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Year: 2020

घरों में होने वाली हिंसा का बच्चों पर क्या प्रभाव पड़ता है?

सोनाली खत्री बच्चों पर हिंसा न सिर्फ उनके बचपन की मासूमीयत को छीन लेता है, बल्कि एक हिंसक वयस्क की नींव भी रखता है। हिंसा किसी भी लोकतांत्रिक समाज या देश की प्रगति में एक बहुत बड़ी रुकावट है। “अब अगर ऐसा दोबारा हुआ तो टांगे तोड़ दूंगा तुम्हारी”, “हिम्मत कैसे हुई तुम्हारी इस तरीके…

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बरसों तक भीख मांग कर खाने वाला एक फ़कीर हंगर इंडेक्स को कैसे स्वीकार करे!

नित्यानंद गायेन ट्रम्प दम्पत्ति के कोरोना संक्रमण की चिंता से प्रधानजी अभी मुक्त भी नहीं हो पाए थे कि ग्लोबल हंगर इंडेक्स वालों से भुखमरी की रिपोर्ट जारी कर दिया! ग्लोबल हंगर इंडेक्स रिपोर्ट का कोई असर किसी फ़कीर के चित्त पर पड़ सकता है क्या? जिसने खुद अपने जीवनकाल में 35 वर्षों तक भीख…

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मजाज़ : उर्दू शायरी का कीट्स

अनुराग भारद्वाज मजाज़ को हिंदुस्तानी शायरी का कीट्स कहा जाता है. क्यों? क्योंकि वह हुस्नो-इश्क़ का शायर था. पर जो बात दीगर है वह यह कि इसी हुस्नो-इश्क़ पर क़सीदे पढ़ते हुए उसने इस पर लगे प्रतिबंधों को भी अपनी शायरी में उठाया. और हुस्नो-इश्क़ की शायरी ही क्योंकर उसका तआरुफ़ होने लगा! वह तो लाल झंडे…

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1992 के सबसे बड़े घोटाले को दिखाती है वेब सीरीज़ ‘स्कैम 1992’

दीपाली श्रीवास्तव  ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म सोनी लिव पर ‘स्कैम 1992: द हर्षद मेहता स्टोरी’ नाम की वेब सीरीज़ रिलीज़ हुई। साल 1992 में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में किये गए घोटाले के चलते हर्षद शांतिलाल मेहता बड़े विवादों में आ गए थे और ये वेब सीरीज़ उसी घोटाले पर आधारित है। इस घोटाले की जितनी चर्चा…

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प्रेम के अधिकार के लिए सामाजिक संवेदना का अभियान चलाना होगा- अपूर्वानंद

दूसरे धर्म की लड़की हो, तो उससे प्रेम के नाम पर उसे अपने में मिला लेना बुरा नहीं। हाँ! अपने धर्म की लड़की नहीं जानी चाहिए। यह एक आम समझ है और आज से नहीं, अनेक दशकों से इस देश में लोगों के दिल दिमाग़ों को इसने इसी तरह विकृत कर दिया है।+ जब तनिष्क…

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अभिनय का जो व्याकरण ओम पुरी ने अपने ढंग से साधा था, वह आज भी नई पीढ़ियों के काम आता है- प्रियदर्शन

हिंदी सिनेमा जिस ओम पुरी को याद करता है, वह अब भी सत्तर और अस्सी के दशकों में लरजती आंखों और खुरदरी आवाज़ वाला वह अभिनेता था जिसके बगैर कई फिल्में वह प्रामाणिकता हासिल न कर पातीं जो कर पाईं. यह कुछ उदास करने वाला अफ़साना है कि किस तरह समानांतर सिनेमा के सभी कलाकार…

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भारतीय विज्ञान में वामपंथ की अनकही कहानी

प्रबीर पुरकायस्थ  मेघनाद साहा, हुसैन ज़हीर, साहब सिंह सोखे जैसे कई वैज्ञानिक न सिर्फ़ भारतीय विज्ञान के संस्थापक थे, बल्कि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के क़रीबी भी थे। कलकत्ता में मेघनाद साहा के साथ वैज्ञानिकों का एक युवा समूह 1930 के दशक में विज्ञान, योजना और सोवियत संघ के समाजवादी प्रयोग में लगा हुआ था।…

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हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के असली जय-वीरू तो ओम पुरी और नसीरुद्दीन शाह ही थे!

शुभम उपाध्याय नसीरुद्दीन शाह की आत्मकथा ‘एंड देन वन डे’ में दर्ज उनके अजीज दोस्त ओम पुरी से जुड़े कुछ अनोखे किस्से. अपनी ऑटोबॉयोग्राफी ‘एंड देन वन डे’ में भी नसीर ने ओम पुरी के बारे में कुछ अनोखे किस्से दर्ज किए. इन किस्सों और नसीर की नजर से भी उन ओम पुरी को देखा…

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कहानीः ऐसे ही किसी दिन – गाब्रिएल गार्सिया मार्केज

गेब्रियल गार्सिया मार्केज़ (6 मार्च 1927 – 17 अप्रैल 2014) विश्वविख्यात साहित्यकार.  वामपंथी विचारधारा की ओर झुकाव रहा।  इसके चलते उन पर अमेरिका और कोलम्बिया सरकारों द्वारा देश में प्रवेश करने पर प्रतिबंध लगया गया। प्रथम कहानी-संग्रह लीफ स्टार्म एंड अदर स्टोरीज 1955 में प्रकाशित: नो वन नाइट्, टु द कर्नल एंड अदर स्टोरीज और आइज़ ऑफ ए डॉग श्रेष्ठ कहानी संग्रह…

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विश्वगुरु बनने की चाह रखने वाला भारत ग्लोबल हंगर इंडेक्स में 107 देशों में 94वें पायदान पर

अजय कुमार ग्लोबल हंगर इंडेक्स के अनुसार 2020 में दुनिया भर के 107 देशों में से भारत 27.2 स्कोर के साथ 94वें रैंक पर है। भारत से 21 पायदान ऊपर नेपाल है और 19 पायदान ऊपर बांग्लादेश है। इससे साफ है कि जिन 107 देशों का डेटा इस साल साझा किया गया है, उनमें से…

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