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Year: 2020

अगर श्रीलाल शुक्ल ने राग दरबारी न लिखा होता तो…

अनुराग शुक्ला अगर राग दरबारी न लिखा गया होता शिवपालगंज के आत्मविश्वास से भरे गंजहे न होते, तो किसानों को उन्नत कृषि सिखाने आए वैज्ञानिकों को मूर्ख मानने का साहस कौन जुटा पाता. अगर गंजहों का दिया सहज ज्ञान न होता तो यह ज्ञान कौन देता कि पुनर्जन्म का ईजाद भारत की दीवानी अदालतों से…

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बोलीविया में वामपंथ की वापसी क्या सही मायनों में प्रगतिशील राजनीति की जीत है?

मधुरेश कुमार बोलीविया में 18 अक्टूबर के राष्ट्रीय चुनावों में पूर्व राष्ट्रपति इवो मोरालेस की पार्टी मूवमेंट टुवर्ड्स सोशलिज्म (MAS) के उम्मीदवार लुइस आर्स की भारी जीत हुई है। इस जीत के साथ ही दक्षिण अमेरिकी देशों में वामपंथी ताकतों को बल मिलेगा और इक्वाडोर और चिली के आगामी चुनावों में भी इसके असर दिखेंगे। नयी MAS…

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कितना ही गंभीर धार्मिक अपमान ‘क्यों न हो, हिंसा जायज़ नहीं’ – अपूर्वानंद

फ्रांस में की गई शिक्षक की हत्या का धार्मिक दूषण वाले क़ानून से क्या रिश्ता? वक्ताओं की चिंता यह थी कि चूँकि इस्लामी देश धार्मिक दूषण के लिए मृत्यु दंड की सज़ा रखते हैं, एक आम मुसलमान इसे उचित दंड मान सकता है। जहाँ सरकार यह न कर रही हो, वह ख़ुद को ही धर्म का मुहाफिज…

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नरेंद्र मोदी, डोनाल्ड ट्रंप और बोरिस जॉनसन में जितनी समानताएं हैं उससे ज्यादा असमानताएं हैं – रामचंद्र गुहा

दुनिया के सबसे विशाल, समृद्ध और प्राचीन लोकतंत्रों की कमान थामे नरेंद्र मोदी, डोनाल्ड ट्रंप और बोरिस जॉनसन कुछ मायनों में एक जैसे हैं तो कुछ में जुदा अपने वैचारिक सपने को साकार करने के लिए नरेंद्र मोदी के पास राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ है जिसकी संगठनात्मक ताकत और संसाधन जुटाने की क्षमता अमेरिका या ब्रिटेन…

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गणेशशंकर विद्यार्थी का हिंदू राष्ट्र को खारिज करना किसी दूसरे धर्म का तुष्टिकरण नहीं था

हेमंत कुमार पाण्डेय गणेशशंकर विद्यार्थी का मानना था कि अच्छे आचरण वाले नास्तिकों का दर्जा धर्म के नाम पर दूसरे की आजादी रौंदने और उत्पात मचाने वालों से ऊंचा है ‘मैं हिन्दू-मुसलमान झगड़े की मूल वजह चुनाव को समझता हूं. चुने जाने के बाद आदमी देश और जनता के काम का नहीं रहता.’ विख्यात पत्रकार…

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जब त्यौहार एक-दूसरे को चिढ़ाने का माध्यम बन रहे हों तब गांधी को याद करना और भी जरूरी है

अव्यक्त आज से 110 साल पहले महात्मा गांधी ने राम को हर धर्म के भारतीय के लिए माननीय बताया था. इसके 37 साल बाद उन्होंने दशहरा को मनाने का सही तरीका भी बताया था रामजी की जीत मनाने के लिए ही दशहरा है. पीछे कहते हैं कि एकादशी है, उस दिन तो राम का भरत…

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मिर्ज़ापुर की गद्दी और बदला लेने की कहानी है ‘मिर्जापुर 2’

दीपाली श्रीवास्तव जिसका सभी को इंतजार था, आख़िर वह सीरीज़ आ गई। ऑनलाइन स्ट्रीमिंग प्लैटफॉर्म अमेज़न प्राइम वीडियो पर सीरीज़ ‘मिर्जापुर 2’ रिलीज़ हो चुकी है। इसका पहला सीज़न साल 2018 में आया था और इसके दूसरे सीज़न का लोगों को बेसब्री से इंतजार था। पहले सीज़न में भी गोली, गाली और ख़ून-ख़राबा था और…

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‘मध्य वर्ग अगर सच को सच कहने का साहस दिखाए तो समाज और राजनीति में हो रहा पतन रोका जा सकता है’

कविता करीब दो दशक पुराने इस साक्षात्कार में निर्मल वर्मा ने भारतीय समाज की चुनौतियों से जुड़ी जो बातें कही थीं वे आज भी ठीक उन्हीं अर्थों में महत्वपूर्ण बनी हुई हैं निर्मल वर्मा को उनकी रचनाओं के माध्यम से देखने वाले उन्हें आत्मनिष्ठ, संशयों से घिरे, दुख से लिपटे रहने और उनका उत्सव मनाने…

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साहिर लुधियानवी : जिसने अपना हर इश्क़ अधूरा छोड़ा, शायद इसलिए कि वह साहिर बना रह सके

अनुराग भारद्वाज साहिर प्रोग्रेसिव राइटर्स एसोसिएसन में शामिल हो गए मगर वो फ़ैज़ की तरह साम्यवाद के झंडाबरदार नहीं रहे. कैफ़ी आज़मी ने कभी साहिर लुधियानवी की शायरी के रोमांटिक मिज़ाज पर तंज़ कसते हुए कहा था कि उनके दिल में तो परचम है पर क़लम काग़ज़ पर मोहब्बत के नग़मे उकेरती है अमृता प्रीतम…

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कहानीः ‘ऐरेबी’- जेम्स ज्वॉयस

जेम्स जॉयस (02 फरवरी 1882,  – 13 जनवरी 1941) – जेम्स ऑगस्टिन अलॉयसियस जॉयस एक आयरिश उपन्यासकार, लघु कहानी लेखक और कवि थे। 20 वीं शताब्दी के सबसे प्रभावशाली और महत्वपूर्ण लेखकों में से एक माना जाता है।  यूलीसिस (1922) उनकी महत्वपूर्ण रचना है। इसके साथ ही शॉर्ट-स्टोरी संग्रह डबलिनर्स (1914), और उपन्यास ए पोर्ट्रेट ऑफ़…

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