लखनऊ हिंसा: वसूली नोटिस रद्द कराने हाईकोर्ट पहुंचे पूर्व आईजी और ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के दारापुरी

लखनऊ हिंसा मामले में तहसीलदार सदर द्वारा दी गई वसूली नोटिस को रद्द कराने के लिए आज ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के राष्ट्रीय प्रवक्ता एस. आर. दारापुरी ने इलाहाबाद उच्चन्यायालय की लखनऊ खंडपीठ में याचिका दाखिल की है। जिसे हाईकोर्ट ने स्वीकार कर डायरी नंबर 6875/ 2020 आवंटित किया है। याचिका में योगी सरकार की वसूली नोटिस को रद्द करने की मांग की गई है।

विदित हो कि ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के राष्ट्रीय प्रवक्ता पूर्व आईजी एस. आर. दारापुरी, कांग्रेस नेता व सामाजिक कार्यकर्ता सदफ जाफर, रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शोएब और सामजिक कार्यकर्ता दीपक कबीर, जैसे राजनीतिक-सामाजिक कार्यकर्ताओं को योगी सरकार ने नोटिस भेजकर लखनऊ हिंसा में संपत्तियों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए एक हफ्ते में 64-64 लाख रुपये जमा करने का नोटिस भेजा है।

दायर याचिका में कहा गया है कि तहसीलदार सदर द्वारा 12 जून को जारी की गई वसूली नोटिस उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 नियमावली 2016 का स्पष्ट उल्लंघन है अतः इसे निरस्त किया जाना न्यायोचित होगा। याचिका में कहा गया है कि वसूली नोटिस जिस प्रारूप 36 में दी गई है उस प्रारूप में विधिक रुप से पंद्रह दिन का समय बकायेदारों को दिया जाता है जिसे मनमाने ढंग से तहसीलदार सदर द्वारा सात दिन कर दिया गया है। यही नहीं तहसीलदार सदर द्वारा नोटिस में जिस नियम 143 (3) का हवाला दिया गया है वह नियम नियमावली में है ही नहीं। इसलिए इस तरह की विधि विरुद्ध कार्रवाई और इस नोटिस के तहत अब तक हुई सभी उत्पीड़नात्मक कार्यवाही को करने वाले अधिकारियों को दंडित करने की भी मांग याचिका में की गई है।

वर्कर्स फ्रंट के प्रदेश अध्यक्ष दिनकर कपूर ने हाईकोर्ट द्वारा डायरी नम्बर आवंटित होने के बाद कहा की राजनीतिक बदले की भावना से लोकतंत्र की आवाज को दबाने की योगी सरकार की कोशिश अंततः विफल होगी और न्याय मिलेगा।

इसके पहले रविवार को कई राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों ने कहा था कि “लखनऊ हिंसा मामले में लोगों के उत्पीड़न के लिए दी गई वसूली नोटिस अवैधानिक है और यह राजस्व संहिता व उसकी नियमावली का खुला उल्लंघन है। इसके तहत जितनी भी उत्पीड़नात्मक कार्यवाही की गई है वह सभी विधि विरुद्ध है। इसलिए तत्काल प्रभाव से वसूली नोटिस को रद्द कर वसूली कार्यवाही को समाप्त करना चाहिए”।

सीपीएम के राज्य सचिव डॉ हीरालाल यादव, सीपीआई के राज्य सचिव डॉ गिरीश शर्मा, लोकतंत्र बचाओं अभियान के इलियास आजमी, सोशलिस्ट पार्टी इंडिया के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष संदीप पांडे, स्वराज अभियान की प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट अर्चना श्रीवास्तव, स्वराज इंडिया के प्रदेश अध्यक्ष अनमोल, वर्कर्स फ्रंट के अध्यक्ष दिनकर कपूर  ने ऑनलाइन मीटिंग के बाद एक राजनीतिक प्रस्ताव पास किया था जिसमें योगी सरकार से राजधर्म का पालन करने को कहा गया था। वहीं भाकपा माले ने भी एक्टिविस्टों पर हर्जाने के नाम पर वसूली का दबाव बनाने का विरोध किया था।

सौज- मीडिया विजिल

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