए बहुत थोड़ी सी रक़म थी।- — (डॉ. टी एम थॉमस इसाक , वित्त मंत्री केरल) वैश्विक अर्थव्यवस्था और राष्ट्रीय…
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को इस बात से बहुत नाराज़गी है कि दूसरे राज्यों ने ‘उनके लोगों’ की ठीक से देखभाल नहीं की और इस कारण उन्हें इतनी तबाही झेलनी पड़ी. ख़ुद उनकी सरकार ने लोगों का ख़याल कैसे रखा, कैसे महामारी के बहाने ‘अपने लोगों’ के स्वास्थ्य संरक्षण के नाम पर मालिकाना रवैया अख़्तियार कर लिया…
स्वाति फेसबुक-वॉट्सऐप पर हो सकता है कि आपने कुछ इस मजमून वाले मैसेज देखे हों: जवाहरलाल नेहरू एक कोठे पर पैदा हुए थे. खुद को कश्मीरी पंडित बताने वाला ये नेहरू परिवार असल में ‘मुसलमानों की पैदाइश’ है. किसी और का सरनेम देखा हो ये तो बताओ? असल में नेहरू के दादा का नाम था…
सुप्रसिद्ध साहित्यकार,प्रतिष्ठित व्यंग्यकार व संपादक रहे श्री प्रभाकर चौबे लगभग 6 दशकों तक अपनी लेखनी से लोकशिक्षण का कार्य करते रहे । उनके व्यंग्य लेखन का ,उनके व्यंग्य उपन्यास, उपन्यास, कविताओं एवं ससामयिक विषयों पर लिखे गए लेखों के संकलन बहुत कम ही प्रकाशित हो पाए । हमारी कोशिश जारी है कि हम उनके समग्र लेखन को प्रकाशित कर सकें…
दुनिया, गज़ब के सांस्कृतिक आक्रमण और आतंक से जूझ रही है और संकट अत्याधिक सघन होते जा रहा है क्योंकि संस्कृति के सवाल पर मौन, निस्तब्धता और बिखराव का आलम है। हर रोज जिस दुनिया को लोकतांत्रिक और प्रगतिशीलता की ओर अगला कदम उठाना था, वह ठिठकी हुई सी खड़ी है। लगातार बढ़ते इस दमन…
| Powered by WordPress | Theme by TheBootstrapThemes