मुकुंद झा, सोनाली मोटे तौर पर सभी ने इस आंदोलन का समर्थन किया और किसी भी तरह की परेशानी से इंकार किया। हालांकि कुछ लोगों ने कहा कि उन्हें कुछ असुविधा हुई लेकिन वो किसान से अधिक पुलिस के रास्ते रोके जाने से हुई है। “हमें किसान आंदोलन से कोई समस्या नहीं है, जो लोग […]
Read Moreअमिताभ एक ऐसे समय में जब राजनीति का मक़सद किसी भी तरह से सत्ता हासिल करना रह गया हो और समाज में सब तरफ़ पैसे की ताक़त का बोलबाला हो, सामान्य लोग भी निजी और सार्वजनिक जीवन में मन वचन और कर्म से बहुत हिंसक हो चुके हों, राजनीति में सेवाभाव की अहमियत पर ज़ोर […]
Read Moreप्रियदर्शन गांधी को मारने वाले गोडसे की चाहे जितनी मूर्तियां बना लें, वे गोडसे में प्राण नहीं फूंक सकते. गांधी को वे चाहे जितनी गोलियां मारें, गांधी अब भी सांस लेते हैं एनसीईआरटी के प्रमुख रहे सुख्यात शिक्षाशास्त्री कृष्ण कुमार ने अपनी किताब ‘शांति का समर’ में एक बहुत ही महत्वपूर्ण सवाल उठाया है- राजघाट […]
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