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Year: 2020

किसान आंदोलन: इन्साफ़ का ख़याल ज़िंदा रखने का सफ़र – अपूर्वानंद

क्या यह सफ़र मंज़िल तक पहुँचेगा? यह क्या सिर्फ़ इन्साफ़ के इन मुसाफ़िरों पर निर्भर है? पिछले साल एक और सफ़र शुरू हुआ था। वह मंज़िल तक नहीं पहुँच सका तो क्या वह निरर्थक हो गया? उस सफ़र से जो अलग रहे, जिन्होंने रास्ते में रोड़े डाले, जिन्होंने मुसाफ़िरों का क़त्ल किया, क्या वे विजयी…

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हिन्दू-मुस्लिम एकता और आज़ादी के नायक मौलाना मोहम्मद अली जौहर

शाहीन अंसारी दौर-ए-हयात आएगा क़ातिल क़ज़ा के बाद है इब्तिदा हमारी तिरी इंतिहा के बाद। मौलाना मोहम्मद अली जौहर को मोहम्मद अली के नाम से भी जाना जाता है जो स्वतंत्रता संग्राम के भावुक सेनानियों में थे। वह एक बहुमुखी प्रतिभा के व्यक्ति थे और उन्होंने  ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ प्रयासों में एक बड़ी…

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किसान आंदोलन की पृष्ठभूमि में तीन नए कृषि कानूनों का एक विश्लेषण

जया मेहता इसमें एक सुधार आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 से संबंधित है, दूसरा विभिन्न राज्यों के कृषि उत्पाद मार्केटिंग कमेटी कानूनों को ख़तम करने के बारे में और तीसरा ठेका खेती को संस्थागत रूप देने के बारे में है। ये तीनों सुधार मौजूदा कृषि उत्पादों के बाजार की संरचना पर से सरकार का नियंत्रण हटाने…

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भारत को काम करने वाला सामाजिक लोकतंत्र बनाने के लिए राज्य पूंजीवाद को खत्म करना होगा

टी एन नायनन अगर भारत को एक गतिशील सामाजिक लोकतंत्र बनना है, तो उसे अनुशासित टैक्स व्यवस्था तैयार करके कॉर्पोरेट की ताकत पर लगाम लगाते हुए सरकारी पूंजीवाद की राह पकड़ने से बचना होगा. भारत में कौन-सी व्यवस्था चल रही है? सामाजिक लोकतंत्र की या लोकतांत्रिक समाजवाद की? आपको यह शब्दों का खेल लग सकता…

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कहानीः दूसरी भाषा- ख़लील जिब्रान

ख़लील जिब्रान (6 जनवरी, 1883–10 जनवरी, 1931) अरबी और अंग्रेजी के लेबनानी-अमेरिकी कलाकार, कवि तथा न्यूयॉर्क पेन लीग के लेखक थे। उन्हें अपने चिंतन के कारण समकालीन पादरियों और अधिकारी वर्ग का कोपभाजन होना पड़ा और जाति से बहिष्कृत करके देश निकाला तक दे दिया गया था। जीवन की कठिनाइयों की छाप उनकी कृतियों में…

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सोनिया गांधी पर ओछी टिप्पणियाँ करने वाले किस भारतीय संस्कृति के हैं?

रविकान्त दरअसल, भारत की हिन्दू संस्कृति की रक्षक होने का दंभ भरने वाली दक्षिणपंथी पार्टी के आईटी सेल की यह करतूत है। नारियों को पूजने और सारी धरती को कुटुम्ब बताने वाली भारत की हिन्दू संस्कृति के झंडाबरदार इस हद तक एक महिला का अपमान कर सकते हैं! क्या यही विश्वगुरू भारत की संस्कृति है?…

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बाबरी मस्जिद से राम मंदिर तक -राम पुनियानी

सन 2020 का छह दिसंबर, सन 1992 से अब तक के छह दिसंबरों से कई अर्थों में भिन्न था. आज से 28 साल पहले, 20 दिसंबर को बाबरी मस्जिद ढहा दी गई थी. तब से लेकर पिछले साल तक अयोध्या में इस दिन दो अलग-अलग प्रकार के कार्यक्रम हुआ करते थे. हिंदुत्व संगठन इस दिन…

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लड़ते-खपते किसान पर क्यों चुप हैं अपने-अपने मोहल्लों के भगवान?

नवीन कुमार ऑस्ट्रेलिया में भारत के एक मुकाबले के बाद कप्तान विराट कोहली ड्रेसिंग रूम की तरफ जा रहे होते हैं। दर्शक दीर्घा में बैठी एक महिला जोर से चिल्लाती है- “विराट कोहली तुम कहां हो? किसान एकता जिंदाबाद.. भारतीय किसानों का समर्थन करो.. वर्ना तुम टॉयलेट पेपर से ज्यादा कुछ नहीं..।” इस टिप्पणी को…

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किसान आंदोलन की यह तसवीर क्या कहती है?

हरजिंदर अभी हमें पता नहीं है कि यह आंदोलन कितना लंबा चलेगा। सरकारें आमतौर पर ऐसे आंदोलनों को थका कर ख़त्म करने की कोशिश भी करती हैं। कितनी माँगें मानी जाएँगी और कितनी नहीं, यह भी अभी नहीं कहा जा सकता। लेकिन एक बात तय है कि दिल्ली की सीमाओं पर डटे ये किसान जब…

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दिलीप कुमारः जिन्हें सत्यजीत रे ने इंडिया का पहला मेथड एक्टर माना था

श्वेतांक जैसे ही दिमाग में शब्द ‘ट्रैजेडी’ आता है अचानक से उसमें किंग जैसा विशेषण जुड़ जाता है. और सूरत उभरती है एक अधेड़ उम्र के आदमी की, जो आधी रात को सुनसान सड़क पर अपनी पत्नी के साथ जा रहा है. अचानक से पत्नी की तबीयत बिगड़ती है और ये आदमी बेतहाशा सड़क पर…

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