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Month: September 2020

साक्षात्कारः किसानों के विरोध में किसी फैसले में एनडीए का भागीदार नहीं बनना चाहते, इसलिए दिया इस्तीफा- हरसिमरत कौर

लोकसभा में 14 सिंतबर को पेश किए गए कृषि अध्यादेशों के विरोध में उतरे एनडीए के प्रमुख घटक शिरोमणी अकाली दल(शिअद) ने इन अध्यादेशों को लेकर एनडीए से दूरी बना ली है। एनडीए सरकार में शिअद के कोटे से एक मात्र मंत्री हरसिमरत कौर के इस्तीफे से शिअद ने साफ संकेत देने की कोशिश की…

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मोदी के जन्मदिन पर टॉप ट्रेंड रहा राष्ट्रीय बेरोज़गारी दिवस, ‘मन की बात’ के बाद एक बार फिर बीजेपी की बेचैनी बढ़ी

सोशल मीडिया पर यह हैशटैग ट्रेंड तो करते ही रहे और उन्होंने धूम मचा दी। रात के 9 बजे तक #17Baje17Minute को 9.60 लाख लोगों ने रिट्वीट किया था। इसके साथ ही #National_Unemployment_Day को 10 लाख 25 हज़ार लोगों ने ट्वीट किया। लेकिन इसके समानान्तर चलाए जा रहे #RespectYour PM को सिर्फ 51.3 हज़ार लोगों…

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एक जादुई तीसरी आंख जो एमएफ हुसैन की तीसरी आंख से हमारा परिचय कराती है – वंदना राग

एमएफ हुसैन के साथ एक लंबा अरसा बिताने वाले मशहूर छायाकार पार्थिव शाह के लिए हुसैन खुद एक ऐसी पेंटिंग से कम नहीं थे जिसे हर बार देखने पर एक नया रंग नजर आता है. दोनों की इस यात्रा पर जब हम नज़र डालते हैं तो पाते हैं कि जब पार्थिव उन्हें कैमरे की आंख…

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हसरत जयपुरी की सादादिली हर कड़वे से कुछ बेहद मीठा निकाल सकती थी

कविता एक शायर से लेकर बस कंडक्टर बनने, मिट्टी के खिलौने बेचने वाले से फैक्ट्री में मजदूरी करने और इस मजदूरी से लेकर आरके बैनर तले आने तक का हसरत जयपुरी का सफ़र बड़ा दिलचस्प है पृथ्वीराज कपूर ने किसी मुशायरे में हसरत जयपुरी को अपनी कविता ‘मजदूर की लाश’ पढ़ते हुए सुना था. इसी…

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कहानीः कानून के दरवाजे पर- फ़्रेंज़ काफ़्का

फ्रैंज काफ्का (3जुलाई 1883- 3 जून 1924)ः बीसवीं सदी के प्रभावशाली जर्मन कथाकार, उपन्यासकार थे। उनकी रचनाऍं आधुनिक समाज की व्यग्रता, अलगाव को चित्रित करतीं हैं। काफ्का की कृतियों ने साहित्य में जादुई यथार्थ, फंतासी लेखन का मार्ग प्रशस्त किया। आलोचकों का मानना है कि काफ्का 20 वीं सदी के सर्वश्रेष्ठ लेखकों में से एक है।आज पढ़ें नकी…

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पेरियार : जिन्हें एशिया का सुकरात कहा जाता है

अनुराग भारद्वाज पेरियार को राजा राममोहन राय, दयानंद सरस्वती और विनोबा भावे सरीखे समाज सुधारकों की पांत में रखा जाता है. लेकिन वे एक मंझे हुए राजनेता भी थे पेरियार महात्मा गांधी के सिद्धांतों से प्रभावित होकर कांग्रेस में शामिल हुए थे. बाद में पेरियार ने 1938 में जस्टिस पार्टी का गठन किया. फिर 1944…

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इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने कहा – अगर सरकार के पास आंकड़े नहीं हैं तो यह राष्ट्रीय नायकों का अपमान है

राज्य सभा में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे के लिखित बयान के जवाब में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने एक विज्ञप्ति जारी करके बताया है कि कोरोना के कारण देश में अब तक 382 डॉक्टरों की मौत हो चुकी जबकि इस बीमारी से अब तक 2,238 डॉक्टर संक्रमित हो चुके हैं। राज्यसभा…

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कृषि अध्यादेशों के खिलाफ प्रदर्शनः कई किसान नेता गिरफ्तार

संसद में पेश किए गए तीन कृषि अध्यादेशों के खिलाफ राष्ट्रीय किसान महासंघ समेत कई किसान नेताओं को जंतर-मंतर पर जोरदार प्रदर्शन कर रहे किसान नेताओं और किसानों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। ये सभी किसान नेता कल (17 सितम्बर) कृषि अध्यादेशों के खिलाफ संसद मार्च निकालने की तैयारी में थे। प्रदर्शन के दौरान…

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अलविदा, कपिला वात्स्यायन -मंगलेश डबराल

कला विदुषी कपिला वात्स्यायन का निधन हो गया। 25 दिसंबर, 1928 को पंजाबी पारंपरिक परिवार में जन्मी वात्स्यायन ने भारतीय कला को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई।मौजूद समय में जब संस्कृति के संसार में एक भीषण बंजर फैला हुआ है और संस्कृति के नाम पर निकृष्ट हिंदुत्व की हुंकार मची है, कपिला जी जैसी सभ्यता-बहुल व्यक्तित्व का…

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भारत में लोग बुद्धिजीवियों से इतनी नफरत क्यों करने लगे हैं?

विकास बहुगुणा इन दिनों समाज के एक बड़े तबके में बुद्धिजीवी निंदा और कटाक्ष का विषय हैं .‘एक वक्त था, जब मूर्ख होना गाली था. अब बुद्धिजीवी होना गाली है…. बात गाली तक होती तब भी ठीक था. समाज में बुद्धिजीवियों से नफरत इस तरह है कि उन्हें मिटाने की कोशिशें शुरू हो गई हैं.’…

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