विश्व भारती शताब्दी समारोहः मोदी के भाषण पर तृणमूल की तीखी प्रतिक्रिया

विश्व भारती 1921 में रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा स्थापित देश के सबसे पुराने विश्वविद्यालयों में है. वर्ष 1951 में विश्व भारती को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया था और उसे राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों में शुमार किया गया था. प्रधानमंत्री इस विश्वविद्यालय के कुलाधिपति होते हैं. प्रदानमंत्री मोदी ने विश्व भारती विश्वविद्यालय  के शताब्दी वर्ष समारोह को वर्चुअली संबोधित किया। तृणमूल कांग्रेस ने पीएम के भाषण के दौरान की गई टिप्पणियों पर तीखी प्रतिक्रिया दी है बंगाल के मंत्री ने विश्वभारती को राष्ट्रवाद का प्रतीक कहने पर भी पीएम मोदी की आलोचना की.

पश्चिम बंगाल स्थित विश्व भारती विश्वविद्यालय  के शताब्दी वर्ष समारोह को वर्चुअली संबोधित किया। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के गुजरात कनेक्शन का जिक्र किया और कहा कि गुरुदेव की बड़े भाई सत्येंद्र नाथ टैगोर की नियुक्ति गुजरात में हुई थी. तब रवींद्र नाथ टैगोर उनसे मिलने अहमदाबाद आते थे. पीएम ने कहा कि गुरुदेव ने वहां पर ही अपनी दो कविताएं लिखी थीं. पीएम ने कहा कि गुजरात की बेटी भी गुरुदेव के घर बहू बनकर आई थी. 

पीएम ने कहा कि जब सत्येंद्र नाथ टैगोर की पत्नी ज्ञानेंद्री देवी अहमदाबाद में रहती थीं, तब उन्होंने देखा कि गुजराती महिलाएं साड़ी का पल्लू दाईं ओर रखती थीं, तब उन्होंने बाईं तरफ साड़ी का पल्लू रखने की सलाह दी थी, जो अबतक जारी है. 

तृणमूल कांग्रेस ने पीएम के भाषण के दौरान की गई टिप्पणियों पर तीखी प्रतिक्रिया दी है और उनके संबोधन में “उच्चारण और तथ्यात्मक त्रुटियों” पर उनकी आलोचना की है. ममता बनर्जी सरकार में मंत्री ब्रत्य बोस ने कहा कि टैगोर और गुजरात को जोड़ने की कोशिश अक्षम्य थी. बोस ने कहा, “टैगोर के भाई जो गुजरात में पदस्थापित थे, उनके सबसे बड़े भाई नहीं थे. उनकी पत्नी का नाम ज्ञानदानंदिनी था, न कि जो पीएम ने कहा. ज्ञानदानंदिनी और साड़ी के पल्लू की कहानी एक मिथक है, सच नहीं है.”

प्रधानमंत्री ने उद्बोधन में कहा कि कि विश्वविद्यालय ने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान रवींद्रनाथ टैगोर के मार्गदर्शन में भारतीय राष्ट्रवादी भावना को मूर्त रूप दिया था. पीएम ने कहा, “गुरुदेव संपूर्ण मानवता को भारत के आध्यात्मिक जागरण से लाभान्वित करना चाहते थे. आत्मानिर्भर भारत दर्शन भी इसी भावना से उत्पन्न है.”

बंगाल के मंत्री ने विश्वभारती को राष्ट्रवाद का प्रतीक कहने पर भी पीएम मोदी की आलोचना की. तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा, “पीएम ने टैगोर के राष्ट्रवाद की बात की, जबकि टैगोर ने राष्ट्रवाद को सबसे विभाजनकारी चीज कहा था. धर्म को विभाजित करने के लिए इस शब्द के उपयोग की टैगोर ने वकालत नहीं की थी. उनका उपन्यास ‘गोरा’ धर्म के बारे में था और अंततः इसका मतलब मानव धर्म से था. उनके उपन्यास ‘घरे बैरे’ का संदेश था कि राष्ट्रवाद एक व्यसन है जो विभाजन कराता है.” विदित हो कि कि बंगाल में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं.

एजेंसियां

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