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Year: 2020

ग्रेटर हैदराबाद निगम चुनाव: भाजपा नहीं लगा पाई ओवैसी के किले में सेंध

ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनाव भले ही भाजपा ने अमित शाह से लेकर योगी आदित्यनाथ जैसे स्ट्रार प्रचारकों एवं लगभग पूरे केन्द्रीय मंत्रिमंडल सहित प्रचार में पूरी फौज उतार दी थी मगर नतीजों से एक बात साफ है कि वह औवैसी के गढ़ को हिला नहीं पाई है। 150 सीटों के चुनाव में ओवैसी ने…

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“एक बुज़ुर्ग होने के नाते हमारी ज़िम्मेदारी बनती है कि हम अपने बच्चों की आवाज़ बनें”

नाज़मा ख़ान मैं तो दादी से उन्हें मिले सम्मान पर चर्चा करने गई थी लेकिन दादी तो हर मसले पर बहुत ही मज़बूती से अपनी राय पेश कर रही थीं। जब मैंने दादी से पूछा इन सम्मान को मिलने का मतलब समझती हो दादी?  तो वो मुस्कुरा दीं और तपाक से जवाब दिया “पता है”।…

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तेलंगाना की सियासत में भाजपा के उभार की वजह और GMHC नतीजों के मायने

आदित्य मेनन ग्रेटर हैदराबाद म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन चुनावों के नतीजे तकरीबन साफ हो चुके हैं. बीजेपी दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है, वहीं टीआरएस की सीटें काफी कम हुई हैं. GHMC की 150 सीटों में टीआरएस को 55 सीटें हासिल हुईं हैं वहीं बीजेपी ने 48 और AIMIM ने 44 सीटें हासिल की हैं. उल्लेखनीय…

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जब राजेंद्र बाबू को लगा था कि देश प्रेम और घर प्रेम में घर का वजन ज्यादा भारी पड़ रहा है

अनुपम मिश्र देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद से जुड़ा यह किस्सा तब का है जब उनकी गोपाल कृष्ण गोखले से मुलाकात हुई थी राजेंद्र बाबू गोखलेजी से मिलने गए.इस मुलाकात ने राजेन्द्र बाबू की ज़िंदगी बदल कर रख दी. देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद की स्मृति में हुई एक व्याख्यानमाला में…

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कैसे पंजाब के भूमि संपन्न और भूमिहीन किसानों के बीच की दीवार सरकार से लड़ने के लिए ढह गई?

अजय कुमार पंजाब के बड़े-छोटे, मझोले, भूमि विहीन किसान साथ मिलकर सरकार को चुनौती दे रहे हैं। आखिरकार इनके बीच मौजूद दरार किस तरह से पाट दी गई। इसलिए खासकर पंजाब की खेती-किसानी और यहां के आंदोलन को समझना थोड़ा वाजिब हो जाता है। तो चलिए पंजाब की खेती किसानी को समझने के सफर पर…

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पत्रकारिता की मिशनरी परंपरा और पतन: एक दिवंगत संपादक की अंतर्दृष्टि –ललित सुरजन

देशबंधु अख़बार के प्रधान संपादक ललित सुरजन का निधन पत्रकारिता के इस पतनकाल में पत्रकारीय मूल्‍यों के संरक्षक का जाना है। भारतीय पत्रकारिता की मिशनरी परंपरा के वे आखिरी संपादकों में थे। उनके निधन से प्रतिबद्ध पत्रकारिता के एक युग का अंत सा हो गया है। यह लेख सुप्रसिद्ध साहित्यिक पत्रिका तद्भव के पत्रकारिता अंक…

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शहद में मिलावट! क्या रामदेव की कंपनी फ्रॉड कर रही है?

पतंजलि, डाबर जैसी कंपनियों के जिस शहद को शुद्ध कहकर बेचा जा रहा है उसपर गंभीर सवाल उठे हैं। सेंटर फ़ोर साइंस एनवायरमेंट यानी सीएसई ने कहा है कि प्रमुख ब्रांडों के शहद में शुगर सिरप मिलाया हुआ पाया गया है। शुगर सिरप को इस तरह बनाया जाता है कि मौजूदा भारतीय जाँच के तरीक़े…

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साबू दस्तगीर : हॉलीवुड में सफलता के सबसे बड़े झंडे गाड़ने वाला भारतीय

अंबर श्रीवास्तव करीब आठ दशक पहले अंजाम दिया जा चुका है- साबू दस्तगीर द्वारा. साबू दस्तगीर वह शख्स था जो पैदा तो मैसूर के एक महावत परिवार में हुआ लेकिन, पहले इंग्लैंड और फिर हॉलीवुड पहुंचकर उसने सफलता के ऐसे झंडे गाड़े कि किसी भारतीय कलाकार का हॉलीवुड में इस कदर छाना हाल-फिलहाल संभव नहीं…

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किसानों का विरोध महज़ एमएसपी को लेकर नहीं, ग्रामीण भारत के कॉर्पोरेट अधिग्रहण को लेकर भी है

प्रज्ञा सिंह  सिंघू बॉर्डर पर डेरा डाले इन किसानों की सोच पर जो बात सबसे ज़्यादा हावी है, वह है उनके खेतों में मंडराने वाले कॉर्पोरेटों का डर। वे पारित किये गये इन तीन नये क़ानूनों में से उस एक क़ानून में अनुबंध खेती से सम्बन्धित प्रावधानों को ग्रामीण भारत पर कॉर्पोरेट के प्रभाव को…

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क्यों सरकार झूठ बोल रही है कि खेती-किसानी को बाज़ार के हवाले कर देने पर किसानों को फ़ायदा होगा?

अजय कुमार बहुत पहले से कृषि मंडियों के बाहर प्राइवेट बाजार में कृषि उपज की खरीद बिक्री हो रही है लेकिन फिर भी अभी तक सही तरीके से प्राइवेट बाजार संचालित नहीं होता है और न ही इन बाजारों में सरकारी एमएसपी से अधिक क़ीमत पर अनाज खरीदा जाता है।  पंजाब के किसान नेताओं ने…

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