हरीश मानव
केंद्र के तीन कृषि कानूनों के विरोध में पांच दिन से दिल्ली की सीमाआें पर डटे आंदोलनकारी किसान अब बड़े सुनियोजित ढंग से अपने हकों की लड़ाई को आगे बढ़ाने जा रहे हैं। भारतीय किसान यूनियन के बैनर के लिए 100 से अधिक किसान संगठनों ने सड़क पर ही बकाया अपना प्रोटेस्ट सेक्रेट्रिएट स्थापित कर लिया है। इस सेक्रेट्रिएट से ही आंदोलन को नियंत्रित किया जा रहा है। सेक्रेट्रिएट से प्रतिदिन दोपहर दो बजे मीडिया बुलेटिन जारी होगा व सांय चार बजे प्रेस कांफ्रेस भी आयोजित होगी जिसमें किसान मीडिया से अपनी गतिविधियां सांझी करेंगे। इस सेक्रेट्रिएट से सियासी नेताओं के किसानांे बारे कुछ भी बोलने पर प्रतिबंध है यानि किसान आंदोलन को पूरी तरह से सियासी नेताओं से दूर रखा गया है।
सोमवार को किसान प्रोटेस्ट सेक्रेट्रिएट से चार संदेश देश के हुक्मरानों को िदए गए जिसमें पहला यह है कि केंद्र से बातचीत के लिए किसानों को कोई शर्त मंजूर नहीं,जैसा की गृह मंत्री अमित शाह से बाचचीत से पहले किसानों को िदल्ली की सीमाएं खाली कर एक जगह दिल्ली के बुराड़ी स्थित निरंकारी समागम ग्राउंड मंे जमा होने की शर्त रखी थी। इस शर्त को किसानों ने सिरे से खारिज कर दिया है। दूसरा केंद्र के तीनों कृषि कानून रद्द किए जाने की मांग किसानों ने केंद्र सरकार से की है। तीसरे संदेश में बिजली कानून को भी किसानों ने निरस्त करने को कहा है। चौथा पराली जलाने पर किसानों को भारी जुर्मानें और सजा के प्रावधान से मुक्त किरने की मांग प्रोटेस्ट सेक्रेट्रिएट से उठी है।
प्रोटेस्ट सेक्रेट्रिएट में क्या क्या हो रहा है
किसानों के प्रोटेस्ट सेक्रेट्रिएट में पांरपरिक कृषि संसाधनों से लेकर हाईटेक संसाधन पंजाब के प्रगतिशील किसानों ने जुटाएं हैं। फेसबुक से लेकर यू टयूब लाइव होकर किसान नेता देशभर के अपने किसान भाई बहनों को संदेश के अलावा पीएम नरेंद्र मोदी और केंद्रीय नेताओं को संदेश दे रहे हैं। सड़कों पर जहां ट्रैक्टरों की कतारें हैं वहीं ट्विटर वार भी जारी है। प्रोटेस्ट सेक्रेट्रिएट मंे दिनभर आंदोलन की गतिविधियों के बीच काेराेना के साए में रात को सड़क पर सर्द रात मंे मनोबल मजबूत रखने को लोक गीत संगीत से मनोंरंजन में भी किसान पीछे नहीं हैं। इसमें किसानों का साथ देने को दिल्ली के छात्रों की डफली भी खूब बज रही है।
समर्थन कॉरपोरेट भी आए आगे
किसानों के समर्थन मंे कृषि उपकरणों से जुड़े महिंद्रा एंड महिंद्रा और सोनालीका जैसे कॉरपोरेट भी आगे आए हैं। तमाम तरह की मदद का एलान किया है जिसे किसान संगठनों ने स्वीकार नहीं किया। कनाडा में बसे एक एनआरआई ने 50 लाख रुपए की मदद किसानों के आंदोलन का बल देने की की है उसे भी किसान संगठनों ने खारिज कर दिया है। भारतीय किसान यूनियन(उगरांह)के महासचिव सुखदेव िसंह कोकरीकलां का कहना है कि किसानों को किसी मदद की नहीं बल्कि अपने हक की जरुरत है। हक की लड़ाई के लिए वे किसी भी हद तक जा सकते हैं। इधर दो महीने तक पक्के मौर्चाें में डटे पंजाब के किसानों के दिल्ली कूच के बाद महिला किसानों ने पक्के मौर्चें संभाल लिए हैं।
सौज आउटलुक