सुनीता नारायण प्राकृतिक गैस एवं हाइडेल, बायोमास इत्यादि जैसे स्वच्छ साधनों से ईंधन मिले तो प्रदूषण के स्तर में स्थानीय स्तर पर कमी तो आएगी ही, साथ ही साथ जलवायु परिवर्तन पर भी लगाम लगेगी. यह हमारे जीवनकाल का सबसे अजीब एवं संकटग्रस्त समय है. लेकिन साथ ही साथ यह सर्वाधिक भ्रमित करने वाला भी…
जाने-माने अभिनेता संजीव कुमार ने यह लेख 60 के दशक में फिल्मफेयर पत्रिका के लिए लिखा था अकबर बादशाह कब हुए और गर्मियों में आगरा का तापमान कितना रहता है, इन दो सवालों बीच सिवा इसके क्या फर्क है कि दोनों मास्टर जी का खौफ पैदा करते हैं, मुझे आज तक ठीक से नहीं मालूम….
ग़ुलाम नबी शेख़ की वजह से यह विश्वास कर पाना मुश्किल है कि कश्मीर के अनंतनाग जिले में स्थित इस मंदिर में सालों से किसी ने पूजा-अर्चना नहीं की है पिछले करीब 30 सालों से ग़ुलाम नबी शेख रोज़ फ़जर की नमाज़ मस्जिद में पढ़ने के बाद उनके घर के पास ही स्थित ज़यादेवी (जयदेवी)…
नासिरुद्दीन बतौर समाज महिलाओं के बारे में हमारे नजरिए में क्रांतिकारी बदलाव आ गया, ऐसा कुछ हुआ नहीं। देश तो आगे बढ़ता रहा और महिलाएं भी। मगर साथ-साथ भेदभाव और गैरबराबरियों के नित नए रूप सामने आए। हिंसा का साया नए-नए तरीके से उनका पीछा करता रहा। भारत की महिलाएं उन चंद देशों में हैं…
बहुप्रतीक्षित डिजिटल रिलीज में से एक, ‘ओमर्टा’ का प्रीमियर 25 जुलाई को विशेष रूप से जी5 पर किया जाएगा। हंसल मेहता द्वारा निर्देशित, इस तेजतर्रार फिल्म में, राजकुमार राव द्वारा कुख्यात आतंकवादी अहमद उमर सईद शेख का चित्रण प्रामाणिक और क्रूर है। फिल्म में राजेश तैलंग, रूपिंदर नागरा, केवल अरोरा और टिमोथी रयान हिकर्नेल प्रमुख भूमिकाओं…
रिचर्ड डी. वोल्फ़ ट्रंप का राष्ट्रवाद साफ़ है, लेकिन क्या अमेरिका का पूंजीवाद राष्ट्रवादी चोला पहन सकता है? ट्रंप प्रशासन बड़े स्तर पर ”आर्थिक राष्ट्रवाद” की तरफ़ मुड़ चुका है। ट्रंप प्रशासन, विश्व व्यापार संगठन, नाटो और संयुक्त राष्ट्र पर हमले करता है और उन्हें कमज़ोर बना रहा है। ट्रंप और उनके दूसरे अधिकारी दुनिया…
MASHAHID ABBAS पिछले कुछ सालों से यह चलन तेज़ी से बढ़ता जा रहा है. जिन सीन पर फिल्मों में सेसंर की कैचिंया चल जाती है उन सीन को वेब सीरीज में डालने में किसी भी तरह कि कोई बाधा सामने नहीं आती है. सोशल मीडिया पर वेब सीरीज को सेंसर करने के लिए कई बार आवाज…
1 हम पहाड़ हैं हमारे अंदर से वे कंदराएं बोलती है जिन्हें प्रेम ने वहां सिरज रखा है उन फिसलनदार चट्टानों से आती है आवाजें जो घृणा से उपजी हैं किसी हावभाव से किसी गुमनाम भूआकृति का मिलता है आभास झलकने लगती हैं असंख्य दरारों से निकलकर इधर-उधर बहने वाली छोटी छोटी नदियां हमारे सारे…
Anand K. Sahay Editors have become ‘faceless technicians’ By and large, journalism in India has been a mirror image of its rickety- and tawdry- democracy in the Modi years, and has probably hit its lowest point after the commencement of Prime Minister Narendra Modi’s second term in office in May, 2019, with a bigger mandate…
राहुल संपाल कोरोना महामारी के दौर में संसद के दोनों सदन भले ही स्थगित हैं लेकिन विधायिका का काम थमा नहीं है. 23 मार्च के पहले यानि लॉकडाउन के बमुश्किल सप्ताह भर बाद ही सरकार ने अध्यादेशों के जरिए पुराने कानूनों में जरूरी रद्दोबदल का सिलसिला शुरू कर दिया था. 31 मार्च को पहला अध्यादेश लाने के…
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