उर्मिलेश संवैधानिकता की संपूर्ण अवहेलना और तंत्र में जन-गण को पूरी तरह नज़रअंदाज़ करने की शासकीय-ज़िद से उपजा है-आज का यह अभूतपूर्व किसान आंदोलन! भारतीय गणराज्य के इतिहास में इस गणतंत्र दिवस को कई कारणों से उल्लेखनीय और अपूर्व माना जा रहा है। इसका एक बड़ा कारण है कि हर बार जन-गण की तरफ से […]
Read Moreरविकान्त तीन अंक को अशुभ मानने वाले संघ ने आज़ादी के बाद दशकों तक तिरंगा नहीं फहराया। लेकिन छद्म राष्ट्रवाद के ज़रिए राष्ट्रीय राजनीति में दाखिल होने के लिए संघ ने पहले मजबूरी में तिरंगे को अपनाया और सत्ता में आते ही भगवा को आगे बढ़ा दिया। मोदी सरकार में खुलकर बीजेपी की रैलियों, उसके […]
Read Moreट्रैक्टर रैली के दौरान मंगलवार को जो हिंसा हुई उससे पहले सिंघु बॉर्डर पर किसानों के बीच क्या हुआ था? क्या कोई योजना बनी थी और यदि बनाई थी तो किसने? क्या इसमें केंद्र सरकार की एजेंसियों का हाथ था और क्या पंजाबी फ़िल्मों के अभिनेता दीप सिद्धू ने इसमें अहम भूमिका निभाई? ये सवाल […]
Read Moreलक्ष्मण को जो भारत मिला, वह कई मायनों में बहुत सहनशील था. तब राजनीति और विचारधाराएं व्यंग्य का बुरा नहीं मानती थीं और कार्टूनों पर हंसने का सलीका जानती थीं ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ के एक कोने में बैठा उनका कॉमन मैन बरसों नहीं, दशकों तक सबको कभी गुदगुदाता, कभी नाराज़ करता रहा, समाज, राजनीति और […]
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