बिहार में चुनाव के लिए सभी दल जोर-शोर से लगे हैं. अगले महीने की 10 तारीख को चुनावी नतीजों के साथ यह फैसला हो जाएगा कि बिहार का मुख्यमंत्री कौन बनेगा. मुझे याद है 2005 के उनके चुनावी भाषण (जुमले भी कह सकते हैं). वह कहते थे मुझे लालू प्रसाद की तरह 15 साल नहीं…
आम धारणा है कि नुसरत साहब का पहली दफा भारत आना 1990 के बाद हुआ जबकि पाकिस्तान में वे एक दशक पहले ही मशहूर हो चुके थे. लेकिन ऐसा है नहीं. 1979 में शोमैन राज कपूर ने नुसरत साहब को अपने घर की एक शादी में गाने का निमंत्रण दिया था. शादी ऋषि कपूर और…
मोइन क़ाज़ी शरिया, मुस्लिमों के लिए धार्मिक संहिता है, जिसमें उनकी ज़िंदगी के हर पहलू, उनकी रोज़ की दिनचर्या, धार्मिक और पारिवारिक कर्तव्य, शादी और तलाक़ जैसे विवाह संबंधी प्रावधान के साथ-साथ वित्तीय लेन-देन पर निर्देश दिए गए हैं। लैंगिक स्तर पर निष्पक्ष सुधार किए जाने की जरूरत है, ताकि लैंगिक भेदभाव को ठीक किया…
एन.के. सिंह अगर शीर्ष पर बैठा अफसर या मुख्यमंत्री शिद्दत से चाह ले तो शेकडाउन सिस्टम को ख़त्म किया जा सकता है लेकिन जिन समाजों में पे-ऑफ़ सिस्टम का भ्रष्टाचार जड़ें जमा चुका है वहां से इसका हटना लगभग नामुमकिन होता है। अगर सुप्रीम कोर्ट के सीजेआई के बाद सबसे वरिष्ठ जज पर एक मुख्यमंत्री…
किशोर कुमार द्वारा 60 के दशक में फिल्मफेयर के लिए लिखा गया यह लेख एक बहुमुखी प्रतिभा की दुर्लभ आत्मस्वीकृति है जब मैंने फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा था तो मैं एक दुबला-पतला गंभीर नौजवान था. मुझ पर अच्छा गाने का जुनून था. मेरे आदर्श केएल सहगल और खेमचंद प्रकाश जैसे नाम थे. परंपराओं के…
क्लिक क्लिक क्लिक! फोटोग्राफर्स डिलाइट, फोटोग्राफर्स डिलाइट…अक्षयवट सोचता जा रहा है। सोचता जा रहा है और धीरे-धीरे बुदबुदाता भी– वह बहुत तनाव में है। ठीक ही तो कहती है नीतू, ठीक ही लो कहती है, ठीक ही फोटोग्राफर्स डिलाइट, फोटोग्राफर्स डिलाइट … ही-ही-ही…..हू-हू-हू….. हा-हा-हा….. -नीतू ठीक ही तो कहती है, फोटोग्राफर्स डिलाइट । डिलाइट, खासकर…
केंद्र सरकार के ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने सवाल उठाए हैं। आशंका जताई है कि कहीं यह संरक्षणवाद में न बदल जाए, क्योंकि पूर्व में भी इसका बेहतर परिणाम नहीं मिला है। आर्थिक शोध संस्थान आईसीआरआईईआर के वेबिनार को संबोधित करते हुए रघुराम राजन ने ये बातें कही।…
वे ही चेहरे! बार बार! जगह-जगह! क्यों? क्या लेना-देना है इनका उन सबके साथ जो ये सब कुछ छोड़-छाड़कर उन सबके करीब जा खड़े होते हैं? एक सीधा सा जवाब है। ये वे लोग हैं जो नाइंसाफी को पहचानते हैं। जो यह जानते हैं कि दुनिया में कहीं भी, कभी भी अन्याय हो रहा हो,…
कविता ‘निदा’ का अर्थ होता है आवाज और अपने लिए यह नाम चुनने वाले निदा फाजली ने अपनी रचनाओं से इस नाम को असल मायने दिए थे कहने-सुनने में यह भले ही आम सी बात लगती है लेकिन है नहीं. दोहा जैसी एक लोकविधा जो लगभग खत्म हो चुकी थी, उसे उन्होंने नए शब्द दिए,…
यह किस तरह का समाज है जो निस्संकोच और निडर होकर हिंसा, हत्या और बलात्कार को प्रोत्साहित करने लगा है! उस पर दबंग पौरुषवादी गुण्डागर्दी हावी है. उसका उदार वर्ग अगर बचा है तो चुपचाप है और अपनी कायरता में बन्द है. हिन्दू मानस सदियों से विकेन्द्रित और सराजक रहा है. अब वह केन्द्रित और…
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