बॉम्बे हाई कोर्ट ने तेलुगू लेखक वरवर राव को 15 दिनों के लिए नानावटी अस्पताल में शिफ़्ट करने की इजाजत दी है। 79 साल के राव को यूएपीए के तहत गिरफ़्तार किया गया है और वह डेढ़ साल से जेल में हैं। राव भीमा कोरेगांव मामले में अभियुक्त हैं। राव के परिवार ने इससे पहले भी अदालत को बताया था कि उनकी स्थिति ऐसी है कि वह ख़ुद टॉयलेट तक नहीं जा सकते लेकिन बावजूद इसके उन्हें जमानत नहीं मिली थी।
अदालत ने कहा है कि राव के इलाज में होने वाला ख़र्च राज्य सरकार उठाएगी और उनके परिवार को अस्पताल के नियमों के मुताबिक़ उनसे मिलने की इजाजत होगी। अदालत की अनुमति के बिना राव को अस्पताल से डिस्चार्ज नहीं किया जाएगा।
अदालत राव की पत्नी पी. हेमलता की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। उन्होंने राव की रिहाई की गुहार लगाई थी और कहा था कि वरवर राव पर जेल में ध्यान नहीं दिया जा रहा है और उन्हें तलोजा जेल से नानावटी अस्पताल में शिफ़्ट कर दिया जाए। राव की ओर से अदालत में पेश हुईं सीनियर वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा कि राव डिमेंशिया से पीड़ित हैं। उन्होंने अदालत से कहा कि अगर उन्हें जेल से नहीं हटाया जाता है तो उनकी जान जा सकती है।
इंदिरा ने कहा कि ऐसे हालात में यह हिरासत में मौत का मामला बन सकता है। एनआईए ने भी अदालत को बताया कि राव की तबीयत सही नहीं है लेकिन जेल में डॉक्टर उनके स्वास्थ्य पर लगातार नज़र बनाए हुए हैं और ज़रूरी चिकित्सा दे रहे हैं। 29 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट से इस मामले में जल्द से जल्द फ़ैसला करने को कहा था।
इंदिरा ने पिछली सुनवाई में अदालत के सामने जीवन के अधिकार और व्यक्तिगत आज़ादी के अधिकार की गारंटी देने वाले संविधान के अनुच्छेद 21 का ज़िक्र किया था। व्यक्तिगत आज़ादी के अधिकार का हवाला देते हुए ही सुप्रीम कोर्ट ने रिपब्लिक टीवी के संपादक अर्णब गोस्वामी को जमानत दे दी थी। अर्णब गोस्वामी भी आर्किटेक्ट अन्वय नाइक और उनकी मां की आत्महत्या के मामले में जेल में बंद थे। अदालत के इस फ़ैसले पर सवाल उठे थे कि व्यक्तिगत आज़ादी का अधिकार क्या सिर्फ़ अर्णब के लिए ही है।
सामाजिक कार्यकर्ता वरवर राव के ख़राब स्वास्थ्य को लेकर लंबे समय से उनकी रिहाई की मांग हो रही है। उनका स्वास्थ्य ज़्यादा ख़राब हो गया है। वरवर राव की तबीयत इतनी ख़राब है कि वह बिस्तर पर ही पेशाब करते हैं, इसलिए उन्हें डायपर पहनाने की ज़रूरत पड़ती है और पेशाब की थैली लगानी पड़ी है।
वरवर राव के स्वास्थ्य को लेकर काफ़ी पहले से चिंताएं जताई जा रही हैं। उनके स्वास्थ्य और उनकी रिहाई के लिए मशहूर इतिहासकार रोमिला थापर और राजनीतिक विश्लेषक प्रभात पटनायक ने भी प्रयास किए थे। उन्होंने इसी साल जुलाई महीने में महाराष्ट्र सरकार और एनआईए को एक चिट्ठी लिखी थी। रोमिला थापर ने अपने ख़त में कहा था कि मौजूदा स्थितियों में राव को जेल में रखना ‘न क़ानूनी रूप से सही है न ही नैतिक रूप से।’
एजेंसियां