सोनाली कोल्हटकर अमेरिकन एंटरप्राइज इंस्टीट्यूट (AEI) के माइकल स्ट्रेन ने हाल ही में न्यूयॉर्क टाइम्स में एक ऑप-एड (किसी समाचार पत्र में संपादकीय पृष्ठ के उल्टे पृष्ठ पर टिप्पणी, फ़ीचर लेख आदि) लिखा है, जिसमें बताया गया है कि ” अमेरिकी ख़्वाब ज़िंदा है और ठीक-ठाक हाल में है” और उनकी राय में इस देश […]
Read Moreबशारत शमीम (अनुवाद महेश कुमार) यह लेख उग्रवाद के शुरूआती दिनों में कश्मीर की आबादी की कई दुविधाओं को जानने की कोशिश करता है। जैसा कि रोज़ाना कश्मीर में तीव्र होती दैनिक मुठभेड़ों की वजह से नागरिकों की मृत्यु, संपत्ति का विनाश और अत्यधिक सैन्य घेराबंदी जारी है, वहीं मिर्जा वहीद का उपन्यास, द कोलोबोरेटर, […]
Read Moreकोरोना जैसी वैश्विक आपदा और देशव्यापी लॉकडाउन की स्थिति में राष्ट्रीय सरकार का गठन किया जाना चाहिए, और इसके पक्ष में कुछ बेहद ठोस तर्क हैं. सरकार बनाने के लिए वर्तमान में बहुमत का क्या मतलब है. पहला कि सत्ताधारी दल को कभी भी कुल आबादी का बहुमत नहीं होता है. चुनाव में कुल मतदान […]
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